हांसीए पर खड़ी बसपा, अचानक 'बहनजी' ने कैसे बदल दी UP की राजनीति?
2024 का लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) को लगभग खत्म माना जा रहा था।
उनके मौजूदा सांसद पाला बदलकर अलग-अलग पार्टियों में जा रहे थे, राजनीतिक पंडित बसपा के शून्य हो जाने की भविष्यवाणी कर रहे थे। INDIA गठबंधन में भी जब मायावती शामिल नहीं हुईं तो इसे उनका बहुत गलत फैसला बताया जाने लगा. हालांकि, अब पहले चरण की वोटिंग से पहले ही मायावती की रणनीति को गंभीरता से लिया जाने लगा है।
पहले खारिज कर रहे राजनीतिक पंडित ही अब कहने लगे हैं कि मायावती और बसपा का खेल अभी बाकी है. मायावती ने जिन उम्मीदवारों को टिकट दिया है उनमें से ज्यादातर बड़े चेहरे नहीं हैं लेकिन जिस तरह से उन्होंने सामाजिक समीकरण साधा है, हर कोई मायावती की सूझबूझ का लोहा मानने को मजबूत हो गया है।
बसपा की पहली और दूसरी लिस्ट से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस चिंता में आ गई थीं. अब यही चिंता सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को भी सताने लगी है. एक तरफ बसपा ने राजनीतिक समीकरण साधते हुए अच्छे उम्मीदवार उतारे हैं, दूसरी तरफ बसपा के युवा नेता आकाश आनंद जोरदार भाषण देकर पार्टी काडर में नए सिरे से जान फूंक रहे हैं. अभी तक मायावती की बसपा ने यूपी की 54 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। मायावती लोकसभा चुनाव के काफी पहले जहां शांत दिख रही थीं वहीं चुनाव में उतरते ही आकाश आनंद ने सबके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
आकाश आनंद युवाओं के मुद्दे उठाने के साथ-साथ सपा, कांग्रेस और बीजेपी को आडे़ हाथ ले रहे हैं. वह मंचे से ललकारते हुए जनता से अपील कर रहे हैं कि वह फ्री राशन के लिए वोट न करे. बीते कुछ सालों में फ्री राशन जैसी योजनाओं के लिए गरीब वर्ग भी बीजेपी के साथ जाने से बसपा को तगड़ा झटका लगा था. ऐसे में आकाश आनंद जनता को ललकारते हुए अपने उस वोटबैंक को रीक्लेम करते नजर आ रहे हैं।
मायावती इस चुनाव में जातिगत समीकरण, स्थानीय मुद्दे, नए उम्मीदवार और आकाश आनंद के जोशीले भाषणों के संयोजन के साथ चुनाव में उतरी हैं. दो हफ्तों में जिस तरह उनकी पार्टी अचानक चर्चा में आई है और उनके उम्मीदवारों पर हर पार्टी की नजर बन गई है उससे राजनीतिक पंडित भी हैरान हैं. ऐसे में अब यह देखना होगा कि कितनी सीटों पर मामला त्रिकोणीय होता है और 4 जून को नतीजे कैसे आते हैं।