कौशल्या का प्रश्न राम का जवाब

Aug 25, 2023 - 07:11
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कौशल्या का प्रश्न  राम का जवाब
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कौशल्या का प्रश्न राम का जवाब एक सुन्दर कथानक । भगवान राम जब वनवास पूर्ण कर वापिस अयोध्या लौटे तो माता कौशल्या ने अचानक राम से पूछा कि रावण को मार दिया ? राम माता को प्रणाम !

 कर बोले कि मॉं !जो महाज्ञानी, महाप्रतापी , प्रकांड विद्वान , महाबलशाली , महाशिवभक्त आदि था उसको मैं कैसे मार सकता था। मैंने नहीं मारा उसे ’मैं’ ने मारा। वह विद्वान अवश्य था पर विद्या का मूल पाठ विनय का भूल गया था ।

 इज्जत की सही से कीमत है ईमानदारी और परोपकारिता। जिसको कमाने के लिए विनय और विवेक हो ।धन तो हाथ की माया हैं उसका काम इधर से उधर जाना हैं । उसका कोई सही ठिकाना नही होता हैं ।इसलिये अपने अन्तरमन की आवाज़ सुनो । मन के बहकाये में कभी बहको नहीं ।मन की लगाम अपने हाथ में रखो । सतत चित्त ध्यान में लगा हो और दृष्टि अपने ध्येय पर हो साथ मे अनेकांत का चश्मा पहने रखो जिसका पावर अनासक्ति का हो ।

 मैं और मेरा को कर दो दफ़ा जीवन से । भाग्य से हमको गुरू मिले हैं । उनके इंगित पर चलो।सेवा और समर्पण हो विनयवान बन कर । करोगे जो पुरुषार्थ तो देर कहाँ होगी ! योगी , महापुरुष और मुक्त बनने ? अभी देर हुयी नही कर लो आज से ही शुभारंभ । विनयशून्य ज्ञान -ज्ञान नहीं है । वो कोरा अभिमान कहलाता है ।

चिंतन की कल-कल बहती धारा में जो कह रही ज्ञान का अंजन बनाये जीवन को संजीवन । तभी तो कहा है जो भूल जाता है विनय उसमें ‘मैं ‘पनप जाता है और वो उसके प्राप्त मानव जीवन को क्षय कर देता है। प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)