समय कभी स्थिर नहीं रहता

Nov 29, 2023 - 12:08
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समय कभी स्थिर नहीं रहता
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समय कभी स्थिर नहीं रहता

समय तो परिवर्तनशील है जो बदलता रहता है । आज यदि परिस्थिति अनुकूल नहीं है तो सम्भाव में हम रहकर समय के साथ चले । मन के विचार बहुत तीव्र है उनको हम पहचाने ओ इंसान मन के विकारों को दूर कर बन जा चतुर सुजान।

जीसने समय की कीमत को पहचान लिया एकाग्र हो अपने लक्ष्य की राह बुनता चला गया उसी ने इतिहास में नाम रच दिया।कोलंबस नई दुनिया की खोज इसलिए कर पाया क्योंकि उसने दो दशक से भी अधिक समय तक अपनी एकाग्रता को समुद्री अभियान पर केन्द्रित कर लिया था। स्वामी विवेकानंद बेहद एकाग्र थे उनकी एकाग्रता इतनी चमत्कारित होती कि वे एक बार में पूरी पुस्तक पढ़ लेते थे। अपनी एकाग्रता के कारण ही अर्जुन विश्व में महान धनुर्धारी बना ।

संसार के प्रत्येक कार्य में विजय पाने के लिए एकाग्रचित्त होना आवश्यक है। जो लोग चित्त को चारों ओर बिखेरकर काम करते है उन्हें सैकड़ों वर्षों तक सफलता का मूल्य मालूम नहीं होता। समय की नजाकत को समझने कीपरख हममें होनी चाहिए,समय का विवेक रखकर सावधानीपूर्वक सब काम किये जायें तो स्वाभाविक ही हमें मानसिक शांति मिलेगी और मन प्रफुल्लित होगा,चेहरे की मुस्कान में चार चांद लग जाएंगे।

सबसे बड़ा है विवेक का जागरण।गलत समय पर मुस्कराना भी दूसरों के घाव पर नमक छिड़कने का काम कर सकता है,जो हमारे लिए कभी भी शोभनीय नहीं,किसी भी परिस्थिति में।हर मर्ज की दवा है प्रसन्नचित्त रहना,तन ,मन की सुंदरता में चार चांद लगानालेकिन विवेकपुर्वक। परिस्थिति तो अपने आप मे एक ही होती है,सबके अलग- अलग नजरिये होते है कि वो उसको किस रूप में लेता है। वैसे काफी हद तक इसमें हमारे कर्म-संस्कार के कारण हमारे भावों से वो प्रभावित होती है।

हम अपने होश में रहते हुए हर परिस्थिति के अनुकूल अपने आपको ढालने की कोशिश करें तो हम शान्तचित्त होकर उसके मनोनुकूल परिणाम पाने में काफी हद तक सक्षम हो पाते हैं।हम कभी परिस्थिति को दोष देंकर ,उसके सामने घुटने न टेकें, सम्यक् पुरुषार्थ के द्वारा परिस्थिति के अनुसार अपने आपको सम्यक् नियोजन करें तो सफलता मिलेगी,अगर न भी पा पाएं तो निराश न होयें,बल्कि अपने सम्यक् पुरुषार्थ से संतुष्ट होकर शान्तचित्त रहने का प्रयास करें,उसे नियति समझकर। यह समय का स्वभाव है ।पर इसमें हमारा प्रयत्न रहे जीवन पर प्रभाव न हो । प्रदीप छाजेड़