अपना लो हर मुश्किल को अपनी मान कर
अपना लो हर मुश्किल को अपनी मान कर
हम हमारे जीवन में अनेक उतार - चढ़ाव देखते है । जिन्दगी में अचानक आने वाले बदलाव या समस्या से विचलित न होने वाले ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हैं, महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि समस्या अथवा बाधा उत्पन्न होने पर उससे निपटा कैसे जाए ?
कई लोग कुछ संकट आने पर हाथ-पैर छोड़ देते हैं, निराश हो जाते हैं, अतः समस्याओ से घबराकर एवं भयभीत होकर भागने वालों के लिये समस्याएं बढ़ती ही जाती है, हम विषम परिस्थिति में भी सम रहते हुवें, हर पल मुस्कराते रहना चाहिए, क्योंकि दुनिया का हर इंसान खिले चेहरो एवं खिले फूल को ही पसंद करते है । जिन्दगी में खुश रहने की एक ही परिभाषा है ना किसी पर भरोसा, ना किसी से आशा । हमे जब जीवन में घेर ले चारो तरफ से निराशा तो खुद पर विश्वास करना और खुद से ही आशा करना चाहिये ।
कुछ पंक्तियाँ - हिम्मत की सीढ़ी चढ़ते-चढ़ते, हजार बाधाएं हटायी,हंसना भी मुमकिन होगा,एक बेहतर दिन बनाया । माना कि रात अंधेरी रही आंख मूंदकर कट गयी, नैनों में सपने बुनते-बुनते, किरण सुबह की नई आयी ।सवेरा स्वर्णिम हुआ कंपकपांने हाथ और थरथराते पैर आ के थाम लिए और कहा मैं हूँ ना । इन काली सदियों के दौर में सर से जब रात का आंचल ढलकेगा, दुख के बादल पिघलेंगे, सुख का सागर झलकेगा वो सुबह तो आएगी बस गगन में उड़ने को पंख हौसलों के लगा रख मुसीबत से डर नही शहर उम्मीद के बसा रख ।
कहते है कि जीवन में दिक्कतों से कोई दिक्कत नहीं हैं बल्कि वे हमें मजबूत ही बनाती हैं। अनुभवों की कड़ी जोड़ती हैं। इससे हमारी जिन्दगी ज़्यादा सक्षम और सबल होकर उभरती है।अतः कहा है कि जब मुश्किल आ जाती है तो चूम लो हर मुश्किल को अपनी मानकर क्योंकि जिन्दगी हो कैसी भी है तो आखिर अपनी ही यही जानकर सही से जीवन पथ पर बढ़ते रहे ।
प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )