धातुओं से भरे चार क्षुद्र ग्रहों पर विज्ञानियों की नजर

Jul 6, 2025 - 09:19
 0  2
धातुओं से भरे चार क्षुद्र ग्रहों पर विज्ञानियों की नजर

नैनीताल क्षुद्र ग्रह (स्टेरायड) धरती से टकरा जाएं तो ये बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। साथ ही, जीवन की उत्पत्ति के रहस्य उजागर करने के अलावा बेशकीमती धातु भी प्रदान कर सकते हैं। इन्हीं संभावनाओं को लेकर अमेरिकन व यूरोपियन स्पेस एजेंसी समेत दुनिया भर के विज्ञानियों की नजर सौर मंडल के चार क्षुद्र ग्रहों पर है।

धरती व चंद्रमा से टकराने की आशंका को लेकर विज्ञानी इन पर निगाह रखे हुए हैं। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वरिष्ठ खगौल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय के अनुसार, पृथ्वी के चारों और क्षुद्र ग्रहों का बड़ा संसार है। ये आए दिन पृथ्वी के करीब से गुजरते रहते हैं। इनमें से दो क्षुद्रग्रह ऐसोफिश व 2024 बाईआर-4 है। एपोफिस तीन फुटबाल मैदानों के बराबर यानी करीब 400 मीटर का है। यह पृथ्वी से टकरा गया तो धरती के बड़े भूभाग के साथ लाखों जिंदगियां मिटा सकता है। मिस्र की पौराणिक कथाओं में एपोफिस अराजकता और विनाश का देवता माना जाता है। इसी आधार पर विज्ञानियों ने इसका नाम एपोफिस दिया है। इसे वर्ष 2004 में खोजा गया था। तब से ही इस पर नजर रखी जा रही है। पूर्व में हुई गणना के अनुसार इसके 13 अप्रैल 2029 को टकराने की संभावना जताई जा रही थी। बाद में नास की नई गणना के अनुसार इसके कम से कम अगले 100 वर्षों तक टकराने की कोई आशंका नहीं है। रोचक यह है कि पृथ्वी के नजदीक पहुंचने पर इसे कौरी आंखों से देखा जा सकेगा। डा. पांडेय के अनुसार, दूसरा क्षुद्र ग्रह 2024 बाईआर 4 है।

इसके पृथ्वी से टकराने की आशंका से इनकार नहीं किया जा रहा है। इसका आकार लगभग 53 से 67 मीटर के बीच है। इसकी खोज वर्ष 2024 में हुई थी। हालिया गणना में इसके वर्ष 2032 में पृथ्वी से टकराने की मामूली आशंका जताई गई थी लेकिन नासा ने इस आशंका को खारिज कर दिया है। इसके चंद्रमा से टकराने की आशंका बनी हुई है। इनके अलावा डिडिमोस और डिमाफोंस हैं। वर्ष 2022 में नस ने डबल एस्टेरायड रिडायरेक्शन टेस्ट (डार्ट) मिशन के तहत एक प्रोब यान डिमाफोंस से टकराया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य यह जांचना था कि भविष्य मैं यदि किसी क्षुद्र ग्रह पृथ्वी से टकराने की आशंका होती है तो उसे कैसे दूर किया जा सकता है। इस सफल मिशन को पृथ्वी से एक करोड़ किमी की दूरी से पर आजमाया गया था। डा. पांडेय कहते हैं कि इन्हीं क्षुद्र ग्रहों के जरिए पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति की गुत्थी को सुलझाया जा सकता है। विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट