एटा में मजदूरी का मानक: सिस्टम बना लापता?

एटा में मजदूरी का मानक: सिस्टम बना लापता?

Jun 29, 2025 - 19:20
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एटा में मजदूरी का मानक:  सिस्टम बना लापता?

एटा में मजदूरी का मानक: सिस्टम बना लापता?

रामप्रसाद माथुर

उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से 30 सितंबर 2025 के लिए 74 श्रेणियों के अंतर्गत न्यूनतम मजदूरी दर तय की है। इसमें अयोग्य श्रमिकों को प्रतिदिन ₹423.87, अर्ध‑कुशल श्रमिकों को ₹466.26 तथा कुशल श्रमिकों को ₹522.29 प्रदान करने का प्रावधान है। हालांकि, एटा व आसपास के जिलों में यह सरकारी मानक धरातल पर व्यावहारिक रूप से लागू नहीं हो पा रहे हैं। कंपनियों द्वारा मजदूरों को सैकड़ों दिनों तक बिना भुगतान रखा जा रहा है, जिससे मजदूरों को भूख, आर्थिक तंगी और न्याय की गुहार उठानी पड़ रही है।

★ जवाहर तापीय परियोजना में मजदूरों की हड़ताल मलावन थाना क्षेत्र में निर्माणाधीन जवाहर तापीय परियोजना के मजदूरों ने पिछले साल जून में लगातार तीन माह वेतन न मिलने पर काम बंद कर दिया था। इन मजदूरों में विभिन्न राज्यों से आए कई लोग शामिल थे, जो भूख और आर्थिक तंगी के चलते भुखमरी की कगार पर पहुंच गए थे। मजदूरों की एकजुट हड़ताल से न तो ठेकेदार और न ही कंपनी पीछे हटी, और पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ा। अंततः उन्हें 14 जून तक भुगतान का आश्वासन मिला और काम पुनः शुरू हुआ, लेकिन यह घटना मजदूरों की आर्थिक असुरक्षा की पीड़ा को बयां करती है।

★ चार हजार मजदूरों का पुर्नआंदोलन - अगस्त 2024 में जवाहर परियोजना में लगभग 4,000 मजदूरों ने दो गेटों पर ताले जड़ दिए और अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी क्योंकि पूर्व चार माह का वेतन भुगतान नहीं किया गया था। पुलिस द्वारा घटना को नियंत्रित किया गया, लेकिन मजदूर और प्रबंधन में कोई स्थायी समाधान नहीं निकला। ### बिजलीमिस्त्री की वेतन याचिका एटा में एक राजमिस्त्री गुरवचन सिंह ने बताया कि उन्हें दूसरी मंजिल से गिरने के बाद 25 दिन का वेतन नहीं मिला। मालिकों ने न केवल वेतन रोका बल्कि कार्यस्थल से उनका मोबाइल और वाहन भी अपने कब्जे में ले लिया और जातिसूचक गालियाँ दीं। इस घटना ने स्थानीय मजदूरों की वेतन व सुरक्षा की वास्तविकता उजागर कर दी। न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 - के तहत, राज्य और केंद्र मिलकर मजदूरी दर तय करते हैं, लेकिन पालन और निरीक्षण की व्यवस्था कमजोर है ।

 * उत्तर प्रदेश में तो यह दरें छह माह में संशोधित होती हैं, लेकिन वास्तविक लाभ मजदूरों तक पहुँचता नहीं। दोषी ठेकेदारों पर जुर्माना व़क्तव्य की सीमा के भीतर है, लेकिन न्याय पाने में अक्सर वर्षों लग जाते हैं। 1. ठेकेदारों की मनमानी - 2.एटा में कंपनियां कार्य के आरंभ में न्यूनतम मजदूरी का वादा करती हैं, लेकिन जैसे ही मजदूर काम शुरू करते हैं, भुगतान रुक जाता है। 2. **नगरीय एवं ग्रामीण अंतर**: कृषि मजदूरों को UP में औसतन ₹309 प्रतिदिन मिलता है, जो राष्ट्रीय औसत (≈₹346) से कम है।

मजदूरों की आवाज़ – कष्ट और आशा - * भूख और बुनियादी ज़रूरतों के क्षण — एटा से आए मजदूर बताते हैं कि वे “भुखमरी की कगार पर” थे क्योंकि वेतन ना मिलने से किराए और खाना भी मुश्किल से जुटते थे। * पुलिस और प्रशासन की भूमिका अनिश्चित — जब मजदूरों ने हड़ताल की, तब ही हस्तक्षेप हुआ, लेकिन उससे पहले उनकी स्थिति बहुत गंभीर थी। 1. कानूनी प्रवर्तन में तीव्रता - न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत उल्लंघन करने वाले ठेकेदारों पर तत्काल और प्रभावी कार्रवाई जरूरी है। 2. श्रम निरीक्षण तंत्र का सुदृढ़ीकरण - प्रत्येक ब्लॉक/तहसील स्तर पर पर्याप्त और निष्पक्ष श्रम निरीक्षक तैनात किए जाएँ, साथ ही मासिक निरीक्षण कराया जाए।

3. **मजदूरों की संगठित आवाज़ - ट्रेड यूनियनों को स्थानीय स्तर पर सक्रिय बनाना होगा, ताकि मजदूर अपने हक़ के लिए सशक्त बने। 4. डिजिटल भुगतान और वेरिफ़िकेशन - वेतन भुगतान को बैंकिंग प्रणाली से जोड़कर और हस्ताक्षर आधारित रसीद प्रणाली शुरू की जाए, ताकि बिना भुगतान की शिकायतों का स्वतः पता चल सके। 5. प्रशासनिक सतर्कता - सरकारी अधिकारियों को ठेकेदारों और कंपनियों की सूची बनाकर नियमित सत्यापन करना चाहिए। गोपनीय रिपोर्टिंग सिस्टम के जरिये मजदूर सीधे शिकायत कर सकें।

एटा व नज़दीकी जनपदों में मजदूरी मानक का अभाव सिर्फ सरकारी दस्तावेज़ों की देरी नहीं है, बल्कि लाखों मजदूरों की दिहाड़ी-दिहाड़ी जिंदगी की सच्ची कहानी है। नियमित रूप से चार माह तक बिना वेतन काम करना, गिरकर चोटिल मजदूर का हक़ से वंचित रहना और भूख के मरीज़ की पीड़ा हमें याद दिलाती है कि नियम बनाना काफी नहीं — उसे सख्ती से लागू करना ही वास्तविक सुधार है। कानून तो हैं, लेकिन जब तक निरीक्षण, संरक्षण और मजदूरों की आवाज़ को उचित सुरक्षा नहीं दी जाती, एटा जैसे ज़िलों में मजदूरी का मानक एक केवल कागज़ की कसौटी बनकर रह जाएगा। जवाहर तापीय परियोजना के निर्माण में लगे मजदूरों को नहीं मिला 3 माह से वेतन, किया हड़ताल जवाहर तापीय परियोजना में चार हजार मजदूर हड़ताल पर, पावर प्लांट के दोनों गेट पर जड़े ताले, पुलिस से झड़प - | दुर्घटना में घायल मजदूर को नहीं मिली मजदूरी: एटा में दूसरी मंजिल से गिरा था राजमिस्त्री, मालिक ने रोके 25 दिन के पैसे - बाल श्रम रोकने को एटा में चला विशेष अभियान: श्रम विभाग ने निकाली जागरूकता रैली, दुकानदारों को दी कार्रवाई की चेतावनी।