विधवा के शोषण ने उघाड़ दिया भ्रष्ट तंत्र और इंसानी हैवानियत का असली चेहरा, प्रधान सहित 13 हुए एड्स रोगी

विधवा के शोषण ने उघाड़ दिया भ्रष्ट तंत्र और इंसानी हैवानियत का असली चेहरा, प्रधान सहित 13 हुए एड्स रोगी

Dec 7, 2025 - 19:44
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विधवा के शोषण ने उघाड़ दिया भ्रष्ट तंत्र और इंसानी हैवानियत का असली चेहरा, प्रधान सहित 13 हुए एड्स रोगी

विधवा के शोषण ने उघाड़ दिया भ्रष्ट तंत्र और इंसानी हैवानियत का असली चेहरा, प्रधान सहित 13 हुए एड्स रोगी

गोरखपुर के भटहट ब्लॉक से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ मानवता को शर्मसार किया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि जब व्यवस्था ही पीड़ित को चोट पहुंचाए तो इंसाफ की उम्मीद आखिर किससे की जाए? यह कहानी 28 वर्षीय एक विधवा की है, जिसकी जिंदगी में दर्द की शुरुआत उसके पति की मौत के साथ ही हो गई थी। शादी के सिर्फ तीन साल बाद पति का निधन हो गया। इसके बाद उसे घर–परिवार से सहारा मिलने के बजाय तिरस्कार और उपेक्षा का सामना करना पड़ा। सरकारी सुविधा के नाम पर शोषण का तंत्र गरीबी और संघर्ष के बीच वह विधवा पेंशन, राशन कार्ड और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए स्थानीय अधिकारियों के पास पहुंची।

लेकिन जहां उसे मदद मिलनी चाहिए थी, वहीं उसके साथ सबसे बड़ी धोखाधड़ी हुई। रोजगार सेवक से लेकर ग्राम प्रधान तक, उसकी मजबूरी को हथियार बनाकर उससे शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालते रहे। धीरे-धीरे मामला इतना बढ़ गया कि लगभग 13 लोग – जिनमें ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी और अन्य स्थानीय लोग शामिल थे – सरकारी सुविधा दिलाने के नाम पर उसका शोषण करते रहे। झकझोर देने वाला खुलासा: महिला निकली HIV पॉजिटिव लगातार अत्याचार झेलने के बाद जब महिला की तबीयत बिगड़ी, तो ग्राम प्रधान उसे एक स्थानीय डॉक्टर के पास लेकर गया। वहां उसके खून की जांच हुई और महिला HIV पॉजिटिव पाई गई।

 संदेह होने पर उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर भेजा गया। वहां भी एआरटी सेंटर की रिपोर्ट में HIV की पुष्टि हुई। इसके बाद उन सभी लोगों में हड़कंप मच गया जिन्होंने उसका शोषण किया था। डर और घबराहट में वे सभी मेडिकल जांच के लिए पहुंचे और 13 के 13 लोग HIV पॉजिटिव पाए गए। काउंसिलिंग में सामने आई पूरी कहानी एआरटी सेंटर के कर्मचारियों ने महिला की काउंसिलिंग की, तब सच सामने आया। महिला ने बताया कि पति की मौत से पहले ही उसे संक्रमण लग चुका था। वह संक्रमण अनजाने में उन लोगों तक पहुंच गया जिन्होंने उसकी मजबूरी का फायदा उठाया था। यह कहना गलत नहीं होगा कि जिस हवस ने उन्हें अंधा किया, उसी ने उन्हें निगल भी लिया। यह घटना उठाती है तीन बड़े सवाल 1. मानवता कहां मर गई? एक मजबूर और बेसहारा महिला पर जिस तरह सत्ता और अधिकार के नाम पर अत्याचार हुआ, वह समाज के नैतिक पतन का सबसे काला उदाहरण है।

2. क्या यही है ग्रामीण प्रशासन? सरकार गरीबों के लिए योजनाएं बनाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर वही योजनाएं भ्रष्ट तंत्र की कमाई का जरिया बन जाती हैं। यह मामला बताता है कि कुछ जगहों पर विकास नहीं, शोषण का कारोबार चलता है। 3. HIV–AIDS पर जागरूकता की कमी अभी भी एक खतरा विशेषज्ञों के अनुसार असुरक्षित संबंध, संक्रमित सुई व इंजेक्शन का उपयोग, संक्रमित खून का संपर्क और गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान संक्रमण HIV फैलने के प्रमुख कारण हैं।

आज इलाज से इसे नियंत्रित तो किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह खत्म करना अभी भी संभव नहीं है। यह घटना सिर्फ खबर नहीं, चेतावनी है यह याद दिलाती है कि मजबूत कानून जितना जरूरी है, मजबूत सामाजिक व्यवहार भी उतना ही जरूरी है। यदि समाज की सोच नहीं बदली, यदि भ्रष्टाचार की जड़ें नहीं काटी गईं, यदि महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता नहीं बनी— तो ऐसी घटनाएं बढ़ती ही जाएंगी। गोरखपुर की यह घटना इंसानियत, प्रशासन और व्यवस्था—तीनों पर सबसे बड़ा सवाल है। और जवाब तभी मिलेगा, जब न्याय होगा… और व्यवस्था बदलेगी।