भारतीय मीडिया की 100 साल की यात्रा

Oct 23, 2025 - 19:00
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भारतीय मीडिया की 100 साल की यात्रा

भारतीय मीडिया की 100 साल की यात्रा

■ विजय गर्ग

समाचार पत्रों से लेकर डिजिटल युग तक भारतीय मीडिया का सफ़र दिलचस्प, महत्वपूर्ण और गौरवशाली रहा है, जिसने लगभग सौ वर्षों में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। यह सफ़र प्रिंट मीडिया से शुरू होकर रेडियो, टेलीविज़न और आज के डिजिटल युग तक फैला है। प्रारंभिक काल और स्वतंत्रता संग्राम: भारत में पत्रकारिता की शुरुआत वास्तव में 1780 में 'हिक्कीज़ बंगाल गज़ट' से हुई थी। हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत 1826 में 'उदंत मार्तंड' से हुई, और पंजाबी पत्रकारिता का इतिहास 19वीं सदी के मध्य तक जाता है। राष्ट्रवादी भावना: 20वीं सदी के शुरुआती दशकों में, विशेषकर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, भारतीय मीडिया ने राष्ट्रवादी भावना और राष्ट्रीय चेतना जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश शासन की सख्ती और सेंसरशिप के बावजूद, कई संपादकों और समाचार पत्रों ने सच लिखना जारी रखा, जिससे स्वतंत्रता संग्राम को बल मिला और प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता बढ़ी।

रेडियो और टेलीविजन का आगमन: मीडिया प्रिंट से आगे बढ़कर एक नए क्षेत्र में प्रवेश कर गया। रेडियो: रेडियो प्रसारण की शुरुआत वर्ष 1927 में हुई, जो बाद में 1937 में ऑल इंडिया रेडियो बन गया और 1957 से आकाशवाणी के नाम से जाना जाने लगा। रेडियो लंबे समय तक पूरे देश में सूचना और मनोरंजन का एक सशक्त और प्रभावी माध्यम बना रहा। टेलीविजन: 1959 में टेलीविजन के आगमन ने भारतीय दर्शकों के लिए एक नई दुनिया खोल दी। सरकारी चैनल दूरदर्शन लंबे समय से लोगों को सूचना, शिक्षा और मनोरंजन प्रदान करने के लिए ज़िम्मेदार रहा है। उदारीकरण और निजीकरण का प्रभाव: 1990 के दशक में भारत के आर्थिक उदारीकरण के बाद मीडिया क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति आई। निजी चैनल: निजी टेलीविजन चैनलों के आगमन ने मीडिया परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया। प्रतिस्पर्धा बढ़ी और दर्शकों के लिए विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला खुल गई। आज भारत में हज़ारों टेलीविजन चैनल हैं। प्रिंट मीडिया का विस्तार: इस दौरान प्रिंट मीडिया का भी विस्तार हुआ। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा समाचार पत्र बाज़ार है, जहाँ हज़ारों समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं। डिजिटल युग की चुनौतियाँ और अवसर: स्मार्टफोन और इंटरनेट के आगमन ने भारतीय मीडिया को एक नए चरण में प्रवेश कराया है - डिजिटल मीडिया का युग।

 डिजिटल क्रांति: ऑनलाइन मीडिया, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म 21वीं सदी में छा रहे हैं। जानकारी पल भर में दुनिया भर में पहुँच जाती है। चौथा स्तंभ: भारतीय मीडिया को देश के विशाल लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, जो सरकार को जवाबदेह बनाने और जनता की आवाज बनने की जिम्मेदारी निभाता है। चुनौतियाँ: जैसे-जैसे मीडिया कवरेज बढ़ता है, चुनौतियाँ भी बढ़ती हैं। समाचारों में संतुलन बनाए रखना, फर्जी खबरों से निपटना और मीडिया की नैतिकता बनाए रखना आज के डिजिटल युग की मुख्य चुनौतियाँ हैं। संक्षेप में कहें तो भारतीय मीडिया की यह सौ साल की यात्रा प्रौद्योगिकी, राजनीति और सामाजिक परिवर्तनों का एक लंबा और गतिशील इतिहास है, जिसने राष्ट्र निर्माण और लोकतंत्र को मजबूत करने में निरंतर योगदान दिया है। भारतीय मीडिया की यह शताब्दी लंबी यात्रा केवल तकनीकी प्रगति की कहानी नहीं है, बल्कि जनता की आवाज़, सत्य की खोज और लोकतंत्र की रीढ़ की कहानी है। मीडिया ने देश को जोड़ा है, जागृत किया है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है - और यह यात्रा जारी है।