गोरखपुर की पीएसी ट्रेनिंग सेंटर में महिला सिपाहियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट व कैमरे का विरोध, अफसरों पर कार्रवाई

गोरखपुर की पीएसी ट्रेनिंग सेंटर में महिला सिपाहियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट व कैमरे का विरोध, अफसरों पर कार्रवाई
गोरखपुर के बिछिया स्थित 26वीं वाहिनी पीएसी ट्रेनिंग सेंटर में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी और अमानवीय व्यवहार के विरोध में 2023 बैच की 598 महिला प्रशिक्षु सिपाहियों ने बुधवार सुबह जमकर प्रदर्शन किया। प्रशिक्षुओं ने खराब भोजन, पानी की कमी, सीसीटीवी कैमरे के गलत स्थान पर लगने, और आरटीसी प्रभारी संजय राय द्वारा गाली-गलौज व धमकी देने का आरोप लगाया। सुबह करीब छह बजे सभी महिला सिपाही कमांडेंट कार्यालय के सामने इकट्ठा होकर धरने पर बैठ गईं। उनका कहना था कि दो दिनों से पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है, शौचालय और स्नानघर गंदगी से भरे हुए हैं, नहाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है और खुले में नहाने को मजबूर होना पड़ रहा है। एक कमरे में 30-30 सिपाहियों को रखा गया है, जहां एक पंखा और एक कूलर ही उपलब्ध है।
गर्मी और बदइंतजामी के कारण कई प्रशिक्षु बेहोश हो गईं, जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। मामले की जानकारी मिलते ही उच्चाधिकारियों में हड़कंप मच गया। शासन ने देर शाम कार्रवाई करते हुए सेनानायक आनंद कुमार और प्लाटून कमांडर संजय राय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही गोरखपुर पीटीएस के डीआईजी एवं प्रधानाचार्य रोहन पी. कनय को प्रतीक्षारत कर दिया गया है। उनकी जगह कानपुर के केंद्रीय रिजर्व स्टोर में तैनात निहारिका शर्मा को 26वीं वाहिनी की प्रभारी सेनानायक नियुक्त किया गया है। प्रशिक्षु महिला सिपाहियों में पहले से ही नाराजगी प्रेग्नेंसी टेस्ट के अनिवार्य आदेश से थी, जिसे बाद में आईजी ट्रेनिंग चंद्र प्रकाश ने रद्द कर दिया। लेकिन इस आदेश से उपजा तनाव पहले से ही माहौल को तनावपूर्ण बना चुका था। बिजली कटौती और पानी की किल्लत ने हालात और बिगाड़ दिए। प्रशिक्षुओं का कहना था कि शिकायत करने पर उन्हें डांट-डपट कर चुप करा दिया गया। बुधवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान डीजीपी राजीव कृष्ण ने सख्ती दिखाते हुए एडीजी पीएसी आरके स्वर्णकार को तत्काल गोरखपुर भेजा। एडीजी मौके पर पहुंचकर समस्याओं को दूर करने की प्रक्रिया में लगे हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर बाथरूम में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की अफवाह ने आग में घी डालने का काम किया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के ट्वीट के बाद मामले ने और तूल पकड़ा।
हालांकि आईजी पीएसी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि कैमरे लगाए जाने की बात पूरी तरह से निराधार और भ्रामक है। उन्होंने बताया कि तकनीकी कारणों से बिजली आपूर्ति बाधित हुई थी जिससे जलापूर्ति भी प्रभावित हुई, लेकिन अब दोनों व्यवस्थाएं दुरुस्त कर दी गई हैं। वहीं, महिला सिपाहियों के साथ अभद्रता करने वाले अफसर पर कार्रवाई की गई है। घटना के बाद अफसरों ने मौके पर पहुंचकर प्रशिक्षुओं को आश्वासन दिया कि उनकी सभी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाएगा। काफी मान-मनौव्वल के बाद महिला सिपाही शांत हुईं और ट्रेनिंग सेंटर में वापस लौटीं। पूरे दिन यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना रहा। उत्तर प्रदेश पुलिस में इस बार बड़ी संख्या में महिला सिपाहियों की भर्ती हुई है। राज्य सरकार द्वारा महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए कई योजनाएं और ऑपरेशन शुरू किए गए हैं। गोरखपुर की यह घटना बताती है कि जमीन पर इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए व्यवस्थाओं और अफसरशाही में भी गंभीर सुधार की आवश्यकता है।