उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दे दिया इस्तीफा; बहुत बड़े बदलाव के आसार, बीजेपी अपना अध्यक्ष खोज नहीं पाई और ...!

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दे दिया इस्तीफा; बहुत बड़े बदलाव के आसार, बीजेपी अपना अध्यक्ष खोज नहीं पाई और ...!

Jul 22, 2025 - 08:35
 0  134
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दे दिया इस्तीफा; बहुत बड़े बदलाव के आसार, बीजेपी अपना अध्यक्ष खोज नहीं पाई और ...!

मानसूत्र सत्र की शुरुआत में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम हुआ, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी और सरकार में बड़े बदलाव हो सकते हैं।

धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय पर आया है जब भाजपा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी कर रही है, जिससे पार्टी के लिए अब दो बड़े काम हो गए हैं। पहला, नए अध्यक्ष का चुनाव और दूसरा, उपराष्ट्रपति के पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार का चयन करना। उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा को एक ऐसे उम्मीदवार की जरूरत होगी, जो संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम हो और राज्यसभा के अध्यक्ष के तौर पर सरकार के भविष्य के एजेंडे को सही दिशा में ले जा सके। यह भी माना जा रहा है कि अगले कुछ सालों में ‘एक देश, एक चुनाव’ जैसे महत्वपूर्ण विधेयक आ सकते हैं, जिसके लिए राज्यसभा अध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। भा.ज.पा. अध्यक्ष पद के लिए पार्टी एक ऐसे नेता की तलाश में है, जो 2029 के लोकसभा चुनाव के दिशा-निर्देश तय करने में सक्षम हो, साथ ही पीएम मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ा सके। इसी दौरान, मंत्रिमंडल विस्तार की भी संभावना जताई जा रही है।

हालांकि, सरकार ने इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक कुछ नए चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं और मौजूदा मंत्रियों को नए पदों पर भेजा जा सकता है, जिससे सरकार और पार्टी दोनों में बदलाव की संभावना प्रबल हो रही है। इसके अलावा, RSS प्रमुख मोहन भागवत द्वारा हाल ही में 75 वर्ष की उम्र को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर भी चर्चा है, जिसके बारे में विपक्षी दलों का कहना है कि यह पीएम मोदी के लिए एक संदेश हो सकता है। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति की पदवी में किसी भी रिक्ति को यथाशीघ्र भरने का प्रावधान है, और निर्वाचित व्यक्ति को पदभार ग्रहण करने के बाद पांच वर्ष तक उस पद पर कार्य करने का अधिकार होगा। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि उपराष्ट्रपति के इस्तीफे या उनके निधन की स्थिति में उनके कर्तव्यों का निर्वाह कौन करेगा। इन सभी घटनाओं और संभावनाओं के बीच, राजनीति में कई बड़े बदलावों की गुंजाइश है, जिनका असर आगामी चुनावों और सरकार की रणनीतियों पर पड़ेगा।