आयुर्वेद प्राचीन पद्धति, आयुर्वेद में ही बीमारियों का समुचित निदान- रामनरेश अग्निहोत्री

Sep 23, 2025 - 20:51
 0  1
आयुर्वेद प्राचीन पद्धति, आयुर्वेद में ही बीमारियों का समुचित निदान- रामनरेश अग्निहोत्री

आयुर्वेद प्राचीन पद्धति, आयुर्वेद में ही बीमारियों का समुचित निदान- रामनरेश अग्निहोत्री

मैनपुरी (अजय किशोर ) दशम् आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए सदस्य विधानसभा रामनरेश अग्निहोत्री ने कहा कि जन-जन के उत्थान, पृथ्वी के कल्याण के लिए सभी लोग आयुर्वेद के साथ योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, आज की भाग-दौड़ भरी जिदंगी में आयुर्वेद, योग के माध्यम से ही प्रत्येक व्यक्ति अपने और अपने परिवार को निःरोगी बना सकते है। उन्होने कहा कि मनुष्य का शारीरिक परिश्रम काफी कम हो चुका है, आज का युग मशीनरी का युग है और यह धीरे-धीरे तेजी से बढ़ रहा है, पहले हम लोग पैदल या साइकिल का प्रयोग करते थे, किसान हल से खेती करता था, जिससे शरीर की पूरी कसरत होती थी, लेकिन आज लोगों के पास दु-पहिया, चार-पहिया वाहन हैं, खेतों में ट्रैक्टर से कार्य हो रहा है, विकास तंत्र ने मनुष्य के शारीरिक परिश्रम को काफी कम करने का कार्य किया है, जो बीमारियों का मुख्य कारण है। उन्होने कहा कि आयुर्वेद दुनियां की सबसे बड़ी चिकित्सकीय पद्धति है, अन्य पैथियों ने भी आयुर्वेद से जन्म लिया है, होम्योपैथी आयुर्वेदिक का निर्माण भी आयुर्वेद से हुआ है, पहले गांव में वैद्य आयुर्वेद से बीमारी का इलाज करते थे, आयुर्वेद धीरे-धीरे कम हुआ, वैद्यों की संख्या तेजी से घटी लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद, योग के प्रचार के लिए काफी मेहनत की, उन्होंने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में विश्व पटल पर नयी पहचान दिलाने का कार्य किया, मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं संचालित कीं, आज मोटे अनाज का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है, लोग योग, आयुर्वेद, मोटे अनाज से जुड़कर निःरोगी बन रहे हैं। जिलाधिकारी अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि आर्थिक संसाधनों में वृद्धि के फलस्वरूप शारीरिक परिश्रम में कमी आई है, असंतुलित भोजन के कारण तमाम प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और इन समस्याओं से निजात पाने के लिए योग सबसे बेहतर साधन है, योग शरीर के अंग-प्रत्यगों पर दबाव डालने का माध्यम है, कुछ वर्षों में योग के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा है।

उन्होंने उपस्थित लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि अपनी जीभ पर नियंत्रण रख अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें, जीवन-शैली में बदलाव के कारण हमारे शरीर में तमाम रोग पैदा कर दिये, अधिक मोटापा, डॉयबटीज, ब्लडप्रेशर जैसी गंभीर समस्याएं मनुष्य में बढ़ने लगीं, शारीरिक श्रम कम होने के फलस्वरूप भी तमाम बीमारियां बढ़ीं, शारीरिक मेहनत करने से किसी योगा, आयुर्वेद, होम्योपैथ की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का जनक हमारा देश है, एलोपैथी आने से पूर्व हम पूरी तरह आयुर्वेद पर निर्भर थे, आयुर्वेद में हर बीमारी को जड़ से समाप्त करने की क्षमता है, चिकित्सा के क्षेत्र में असीम सफलताओं के बावजूद ऐलोपैथ कहता है कि आज भी मनुष्य के अंदर इस प्रकार के तमाम रोग हैं, जिन्हें एलोपैथ के माध्यम से नियंत्रित तो किया जा सकता है परंन्तु पूरी तरह समाप्त नहीं किया सकता। मुख्य विकास अधिकारी नेहा बंधु ने कहा कि आयुर्वेद और योग हमारे देश की प्राचीन पद्धति है, आज योग, आयुर्वेद पूरे विश्व में तेजी से विख्यात हो रहा है, तमाम देशों के लोगों ने योग को अपनाकर अपने आपको निःरोग बनाने का कार्य किया है, योग से जीवन, दिनचार्य में तेजी से बदलाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि संतुलित आहार लेकर नियमित रूप से योग कर अपने आपको लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि दिनचर्या, आहार में बदलाव के कारण बच्चों में तेजी से मोटापे की शिकायतें बढ़ रही है, बच्चे कुपोषण से ज्यादा मोटापे के शिकार हो रहे हैं, जो समाज के लिए शुभ संकेत नहीं है। आयुर्वेद भारत की सबसे पौराणिक, कारगर और महत्वपूर्ण चिकित्सा पद्धति है, आज भी तमाम ऐसी बीमारियां हैं, जिनका एलोपैथी में इलाज संभव नहीं लेकिन ऋतु परिवर्तन से होने वाली समस्त बीमारियों का इलाज आयुर्वेद में उपलब्ध है। आयुर्वेद पर आधारित रंगोली प्रतियोगिता में चंचल गोस्वामी ने प्रथम, शाजिया ने द्वितीय, नंदिनी ने तृतीय, पोस्टर प्रतियोगिता में शाजिया ने प्रथम, कृषिका श्रीवास्तव ने द्वितीय, चंचल गोस्वामी ने तृतीय, योग प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में अंशिका नागर ने प्रथम, कनिष्का शर्मा ने द्वितीय, योग प्रदर्शन प्रतियोगिता में रंजना ने प्रथम, अंशिका नागर ने द्वितीय एवं दिव्या ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, विजेताओं को सदस्य विधानसभा, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी ने प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

इस दौरान क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा. देवेन्द्र सिंह, प्र. चिकित्साधिकारी डा. अनुराग चन्देल, डा. कुलदीप वर्मा, डा. सौरभ यादव, डा. रमापाल, डा. मनोरमा, योग प्रशिक्षक आदित्य पाण्डेय, देवेन्द्र चौहान, गौरव सहाय, डा. चन्द्रमोहन सक्सैना, आराधना गुप्ता, विशम्भर तिवारी आदि उपस्थित रहे, कार्यक्रम का संचालन प्र. चिकित्साधिकारी डा. सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने किया।