बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम जहाँ रहेंगे हम वही रहोंगीं तुम
बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम जहाँ रहेंगे हम वही रहोंगीं तुम
एटा। एटा जनपद को प्रदेश ही नही देश के कई हिस्सों की जनता जानती है एटा में क्या है कैसा है वहाँ के लोग कैसे है क्या करते हैं अगैरा बगैरा आदि। कभी किसी को लेकर चर्चा में रहता है तो कभी गुंडागर्दी लूट डकैती अपहरण और असलहों के लिए प्रसिद्ध रहा है। कई बड़ी बड़ी घटनाये भी घटी है।
सरकारी अधिकारी कर्मचारी एटा में कभी अपना स्थानांतरण/ तबादला नहीं चाहता, केवल सरकारी नौकरी करने की मजबूरी उसे यहाँ खींच लाती, आ जाने के बाद यहाँ का हाव भाव देखकर उसके रग रग में बेईमानी दौड़ने लगती है। यहां के लोगों को उल्लू बनाकर उनपर राज करते हैं। नेता तो चमचागिरी करके केवल अपने काम कराते हैं वह जनता के बारे में नहीं सोचते हैं। और फिर वे अधिकारियों पर महरबान रहते हैं और वे जनपद की जनता को खुलेआम लूटते है। लेकिन जनता के द्वारा चुने कलयुगी राजा अपनी जेब अधिकारियों के सहयोग से आँखे बन्द करके मोटी कमाई करते हैं।
एटा जिले में अगर कोई अधिकारी कर्मचारी आ गया फिर जाना नहीं चाहता? तबादला हो भी जाता है तो फिर दोबारा एटा आना चाहता है, नेताओं से सत्ता ले लोगों द्वरा सिफारिस कराके पुनः कई अधिकारी आये हैं। कोई पमोशन होकर आया है तो कोई उसी पद पर दोबारा आया है।
जिले के कई जिलाधिकारी तक ऐसे आये जो जिले को लूटकर चले गए जो जनता के बीच जग जाहिर रहा है नेता उनका हंस हंस कर स्वागत करते थे? जनपद में कई विभग ऐसे है जहाँ सरकारी खजाना लूटने को तो मिलता ही है जनता को लूटने से भी परहेज नहीं करते हैं। जहाँ कहावत भी सिद्ध होती है अधिकारी की बीसों उंगलियां घी में है और सर कड़ाही में है। चाहे स्वास्थय विभाग हो या पुलिस विभाग और भी लिस्ट में है शिक्षा विभाग, जिला पंचायत विभाग, आंगनबाड़ी भी है जहां बजट का बन्दर बाट होता है।
अगर कुछ विभागों में महिला कर्मचारी अधिक संख्या में कार्यरत होती है अधिकारी उनसे अपने मन मुताबिक विभागीय काम लेते हैं। और उनकी मजबूरियों का कभी कभी दुर्पयोग कर उसका फायदा उठाते हैं। कभी कभी विभाग की बदनामी न हो कर्मचारी पर्दा डालते रहते हैं।
हद तो पार जब हो जाती जब महिला कर्मचारियों को अपने कैबिन में बुलाकर उनके साथ मौज मस्ती करते हैं। अपनी हवस तक का शिकार बना लेते हैं और फिर चलता है मिलकर गन्दा काम..? उनको खुश रखने के लिए अधिकारी उनके कुछ खर्चे भी उठाना तक शुरू कर देते हैं। हल्के पुलके खर्चे शॉपिंग कराना आम हो जाता है।
उनको अपने साथ रखना ज्यादा पसंद करते हैं अधिकारी का तबादला कहीं हो जाता है तो वह महिला सहपाठी को अपने साथ ही तबतला कराते हैं या आगे पीछे भी हो सकता है। एटा में अधिकारियों का महिलाओं को पालना उनके साथ मौज मस्ती करना कोई नही बात नहीं है। एटा में कई किस्से जनता के सामने तक जग जाहिर रहे हैं। कई महिला कर्मचारी यहाँ दबंग किस्म की देखने को मिली है वह किसी से दबाकर बात नहीं करती करे भी क्यों कहावत भी है जब सैया भये कोतवाल डर काहे का..?
कई बार ऐसे किस्से मनोहर कहानियों में ही पड़ने को मिलते थे अब एटा में देखने को मिल रहे हैं। साहब अपनी मातहत से कहते हैं आज तो गजब ढा रही हो, बिजली गिराने आई हो, मार के छोड़ोंगी आदि तरह से संबोधित करते हुए पीठ पर हाथ फेर देते हैं मेडम हसकर शुक्रिया करती है। कभी कभी साहब को गर्म दूध की तरह उगलना भारी पड़ जाता है। जब उनका ही करीबी उनकी प्यार भरी बातें सुन ले जैसे - बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम ...! महोदय साहब का तबादला हो गया तो क्या बात है दो चार लाख देकर रुकवा देते हैं। तुम जहाँ रहोंगीं वही रहेंगे हम? कहावत भी है जो जितना बदनाम हुआ है उसका उतना नाम हुआ है।