विपक्ष की रणनीति: उप राष्ट्रपति चुनाव में साझा उम्मीदवार की तैयारी

विपक्ष की रणनीति: उप राष्ट्रपति चुनाव में साझा उम्मीदवार की तैयारी
देश में उप राष्ट्रपति पद को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद अब नए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विपक्षी गठबंधन इंडिया अलायंस ने संकेत दिए हैं कि वह इस बार संयुक्त उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहा है। हालांकि संसद में संख्या बल के लिहाज से एनडीए को स्पष्ट बढ़त हासिल है, लेकिन विपक्ष इस मुकाबले को महज औपचारिक नहीं मान रहा। इंडिया अलायंस का मानना है कि यह चुनाव विपक्ष को एकजुटता और वैकल्पिक राजनीतिक सोच का संदेश देने का अवसर है। गठबंधन के नेताओं का मानना है कि भले ही जीत की संभावना कम हो, लेकिन यह मुकाबला लोकतंत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का प्रतीक होगा।
जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में उप राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक तय था। हाल ही में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया, लेकिन सियासी गलियारों में इसके पीछे अन्य कारणों की भी चर्चा है। धनखड़ और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर तीखे मतभेद सामने आ चुके थे। विपक्ष ने उनके खिलाफ महाभियोग लाने की कोशिश भी की थी, जिसे राज्यसभा उपसभापति ने खारिज कर दिया था। उप राष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामित सदस्यों द्वारा किया जाता है। इस समय संसद में कुल 782 सदस्य हैं और किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए 392 वोटों की आवश्यकता होगी। मौजूदा स्थिति में एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में लगभग 130 सदस्य हैं, यानी कुल 423 वोट। वहीं, इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 234 और राज्यसभा में लगभग 79 सदस्य हैं, यानी कुल 313 वोट।
इन आंकड़ों के आधार पर एनडीए की स्थिति मजबूत मानी जा रही है, लेकिन विपक्ष इस चुनाव को केवल हार-जीत के चश्मे से नहीं देख रहा। संविधान के अनुच्छेद 68(2) के तहत, इस्तीफे की स्थिति में उप राष्ट्रपति का चुनाव जल्द से जल्द कराया जाना जरूरी होता है। चुनाव आयोग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है और जल्द ही तारीखों की घोषणा होगी। नवनिर्वाचित उप राष्ट्रपति को कार्यभार संभालने के दिन से 5 वर्षों का पूर्ण कार्यकाल मिलेगा। इस पूरे घटनाक्रम ने आगामी सियासी समीकरणों को लेकर चर्चा को और गहरा कर दिया है। विपक्ष की यह कोशिश कहीं न कहीं 2026 के राज्यसभा चुनाव और 2029 के आम चुनाव से पहले खुद को एक विकल्प के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक कदम मानी जा रही है।