विधवा महिला के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए प्रधानाध्यापक की ग्रामीणों ने करवा दी शादी, दोनों पर है 5-5 बच्चे

विधवा महिला के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए प्रधानाध्यापक की ग्रामीणों ने करवा दी शादी, दोनों पर है 5-5 बच्चे
सहरसा, बिहार । बिहार के सहरसा जिले के सोनवर्षा अंचल क्षेत्र से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि ग्रामीण न्याय के तौर-तरीकों पर भी बहस छेड़ दी है। जिले के मैना गांव में एक विधवा महिला के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए मध्य विद्यालय पड़रिया के प्रधानाध्यापक भुवनेश्वर पासवान (55) की ग्रामीणों ने जमकर पिटाई की और फिर दोनों की शादी करवा दी।
★ **क्या है मामला?** घटना बुधवार रात की है जब ग्रामीणों को गांव की एक विधवा महिला और प्रधानाध्यापक की गतिविधियों पर संदेह हुआ। ग्रामीणों ने महिला के घर छापा मारा और दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया। भुवनेश्वर पासवान मूल रूप से रोहतास जिले के सासाराम के रहने वाले हैं और लंबे समय से मैना गांव में किराए के मकान में रह रहे थे। इसी दौरान उनका संपर्क मृतक शिक्षक पलीन पासवान के परिवार से हुआ, जिनकी मृत्यु दो साल पहले चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई थी।
★ **ग्रामीणों का गुस्सा और ‘समाधान’** घटना के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रधानाध्यापक की पिटाई की और मामले को गांव की “इज्जत” का विषय बताते हुए पंचायत के दबाव में महिला से उनकी शादी करवा दी। हैरानी की बात यह है कि दोनों पहले से शादीशुदा हैं और दोनों के पांच-पांच बच्चे भी हैं।
★ **पुलिस की भूमिका** स्थानीय थानाध्यक्ष विक्की रवीदास ने मीडिया को बताया कि यह मामला सामाजिक स्तर पर सुलझा लिया गया है और किसी भी पक्ष ने अब तक कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। ऐसे में कानूनी कार्रवाई की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है।
★ **सवालों के घेरे में शिक्षा व्यवस्था और सामाजिक न्याय** इस घटना ने शिक्षक समुदाय की सामाजिक छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक प्रधानाध्यापक द्वारा इस तरह की हरकत न केवल नैतिकता की सीमा तोड़ती है, बल्कि शिक्षा क्षेत्र की गरिमा को भी धूमिल करती है। वहीं, ग्रामीणों द्वारा अपनाया गया “समाधान” का तरीका भी बहस का विषय बन गया है कि क्या ऐसी घटनाओं में कानून से ऊपर समाज खुद फैसला कर सकता है? यह मामला सहरसा जिले में चर्चा का केंद्र बना हुआ है और कई सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मामले की जांच और उचित कार्रवाई की मांग की है।