उत्तराखंड में 10 दिनों के कठिन बचाव के बाद आई पहली तस्वीर, देखकर कांप जाएगी रुह
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उत्तराखंड के मलबे में फंसे 41 श्रमिकों के बचाव के प्रयासों के बाद, एक इमोशनल मोमेंट आया सामने। कल रात मलबे के माध्यम से डाले गए छह इंच के पाइप के माध्यम से एक एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरा डाला गया था। इसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली है। अब लग रहा है कि इस अभियान में लगे हुए लोग जल्द ही फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लेंगे।
बचावकर्मियों ने बताया कि वे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालेंगे, उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। यह बचाव अभियान कुछ समय से चल रहा है, और श्रमिकों को भोजन और जरूरी सामग्री पहुंचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
श्रमिकों को अब तक सूखे मेवे और पानी पर ही जीना पड़ रहा था, लेकिन कल रात पाइप के माध्यम से उन्हें गर्म भोजन की व्यवस्था की गई थी।
बचाव अभियान के प्रभारी अधिकारी ने कहा कि जल्द ही श्रमिकों को मोबाइल और चार्जर भेजे जाएंगे। पिछले सप्ताह क्षेत्र में हुए चट्टानों के कारण बचाव के प्रयास में थोड़ी मुश्किलें आई थीं।
बचावकर्मियों ने दी जानकारी कि एक ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग मशीन ऊपर से सुरंग तक पहुंच गई है। इसमें 13 घंटे और तीन वाहनों की जरूरत पड़ी।
केंद्र ने फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए पांच-विकल्प वाली कार्य योजना तैयार की है, जिसमें तीन तरफ से ड्रिलिंग शामिल है। प्रत्येक ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए पांच अलग-अलग एजेंसियों को काम सौंपा गया है।
मुख्य सुरंग में दो तरफ किया जा रहा ड्रिल, साथ ही एक ऊर्ध्वाधर शाफ्ट को भी ड्रिल किया जाएगा। कई एजेंसियां चौबीस घंटे तक बचाव कार्य कर रही हैं। एक अंतरराष्ट्रीय सुरंग निर्माण विशेषज्ञ टीम भी इसमें शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं और उन्हें छेद में ड्रिल किए गए स्टील पाइप के माध्यम से भोजन और पानी की आपूर्ति की जा रही है। यह सुरंग महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजना का हिस्सा है, जो बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के हिंदू तीर्थ स्थलों तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पहल है।
दिवाली के दिन से सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए बचाव अभियान आज 10वें दिन भी जारी है। मंगलवार का दिन मजदूरों के लिए एक और राहत लेकर आया। दिल्ली से एंडोस्कोपिक कैमरे मंगाए गए थे जिन्हें आज मंगलवार को पाइप से भीतर पहुंचाया गया। सभी सुरक्षित हैं।
जब टीम ने कैमरा अंदर भेजा और मजदूरों से संवाद करने का प्रयास किया, तो वह असफल रहा। लेकिन चेहरे पर दिखने वाली खुशी से साफ पता चल रहा है कि श्रमिकों में एक नई उम्मीद की किरण जगी है। अब उन्हें भी यह विश्वास है कि उन्हें जल्द ही सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला जाएगा