कमाने वाली पत्नी गुजारा भत्ता की हकदार नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट
कमाने वाली पत्नी गुजारा भत्ता की हकदार नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ते से जुड़े एक अहम मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि यदि कोई महिला आय अर्जित कर रही है और आर्थिक रूप से खुद को संभालने में सक्षम है, तो वह पति से भरण-पोषण की मांग नहीं कर सकती। कोर्ट के अनुसार, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125(1)(a) ऐसे मामलों में भरण-पोषण का अधिकार प्रदान नहीं करती। यह निर्णय जस्टिस मदन पाल सिंह की सिंगल बेंच ने सुनाया।
अदालत ने पति अंकित साहा की पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए नोएडा स्थित फैमिली कोर्ट के आदेश को खत्म कर दिया। फैमिली कोर्ट ने पति को अपनी पत्नी को हर महीने पाँच हजार रुपये भरण-पोषण के रूप में देने का निर्देश दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने तर्कहीन मानते हुए रद्द कर दिया। अंकित साहा ने 17 फरवरी 2024 को पारित फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि पत्नी ने धारा 125 के तहत भरण-पोषण की मांग गलत आधार पर की है और वह इस श्रेणी में नहीं आती. पति ने कोर्ट से गुजारिश की थी कि फैमिली कोर्ट का आदेश निरस्त किया जाए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील श्रीश श्रीवास्तव और सुजान सिंह ने कोर्ट का ध्यान इस ओर दिलाया कि पत्नी ने खुद को बेरोजगार बताकर गलत जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पत्नी स्नातक है, वेब डिजाइनिंग का काम जानती है और एक टेलीकॉम कंपनी में कार्यरत है. वकीलों के अनुसार, उसकी मासिक आय लगभग 36 हजार रुपये है, जो साबित करता है कि वह आत्मनिर्भर है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि धारा 125 का उद्देश्य उन्हीं महिलाओं को राहत देना है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपने जीवनयापन हेतु पति पर निर्भर हैं।
ऐसे में यदि कोई महिला स्थायी आय प्राप्त कर रही है और खुद को संभाल सकती है, तो उसे भरण-पोषण देने का कोई औचित्य नहीं बनता। अंततः हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द करते हुए साफ कहा कि आत्मनिर्भर पत्नी भरण-पोषण की हकदार नहीं। इस फैसले से याचिकाकर्ता पति को बड़ी राहत मिली है।