बिखरे ना हमारा बंधन
बिखरे ना हमारा बंधन
अबकी जो तुमसे बिछड़ा, जीते जी मैं मर जाऊंगा । रहकर जग में चलते फिरते, जिंदा लाश कहलाऊंगा ।।
रह लो शायद तुम मुझ बिन, पर, मेरा जहां तुम बिन सूना । छोड़ तुम्हें अब मैं ना जाऊंगी, भूल गई क्यों कहा ऐसा अपना ?
एक प्रेम तरु के हम दो डाली, बिन हवा कैसे तुम के टूट गई ? तुम्हारे वादों संग चाहा जीना, फिर तुम मुझसे क्यों रूठ गई ?
कभी तुम सुना देती, कभी मैं, लड़ रातें सवेरे एक हो जाते । जिस रात तुम्हें पास न पाया, उस रात मेरे नैना नीर बहाते ।।
सात जन्मों का है जो वादा, हर हाल है उसे निभाना । मिलकर खोजेंगे हम युक्ति, यदि जग बना प्रेम में बाधा।।
अबकी जो तुमसे बिछड़ा, आहत मन से टूट गया हूं । पढ़ रही हो तो वापस आओ, तुम बिन मैं अधूरा हूं..... ।।
मुझसे रिश्तों पर जो चूक हुई, उस पर कर रहा कर वंदन । जो भूल हुई उसे बिसरा दो, ताकि बिखरे ना हमारा बंधन ।।
*अंकुर सिंह* हरदासीपुर, चंदवक जौनपुर, उ. प्र. -222129