सरकार ने सभी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर फ़ेक और डीप फ़ेक्स खबरों पर अंकुश लगाने के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत किया
सरकार ने सभी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर फ़ेक और डीप फ़ेक्स खबरों पर अंकुश लगाने के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत किया
नई दिल्ली। भारतीय नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत संरक्षित है। मीडिया के सभी मंचों पर बढ़ती फर्जी, झूठी और भ्रामक सूचनाओं तथा एआई निर्मित डीप फ़ेक्स की बढ़ती घटनाओं से सरकार अवगत है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। फर्जी खबरों (फ़ेक न्यूज़) को आमतौर पर ऐसी सूचना के रूप में समझा जाता है जो सच्ची घटनाओं की जानकारी न हों या भ्रामक हों और जिन्हें समाचार के रूप में प्रस्तुत किया जाता हो। विभिन्न मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर ऐसी हानिकारक समाचार सामग्री को रोकने के लिए पहले से ही एक व्यापक विधिक और संस्थागत ढांचा मौजूद है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया · टीवी चैनल केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के अंतर्गत प्रसारण संबंधी कार्यक्रम संहिता का पालन करते हैं। यह अधिनियम अश्लील, किसी की मानहानि करने वाली, जान बूझकर बनाई गई झूठी सामग्री, या संकेतात्मक दोअर्थी बातें और अधूरे सत्य वाली सामग्री को प्रतिबंधित करता है। इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियम, उल्लंघनों से जुड़े मामलों का निपटारा करने के लिए तीन-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करते हैं। स्तर I – प्रसारणकर्ताओं द्वारा स्व-नियमन स्तर II – प्रसारणकर्ताओं की स्व-नियामक संस्थाओं द्वारा नियमन स्तर III – केंद्रीय सरकार द्वारा पर्यवेक्षण तंत्र कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन होने पर उल्लंघनकर्ता को सलाह, चेतावनी दी जाती है, क्षमा याचना संदेश चलाने तथा अस्थायी ऑफ-एयर के निर्देश आदि दिए जाते हैं।
प्रिंट मीडिया · भारतीय प्रेस परिषद द्वारा जारी पत्रकारिता आचार संहिता - फ़ेक, मानहानिकारक या भ्रामक समाचारों के प्रकाशन को रोकती है। इन मानदंडों के कथित उल्लंघनों की पीसीआई जांच कर सकती है। पीसीआई उचित तरीके से शिकायतों की जांच करती है और दोषी पाए जाने पर संबंधित प्रिन्ट मीडिया को चेतावनी देती है और अखबार, संपादकों, पत्रकारों आदि को फटकार लगाने सहित आवश्यक कदम उठाती है। डिजिटल मीडिया आईटी नियम 2021 के अंतर्गत डिजिटल मीडिया पर समाचार और वर्तमान मामलों के प्रकाशन के लिए आचार संहिता बनाई गई है: · मध्यस्थों (Intermediaries) को यह सुनिश्चित करना होता है कि उपयोगकर्ता गलत सूचना या स्पष्ट रूप से झूठी, असत्य या भ्रामक प्रकृति की जानकारी साझा न करें। इसके अंतर्गत आचार संहिता के पालन के लिए तीन-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र भी प्रदान किया गया है। शिकायतों के निपटारे के लिए प्लेटफ़ॉर्म्स द्वारा शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं, जो गलत या मानहानि करने वाली सामग्री से संबंधित शिकायतों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर निपटाते हैं।
आईटी नियमों के भाग II के तहत, मध्यस्थों पर यह दायित्व निर्धारित किया गया है कि वे स्पष्ट रूप से झूठी, असत्य या भ्रामक प्रकृति की जानकारी के प्रसार को रोकें। सरकार, भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, मित्र देशों के साथ संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था या उपरोक्त से संबंधित किसी भी संज्ञेय अपराध को उकसाने के रोकथाम के हित में आईटी अधिनियम की धारा 69A के तहत आदेश जारी करती है। फैक्ट चेक यूनिट केंद्र सरकार से संबंधित फ़ेक न्यूज़ की जांच के लिए प्रेस सूचना ब्यूरो के तहत फैक्ट चेक यूनिट की स्थापना की गई है। यह सरकारी मंत्रालयों/विभागों के अधिकृत स्रोतों से समाचारों की प्रामाणिकता की पुष्टि करती है। इसके बाद फ़ैक्ट चेक यूनिट भ्रामक खबर के खंडन और सही जानकारी को अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर प्रकाशित करती है। सरकार सभी संस्थाओं और संस्थाओं पर नागरिकों के भरोसे को मजबूत कर रही है, जो समाज की नींव निर्मित करते हैं। सरकार का दृष्टिकोण यह है कि रचनात्मक स्वतंत्रता बनी रहे और भ्रामक सूचनाओं से होने वाले नुकसान को रोका जा सके। सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव द्वारा यह जानकारी श्री मोहम्मद नदीमुल हक द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में आज राज्यसभा में दी गई।