लेखिका संघ बरेली की काव्य गोष्ठी में साहित्यकारों ने भरी उत्साह की उड़ान
लेखिका संघ बरेली की काव्य गोष्ठी में साहित्यकारों ने भरी उत्साह की उड़ान
बरेली (अजय किशोर)। महानगर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था लेखिका संघ बरेली के तत्वावधान में स्टेडियम रोड स्थित होटल नमस्ते बरेली में एक शानदार काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था की संरक्षक निर्मला सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जबकि वरिष्ठ साहित्यकार भाग्यश्री मुख्य अतिथि रहीं। गोष्ठी का शुभारंभ गीतकार कमल सक्सेना द्वारा माँ वाणी की वंदना से हुआ। कमल सक्सेना ने अपनी मार्मिक रचना में कहा, "पूजन अर्चन और समर्पण सबके सब बेकार गये। जितने सपने देखे सपने देखे सारे सात समंदर पार गये। ये लगता है प्रेम देवता फिर असुरों से हार गये," जिसने खूब वाहवाही बटोरी।
संस्था अध्यक्ष दीप्ती पांडे नूतन ने आध्यात्मिक भावों से भरी रचना पढ़ी, "मैं प्रभु को आज छोड़ आयी. चिर बंधन अपने सभी तोड़ आई."। मीरा प्रियदार्शनी ने 'धर्म नहीं सिखाता हत्या करना' कहकर शांति और मानवता का संदेश दिया। गोष्ठी में अनेक रचनाकारों ने अपनी प्रभावशाली प्रस्तुतियाँ दीं। हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष ने अपनी ग़ज़ल में जीवन के विरोधाभास को दर्शाया: "परेशा हैँ सभी सब के दिलों पर बोझ भारी है। जहाँ में मुस्कराने का अभी दस्तूर जारी है।" अनुराग त्यागी ने मुस्कान के महत्व पर प्रकाश डाला। सचिव डॉ किरण कैंथवाल ने अपने गीत के माध्यम से ज्ञान का अलख जगाने का आह्वान किया। अध्यक्ष निर्मला सिंह ने रिश्तों की जटिलता पर कविता प्रस्तुत की। प्रेम के विविध पहलुओं पर प्रियंका श्रीवास्तव और मीना अग्रवाल ने अपनी कविता और ग़ज़ल पढ़ी। वहीं, राजेश गौड़ की राम पर आधारित कविता, "वर्षों का सपना आज पूरा हो गया।
सरयू किनारे राम पैदा हो गया," विशेष रूप से सराही गई। इस साहित्यिक आयोजन का सफल संचालन इंद्र देव त्रिवेदी ने किया। गोष्ठी की संयोजक संस्था की संरक्षक निर्मला सिंह रहीं। मोना प्रधान ने जीवन को कविता की किताब से अलग बताया, और इंद्र देव त्रिवेदी, अविनाश अग्रवाल व गिरिजा भारती ने भी अपनी रचनाओं से गोष्ठी को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया। अंत में, सचिव डॉ किरण कैंथवाल ने सभी साहित्यकारों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। यह आयोजन बरेली के साहित्यिक पटल पर एक यादगार और प्रेरणादायक कदम रहा।