दिव्य कला मेले में 216 दिव्यांग लाभार्थियों को ₹1.76 करोड़ का ऋण स्वीकृत: बी. एल. वर्मा, केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री
दिव्य कला मेले में 216 दिव्यांग लाभार्थियों को ₹1.76 करोड़ का ऋण स्वीकृत: बी. एल. वर्मा, केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में आज प्रारंभ हुए दिव्य कला मेला के उद्घाटन समारोह में दिव्यांगजन सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई। आत्मनिर्भरता एवं समावेशी उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ₹1.76 करोड़ के ऋण 216 दिव्यांग लाभार्थियों को स्वीकृत किए गए, जिसकी घोषणा मुख्य अतिथि श्री बी. एल. वर्मा, केंद्रीय राज्य मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, भारत सरकार ने की। इस पहल ने न केवल इस वर्ष के दिव्य कला मेले को विशेष पहचान प्रदान की, बल्कि दिव्यांगजन के आर्थिक उत्थान के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी सुदृढ़ किया।
अपने उद्बोधन में श्री बी. एल. वर्मा ने कहा कि दिव्य कला मेला और दिव्य कला शक्ति “दिव्यांगता में निहित क्षमता” का उत्सव हैं। उन्होंने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का दिव्यांगजन के प्रति गहरा भावनात्मक संबंध है और उनका स्पष्ट विज़न है कि “दिव्यांगजन राष्ट्र निर्माण में समान भागीदारी निभाएँ और सशक्त एवं आत्मनिर्भर भारत के स्तंभ बनें।” उन्होंने जोर दिया कि देशभर में दिव्यांगजन सरकार की अनेक योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं और दिव्य कला मेला एवं रोजगार मेले दिव्यांगजन उद्यमिता, कौशल, कला एवं आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाले प्रभावी मंच सिद्ध हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री श्री बी. एल. वर्मा ने कहा कि 2016 से पहले दिव्यांगजन के लिए नौकरियों में 3% आरक्षण होता था। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के बाद इसे बढ़ाकर 4% कर दिया गया। साथ ही उच्च शिक्षा में आरक्षण को 3% से बढ़ाकर 5% किया गया। मंत्री जी ने बताया कि दिव्य कला मेलों के माध्यम से अब तक 26 मेले लग चुके हैं और यह 27वां मेला आयोजित किया जा रहा है। इन मेलों के माध्यम से दिव्यांगजन अब तक 21 करोड़ रुपये से भी अधिक की आय अर्जित कर चुके हैं। लखनऊ के माननीय विधायक डॉ. नीरज बोरा ने अपने संबोधन में कहा कि यह मेला दिव्यांगजन की “Divine Ability” का उत्सव है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी का मानना है कि दिव्यांगजन को सहानुभूति नहीं, बल्कि सम्मान और अवसर देकर राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनाना चाहिए। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे दिव्यांग कलाकारों एवं उद्यमियों को प्रोत्साहित करें और “वोकल फॉर लोकल” की भावना को मजबूत बनाएं। श्री राजीव शर्मा, संयुक्त सचिव, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD), ने विभाग की समावेशी वातावरण के निर्माण की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बताया कि इस मेले में 18 राज्यों के 100 से अधिक दिव्यांग कारीगर भाग ले रहे हैं। मेले के दिव्य कला शक्ति खंड में दिव्यांग कलाकारों की उत्कृष्ट प्रतिभा और सृजनशीलता का प्रदर्शन किया जाएगा। श्री अनिल कुमार, चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, NDFDC, ने सभी माननीय अतिथियों — श्री बी. एल. वर्मा, डॉ. नीरज बोरा, श्री सुभाष चंद शर्मा, श्री राजीव शर्मा और प्रो. हिमांशु शेखर झा का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि NDFDC, DEPwD के अंतर्गत, दिव्यांगजन के पुनर्वास, आर्थिक सशक्तिकरण, कौशल विकास, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा एवं सहायक उपकरण सहायता को मजबूत करने के लिए निरंतर कार्यरत है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि लखनऊ का यह मेला नई ऊँचाइयाँ प्राप्त करेगा और दिव्यांग उद्यमिता को राष्ट्रीय पहचान दिलाएगा।
मेले की प्रमुख विशेषताएँ: • 18 राज्यों से 100+ दिव्यांग कारीगरों की भागीदारी • ALIMCO स्टॉल पर सहायक उपकरण पंजीकरण सुविधा • बोक्सिया एवं ब्लाइंड क्रिकेट जैसे समावेशी खेलों का प्रदर्शन • प्रतिदिन सायंकाल दिव्यांग कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ • 18 नवम्बर 2025 को रोजगार मेला • 23 नवम्बर 2025 को राष्ट्रीय स्तर का दिव्य कला शक्ति सांस्कृतिक महोत्सव दिव्य कला मेला केवल कला और संस्कृति का उत्सव नहीं, बल्कि दिव्यांगजन के सम्मान, आत्मनिर्भरता और उनके राष्ट्र निर्माण में योगदान का शक्तिशाली प्रतीक है। दिव्य कला मेले को दिव्यांगजनों के लिए एक अत्यंत लाभकारी एवं जीवंत आयोजन बनाती हैं।