Supreme Court : चुनाव आयोग को निर्देश राजनीतिक पार्टियों को मिले सीलबंद लिफाफे में पैसों का देना होगा हिसाब

Nov 3, 2023 - 08:20
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Supreme Court : चुनाव आयोग को निर्देश राजनीतिक पार्टियों को मिले सीलबंद लिफाफे में पैसों का देना होगा हिसाब
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सुप्रीम कोर्ट (SC) ने गुरुवार को भारत के चुनाव आयोग (ECI) को 30 सितंबर, 2023 तक चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) के जरिए राजनीतिक दलों को मिले पैसे का "अपडेट" डेटा सीलबंद कवर में पेश करने का निर्देश दिया।

चीफ जिस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने 12 अप्रैल, 2019 को शीर्ष अदालत की तरफ से पारित अंतरिम निर्देश का हवाला दिया। इस पिछले निर्देश में राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए उन्हें मिले पैसे की जानकारी एक सीलबंद कवर में चुनाव पैनल को पेश करने का निर्देश दिया गया था। बेंच ने कहा कि अप्रैल 2019 का आदेश उस तारीख तक सीमित नहीं था, जिस दिन इसे सुनाया गया था।

इसलिए अगर कोई अस्पष्टता थी, तो चुनाव पैनल के लिए ये जरूरी था। शीर्ष अदालत से स्पष्टीकरण भी मांगें। इस पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जिस्टिस बी आर गवई, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जिस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

राजनीतिक दलों के वित्तपोषण के लिए चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुनते हुए बेंच ने कहा कि ECI के पास अपडेट डेटा होना चाहिए। पीठ ने आदेश दिया, "किसी भी स्थिति में, अब हम निर्देश देते हैं कि चुनाव आयोग 12 अप्रैल, 2019 को जारी अंतरिम निर्देश के संदर्भ में 30 सितंबर, 2023 तक अपडेट डेटा पेश करेगा। इसमें कहा गया है कि ये प्रक्रिया दो हफ्ते के भीतर पूरी की जाएगी और डेटा सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को सौंप दिया जाएगा।

बेंच ने तीन दिनों तक दलीलें सुनने के बाद कांग्रेस नेता जया ठाकुर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान, बेंच ने चुनाव आयोग के वकील से चुनावी बॉन्ड की मात्रा के बारे में पूछा, जिसे सब्सक्राइब किया गया है।

चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि उनके पास सीलबंद लिफाफे में अप्रैल 2019 के आदेश के संदर्भ में कुछ डेटा है और वह इसे अदालत के सामने रख सकते हैं। बेंच ने पूछा, "क्या डेटा अपडेट है, कम से कम मार्च 2023 तक?" वकील ने शीर्ष अदालत के अप्रैल 2019 के आदेश का हवाला दिया और कहा कि डिटेल केवल 2019 तक की थी। पीठ ने चुनाव आयोग के वकील से कहा, ''जब आप अदालत आ रहे थे तो आपको डेटा मिलना चाहिए था, उस दिन हमने इस पर जोर दिया था और हम सभी ने विचार व्यक्त किया था और हमें उम्मीद थी कि आप डेटा के साथ वापस आएंगे।