रखो तन-मन स्वस्थ रहो सदा मस्त

Aug 10, 2023 - 09:32
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रखो तन-मन स्वस्थ रहो सदा मस्त
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रखो तन-मन स्वस्थ रहो सदा मस्त

 तन की स्वच्छता मन की शुद्धि के बिना अधूरी है।जब तक हमारे विचार निर्विकार नहीं होंगे ,कषायों की मलिनता हमारे अंदर से नही जाएगी उसके लिए हमें सतत प्रयत्न जागरूक रहकर करना होता है । उसमें कंसिस्टेंसी जरूरी है, हमारे कषाय इससे उपशान्त होते होते धीरे धीरे मिटते है।

साथ मे निर्वाचार होने की साधना कोभी साधना होता है ।तब सब स्वस्थ हो जाता है और आत्मा भी निर्मल होती जाती है,तन और मन के साथ। कहते हैं कि हो नित आसन, व्यायाम और प्राणायाम । शरीर संसार सागर से तारने की नौका हैं । नौका को मजबूत बनाने का कोई भी मौका छोडना नही चाहिए। आसन, व्यायाम और प्राणायाम से कर लो वायदा। प्रतिदिन करने से होगा इनसे फायदा। दिल और दिमाग बन सशक्त पतवार,शरीर के सभी अंग बने सक्रिय।

स्वस्थ तन और मन से ही आत्मा रा कारज सरै। आसन, व्यायाम और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या मे अवश्य जोडे। पूज्यप्रवर प्रायः अपने प्रवचन में फ़रमाते हैं की हमें जो जीवन प्राप्त हुआ है उसको टिकाये रखने के लिए हम खाएं, खाने के लिए न जीयें । भोजन भी करें तो ऐसा जो स्वास्थ्य व साधना दोनों के अनुकूल हो| हमारा आनंद भोजन में नहीं भजन में हो |

भोजन हितकर, मितकर व रिटकर हो व उसे हम शांति के साथ करें | स्तर-स्तर की अंधाधुँध दौड़ में जीवन की हर अंधी चाह-आकाँक्षा, के पीछे ना भाग जीवन गँवाओँ।।सरल सादगी पूर्ण स्वस्थ उत्सव मनाए। अपना शरीर ही सबसे महत्वपूर्ण है । हो सदा उसे हमारी स्वस्थ रखना कि प्राथमिकता बाकी सब गौण।क्योंकि शरीर है तो सब है इसलिये समय पर खाएँ, समय पर सोएँ। प्रातः भ्रमण, व्यायाम, प्राणायाम-योग आदि का रखें नियमित सुयोग। प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )