सीजेएम के आदेश पर तत्कालीन थाना प्रभारी सहित कई वरिष्ठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज

Jul 1, 2025 - 10:07
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सीजेएम के आदेश पर तत्कालीन थाना प्रभारी सहित कई वरिष्ठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज

सीजेएम के आदेश पर तत्कालीन थाना प्रभारी सहित कई वरिष्ठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज

 उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां कथित रूप से फर्जी NDPS एक्ट के तहत बेकसूर लोगों को फंसाने के आरोप में 25 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) मोहम्मद तौसीफ रजा के आदेश पर की गई है। इस मामले में तत्कालीन बिनावर थाना प्रभारी कांत कुमार शर्मा, क्राइम इंस्पेक्टर गुड्डू सिंह और तत्कालीन एसओजी प्रभारी नीरज मलिक समेत अन्य पुलिसकर्मी शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने झूठी बरामदगी दिखाकर पांच निर्दोष व्यक्तियों को एनडीपीएस एक्ट के तहत फर्जी मामलों में फंसा कर जेल भेजा।

★ अधिवक्ता की अर्जी से खुली साजिश की परतें - रहमा गांव के अधिवक्ता मोहम्मद तसलीम गाजी द्वारा कोर्ट में दाखिल अर्जी के अनुसार, 28 जुलाई 2024 की रात करीब 12.30 बजे बिनावर पुलिस और एसओजी टीम ने मुख्त्यार, विलाल, अजीत, अशरफ और तरनवीर को जबरन उनके घरों से उठाया और तीन दिन तक अवैध रूप से हिरासत में रखा। इसके बाद, 31 जुलाई को इन लोगों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत तीन अलग-अलग फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए और झूठी बरामदगी दिखाकर जेल भेज दिया गया।

★ न्याय के लिए कोर्ट की शरण - अधिवक्ता का कहना है कि इस अन्याय की शिकायत उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) से भी की, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर वे न्यायालय पहुंचे। कोर्ट ने सभी तथ्यों की समीक्षा करने के बाद 25 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।

★ धमकियों का भी आरोप - प्रार्थना पत्र में यह भी आरोप लगाया गया कि जब कोर्ट से सीसीटीवी फुटेज और गिरफ्तारी से जुड़ा प्रेस नोट मांगा गया, तो संबंधित पुलिसकर्मियों ने अधिवक्ता को फर्जी एनकाउंटर में जान से मारने की धमकी दी।

★ निष्कर्ष - यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। साथ ही, यह दर्शाता है कि न्यायपालिका की सजगता और एक साहसी अधिवक्ता की जिद किस तरह से व्यवस्था के गलत इस्तेमाल के खिलाफ एक मजबूत मिसाल बन सकती है।