नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) द्वितीय दिवस -
नवरात्रि पर्व ( अश्विन ) द्वितीय दिवस -
नवरात्रि पर्व आप सब के लिए खूब - खूब स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति प्रदायी आदि हो ये ही मंगलकामना हैं ।
नव आगमन शुभ आगमन |
इस अवसर पर मेरे भाव -
स्थूल जगत का नियम आदमी काम करता है ,
कुछ समय बाद वह विरत हो जाता हैं ।
सूक्ष्म जगत का नियम एक अज्ञात अतृप्ति ,
भुवाल माता का स्मरण एक ऐसी अदृश्य अज्ञात अतृप्ति है जिसकी कभी भी विरति नहीं होती ,इससे अतृप्ति की निरन्तरता का झरना अनवरत सदैव प्रवाहमान होता रहता है जो हमे आत्मा के अन्तिम लक्ष्य की और गतिमान करता रहता है ।
प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )