Haryana IPS Suicide केस में DGP और SP के खिलाफ FIR; IAS पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप

Oct 9, 2025 - 10:18
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Haryana IPS Suicide केस में DGP और SP के खिलाफ FIR; IAS पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप

Haryana: IPS अफसर वाई पूरन कुमार के सुसाइड केस को लेकर अब नए-नए खुलासे सामने आ रहे है, मुख्यमंत्री के साथ जापान दौरे से लौटी वाई पूरन कुमार की पत्नी IAS अमनीत पी कुमार ने अब हरियाणा DGP और रोहतक SP के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है। 4 पन्नों के शिकायती पत्र में उन्होंने डीजीपी हरियाणा शत्रुजीत सिंह कपूर और एसपी रोहतक नरेंद्र बिजारणिया पर उनके पति के उत्पीड़न, जाति-आधारित भेदभाव और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया।

वाई पूरन कुमार की पत्नी ने कहा कि उनके पति की मौत से ठीक पहले डीजीपी कपूर के कहने पर उनके खिलाफ झूठा मामला (FIR-नंबर 0319/2025) दर्ज किया गया था, जो एक सोची-समझी साजिश थी। इसी कारण उनके पति ने अत्यधिक निराशा में आत्महत्या कर ली। IAS अमनीत पी. कुमार ने दावा किया कि उनके पति को SC/ST समुदाय से होने के कारण जाति-आधारित गालियां दी गईं और उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आईपीएस अधिकारी कुमार ने आत्महत्या से पहले अपनी पत्नी को 15 बार फोन किया था। बताया जा रहा है कि विदेश में सीएम के साथ आधिकारिक कार्यक्रमों में शामिल होने के कारण अमनीत इन कॉल्स का कोई जवाब नहीं दे पाईं। बाद में मिस्ड कॉल्स देखकर चिंतित कुमार की पत्नी ने कथित तौर पर अपनी बेटी से संपर्क किया और अपने पिता का हालचाल जानने के लिए कहा। साल 2020 में वाई पूरन कुमार का तत्कालीन DGP मनोज यादव के साथ विवाद हो गया था। 3 अगस्त 2020 को छुट्‌टी के दिन वाई पूरन कुमार शहजादपुर थाने में बने मंदिर में गए थे।

 तत्कालीन डीजीपी मनोज यादव ने उनसे पूछा था कि क्या मंदिर स्थापित करने से पहले सरकार से अनुमति ली गई थी। वाई पूरन कुमार ने जवाब दिया था कि मंदिर उनकी नियुक्ति से पहले का है और मनोज यादव उन्हें सार्वजनिक अवकाश के दिन पूजा करने से नहीं रोक सकते। इसके बाद उन्होंने DGP मनोज यादव के खिलाफ अंबाला SP को शिकायत दर्ज करवाई। लेकिन कार्रवाई न होने पर उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, गृह मंत्रालय और केंद्र सरकार तक शिकायत पहुंचाई। हालांकि, बाद में गृह विभाग ने पूरे मामले की जांच की और उनकी शिकायत को खारिज कर दिया। इसके बाद वे हाईकोर्ट गए। लेकिन हाईकोर्ट ने भी इसे अनावश्यक बताते हुए खारिज कर दिया।