बहुजन शहीद जातीय आधार पर होते है उपेक्षा के शिकार,भाजपा सरकार नहीं देती उचित सम्मान

Nov 25, 2024 - 18:20
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बहुजन शहीद जातीय आधार पर होते है उपेक्षा के शिकार,भाजपा सरकार नहीं देती उचित सम्मान
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*झांसी पहुंचा शहीद सम्मान रथ यात्रा

बहुजन शहीद जातीय आधार पर होते है उपेक्षा के शिकार,भाजपा सरकार नहीं देती उचित सम्मान।

झांसी (हरिमोहन श्रीवास ब्यूरो चीफ झांसी) उत्तर प्रदेश के जनपद देवरिया में अंग्रेजों से देश को आजाद करने के लिए मौत को गले लगाने वाले अमर शहीद प्रजापति रामचंद्र विद्यार्थी के नाम से बनाए गए संग्रहालय व स्मारक के स्थान पर बहुजन विरोधी सरकार द्वारा पर्यावरण कार्यालय बनाए जाने के विरोध में प्रजापति समाज के लोग विगत एक माह लगातार भूख हड़ताल कर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं। जिसके बाद भी प्रशासन व सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। प्रशासन व सरकार की इस हठ पूर्वक कार्रवाई से दुखी होकर समाज के लोगों ने बहुजन समाज में जन्मे अमर शहीदों को सम्मान दिलाने के लिए *शहीद सम्मान रथ यात्रा* निकालने का निर्णय लिया है।

यह रथ यात्रा 5 नवंबर 2024 से शुरू होकर 5 दिसंबर 2024 को समाप्त होगी। जिसकी अगुवाई बृजेश कुमार प्रजापति राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी युवा मोर्चा एवं पूर्व विधायक तिंदवारी बांदा, दिलीप चौधरी राष्ट्रीय महासचिव अखिल भारतीय संत गाडगे महाराज साहब अंबेडकर मिशन एवं देव रावत राष्ट्रीय अध्यक्ष बहुजन आर्मी द्वारा की जा रही है। आज यह रथ प्रदेश के कई जिलों कस्बों से गुजरता हुआ झांसी जनपद में पहुंचा जहां पर झांसी जनपद की प्रवेश द्वारा पर लगी झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके रथ में आगे बढ़ा। इसके बाद सभी लोगों द्वारा आरटीओ मुख्यालय के पास राष्ट्र संत गाडगे जी महाराज, कचहरी चौराहा पर डॉ अंबेडकर साहब जी इसके पश्चात किले की तलहटी में स्थित वीरांगना झलकारी बाई की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके अलावा अन्य शहीदों को भी नमन करते शहीद सम्मान यात्रा रथ जेल चौराहे होते हुए जनपद ललितपुर के लिए रवाना हुआ।

इससे पहले मीडिया से बातचीत करते हुए बृजेश कुमार प्रजापति जी बताया कि वर्तमान सरकार दलित समाज से जितना भेदभाव करती है उतना ही उस समाज में जन्मे शहीदों के साथ भी करती है ये सरकार दलित विरोधी सरकार है। जिसका जीता जागता उदाहरण अभी हाल ही में मनाई गई रानी लक्ष्मी बाई जयंती है जिसमें प्रदेश के मुखिया योगी जी सहित जयंती तो मनाई गई जिसमें महारानी जी को ही मुख्य योद्धा बनाया गया है अग्रेजों से भारत देश को आजाद कराने के लिए जबकि हकीकत यह है कि महारानी की हमशक्ल वीरांगना झलकारी बाईं ने महारानी की जगह अग्रेजों से युद्ध लड़ा था और वीरगति को प्राप्त हुई थी लेकिन उनकी शहादत को इतिहास में कही कोई स्थान नहीं दिया जाता है। इसके अतिरिक्त भी भारत देश की आजादी में जहाँ सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, रामप्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आजाद, उधम सिंह, वीरांगना झलकारी बाई कोरी को याद किया जाता है।

साथ ही साथ दलित पिछड़े, आदिवासी समाज के अनेकों शहीदों ने अपना जीवन बलिदान दिया है। जैसे वीरांगना उदादेवी पासी द्वारा लखनऊ के सिकन्दर बाग चौराहे के पास पीपल के पेड़ पर चढ़कर छत्तीस अंग्रेज सिपाहियों को गोली से भून देना और अंग्रेज सिपाहियों द्वारा वीरागंना उदादेवी पासी को गोली मार कर शहीद कर दिया था। जलिया बाला बाग हत्या काण्ड में नत्थू धोबी, दुलिया धोबी, बुद्धराम बाल्मीकि, मंगल मोची, दुर्गादास आदि अनेकों अनेक शहीदों के बलिदान से इतिहास भरा पड़ा है। परन्तु जाति वादी मानसिकता के कारण दलितों पिछडो तथा आदिवासियों के त्याग और बलिदान को इतिहास के पन्नों में दबा दिया गया है जिनको कही याद नहीं किया जाता है। वही साथ में चल रहे दिलीप चौधरी जी ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार में दलित आदिवासी समाज में जन्मे महापुरुष जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया है उनका इतिहास कही भी दर्ज नहीं है जहां पर दर्ज भी है तो उसका इतिहास हमेशा खत्म करने का या कम करने का काम किया है।

जिस तरह देवरिया के अमर शाहिद रामचंद्र प्रजापति के पार्क व स्मारक को पर्यावरण कार्यालय में बदला जा रहा है उसी तरह से यहां झांसी में भी संत गाडगे महाराज चौक होने के बाबजूद भी यहां इस चौराहे को अग्रसेन चौक में बदल दिया गया है जिससे संत गाडगे महाराज चौक का अस्तित्व अपने आप ही खत्म हो जाएगा। इस यात्रा के माध्यम से उन्होंने प्रधानमंत्री जी से आग्रह किया है कि बहुजन समाज के शहीदों का इतिहास भी पाठ्यक्रम में शामिल किए जाए। ताकि बहुजन समाज का इतिहास भी लोग पढ़ सके। इस मौके पर हरिमोहन श्रीवास, संजय श्रीवास, के पी सिंह , दयाराम आजाद , महेश शंकर प्रसाद, हरिकिशन रजक, शैलेन्द्र कुमार, राजेंद्र भारती, पंकज मालवीय, रोहिणी प्रजापति पचवारा, रामलाल प्रजापति, रोहित प्रजापति, राजेश दिवाकर, सुरेन्द्र श्रीवास आदि सैकड़ों की संख्या में बहुजन समाज के व्यक्ति उपस्थित रहे।