लोकसभा में आज तो राज्यसभा में कल चर्चा, पक्ष-विपक्ष में टकराव तय!

Jul 28, 2025 - 09:07
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लोकसभा में आज तो राज्यसभा में कल चर्चा, पक्ष-विपक्ष में टकराव तय!

संसद का मानसून सत्र सोमवार से पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संभावित तीखी बहस के साथ नए मोड़ पर पहुंच सकता है। पहले हफ्ते के हंगामे के बाद अब सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा व विदेश नीति से जुड़े इन दो मुद्दों पर आमने-सामने होंगे।

गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर जैसे प्रमुख नेता सरकार का पक्ष रखेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बहस में हस्तक्षेप कर सकते हैं। विपक्ष की ओर से लोकसभा में नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे समेत अखिलेश यादव जैसे नेता सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। सत्र के पहले हफ्ते में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर बहस की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही को बाधित किया था। इसके बाद विपक्ष और सरकार 28 जुलाई को लोकसभा और 29 जुलाई को राज्यसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए सहमत हुए हैं। दोनों सदनों में 16 घंटे की विशेष बहस पर सहमति बनी है।

लोकसभा की कार्यसूची के अनुसार, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की जाएगी। सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से अनुराग ठाकुर, सुधांशु त्रिवेदी, निशिकांत दुबे समेत उन नेताओं को भी उतारा जा सकता है जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की वैश्विक छवि मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दौरे कर चुके हैं। इन नेताओं में शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, जेडीयू के संजय झा और टीडीपी के हरीश बालयोगी शामिल हैं। खास बात यह है कि कांग्रेस की ओर से शशि थरूर को वक्ता चुना जाएगा या नहीं, यह अब भी स्पष्ट नहीं है। थरूर ने सरकार की कार्रवाई का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन किया था, जिससे पार्टी के भीतर मतभेद सामने आए हैं। विपक्ष ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में खुफिया विफलता और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाक संघर्ष में मध्यस्थता के दावों को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।

इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे। राहुल गांधी लगातार सरकार की विदेश नीति को निशाने पर लेते रहे हैं और उनका कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को वैश्विक समर्थन नहीं मिला। सरकार ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को सफल करार दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि यह ऑपरेशन न केवल आतंकियों के खिलाफ निर्णायक था बल्कि स्वदेशी हथियारों की ताकत का भी प्रतीक है। सरकार ने बताया है कि इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादियों के ठिकानों पर सटीक हमले किए गए थे, जिससे पाकिस्तान को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। चार दिन तक दोनों देशों के बीच सीमित संघर्ष चला, जिसके बाद पाकिस्तान के अनुरोध पर सैन्य कार्रवाई रोकी गई। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि भारत अब आतंकवाद और उसके समर्थकों के बीच कोई फर्क नहीं करता और पाकिस्तान के भीतर आतंकी पनाहगाहों पर हमला करना उसकी नई नीति का हिस्सा है।

सिंधु जल समझौते को स्थगित करना भी इसी रणनीति का हिस्सा बताया गया है। बिहार में मतदाता सूची के एसआईआर को लेकर भी सरकार और विपक्ष में ठनी हुई है। विपक्ष का आरोप है कि इसका उद्देश्य चुनावी फायदे के लिए मतदाता सूची में हेरफेर करना है। निर्वाचन आयोग ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा है कि उसका मकसद केवल यह सुनिश्चित करना है कि सिर्फ पात्र मतदाता ही सूची में शामिल हों। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि हर मुद्दे पर एक साथ चर्चा संभव नहीं और एसआईआर पर बहस पर बाद में फैसला लिया जाएगा।