Hapud News :. रेलवे कर्मचारी बना नकली नोटों का किंग मास्टर

Hapud News :. रेलवे कर्मचारी बना नकली नोटों का किंग मास्टर

Jun 29, 2025 - 10:09
 0  286
Hapud News :. रेलवे कर्मचारी बना नकली नोटों का किंग मास्टर

उत्तर प्रदेश के पिलखुवा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां रेलवे में कार्यरत एक कर्मचारी ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर नकली नोटों का संगठित रैकेट खड़ा कर लिया था। यूपी एटीएस की सटीक कार्रवाई में इस गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है और तीनों आरोपियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से करीब 3.90 लाख रुपये की नकली मुद्रा और हाईटेक उपकरण बरामद हुए हैं।

मुख्य आरोपी गजेंद्र यादव लाखन रेलवे स्टेशन पर पॉइंट्समैन के पद पर कार्यरत था और बुलंदशहर के गजौरी गांव का निवासी है। बाहर से शांत और मिलनसार नजर आने वाला गजेंद्र असल में नकली नोटों का एक पूरा नेटवर्क चला रहा था। उसने अपने दो साथियों सिद्धार्थ झा (नई दिल्ली) और विजय वीर चौधरी (रसूलपुर, बुलंदशहर) के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम देना शुरू किया। तीनों ने काम को इस तरह बांट रखा था कि हर कोई अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा था। सिद्धार्थ नोटों की डिज़ाइन और छपाई करता था, विजय खास कागज और जरूरी सामग्री अलीबाबा डॉट कॉम जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से मंगवाता था, जबकि गजेंद्र ग्राहक तलाशने और सप्लाई का जिम्मा संभालता था। गैंग की खासियत यह थी कि ये नकली नोटों को असली जैसा दिखाने के लिए हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे थे। छपाई के बाद नोटों को प्रोसेस करने के लिए विशेष लेमिनेशन, कटिंग और खास स्याही का उपयोग किया जाता था। नकली नोटों में वाटरमार्क और सिक्योरिटी थ्रेड जैसी विशेषताएं भी शामिल थीं, जिससे आम लोगों के लिए उन्हें पहचानना बेहद मुश्किल हो गया था।

गजेंद्र सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके नकली नोटों के खरीददारों तक पहुंच बना रहा था। वह अलग-अलग जिलों में नेटवर्क फैला चुका था और बिना किसी संदेह के कारोबार को अंजाम दे रहा था। एटीएस को जब इस गिरोह की गतिविधियों की जानकारी मिली, तो पिलखुवा के फरीदनगर-भोजपुर रोड पर जाल बिछाया गया। जब तीनों आरोपी नकली नोटों की बड़ी खेप लेकर एक ग्राहक से मिलने जा रहे थे, तभी उन्हें रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया। कार्रवाई के दौरान उनके पास से 3.90 लाख रुपये की नकली मुद्रा, 103 सिक्योरिटी शीट्स, लैपटॉप, प्रिंटर, लेमिनेशन मशीन, कटर ब्लेड, स्पेशल स्याही, पांच मोबाइल फोन, दो पेन ड्राइव और एक कार बरामद की गई। पूछताछ में यह भी सामने आया कि गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और प्रदेश के कई जिलों में नकली नोटों की आपूर्ति कर चुका था। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि गजेंद्र की आपराधिक गतिविधियों का किसी को अंदाजा तक नहीं था। उसने हाल ही में चार दिन की छुट्टी ली थी, लेकिन उसके बाद ड्यूटी पर नहीं लौटा। इस पर उसके पिता खुद रेलवे स्टेशन पहुंचे और पूछताछ की। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि गजेंद्र पर पहले कभी कोई शक नहीं हुआ था। इस मामले को और गंभीर बना देने वाली बात यह है कि गैंग के एक सदस्य की पत्नी उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत है, जिससे जांच में कई नए पहलुओं के खुलने की संभावना है।

यह मामला दिखाता है कि किस तरह तकनीक का दुरुपयोग कर अपराधी नकली नोटों के कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट होता है कि सतर्कता और समय पर की गई कार्रवाई से ऐसे अपराधों को रोका जा सकता है। यूपी एटीएस की यह कार्रवाई न केवल प्रदेश में नकली मुद्रा के नेटवर्क पर करारा प्रहार है, बल्कि यह भी संदेश है कि कानून से कोई भी बच नहीं सकता, चाहे वह किसी भी पद या छवि में क्यों न हो।