सर्वोत्तम औषधि मन

Mar 6, 2025 - 09:02
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सर्वोत्तम औषधि मन
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सर्वोत्तम औषधि मन:

शांति की मानसिक स्वस्थता के लिए मन की शांति सर्वोत्तम औषधि हैं यह स्वयं द्वारा स्वयं को भी दी जा सकती है ।यह बहुत सरल विधि हैं । इसमें किसी से कुछ कभी नहीं चाहना वह और-और का सदा के लिए ही त्याग कर देना हैं । क्योंकि ईच्छा आकाश के समान अनन्त होती है इसका कोई छोर नहीं होता हैं । हम जो मिल जाता है पुण्योदय से ,उसमें संतुष्टि का अनुभव न कर आपाधापी और दूसरे से जलन ,कि उसके पास मेरे से ज्यादा कैसे हो गया, के नकारात्मक चिंतन से अप्रसन्न रहते है।

तभी एक राजा ,एक धनाढ्य आदि से एक गरीब,फटेहाल और अकिंचन आदि ज्यादा खुश रहता है प्रायः। हम अपना स्टेटस दूसरों का कम करके करना चाहते हैं ,सारी उम्र इसमें गुजार देते हैं और नाखुश रहते हैं,हम अपना स्टेटस दूसरे से ज्यादा अपने काल - भाव स्वास्थ्य आदि के हिसाब से और सही से मेहनत करके, बढाकर नहीं करने की सोचते। इतना ही नहीं,प्रायः देखा जाता है ,जो सद्गुणों से भरपूर होता है ,उससे ग्रहण करने का चिंतन न बनाकर ,वो मेरे से ज्यादा कैसे निकल गया कि ईर्ष्या से नाखुश रहते हैं,हम आत्मावलोकन करे और जो पुण्योदय से मिला है,वो पर्याप्त है,अपने से नीचे को देखे की हमें पुण्योदय से संज्ञी पंचेन्द्रिय मनुष्यभव पाया है, इसका सदुपयोग करके हलुकर्मी हो,जिससे कर्ममुक्ति के नजदीक हम पहुंच सकें। प्राप्त ही पर्याप्त है, सन्तोष परम् सुख है,खुशी का राज है ।

इस तरह हम कह सकते हैं उल्लास की यह जन्म स्थली हमारी ही निर्विकार आत्मा हैं जिसमैं खुशियों की सरिता अपने ही भीतर बह रही है और वो संतोष , सद्भाव , अनासक्ति आदि की लहरियों का लहराता समंदर हैं क्योंकि जब कुछ पाने की इच्छा का ही भाव नहीं होता है तब फिर न मिलने पर तनाव का घाव उसके मन में कभी भी नहीं होगा । प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड )