नारी शक्ति और उसका साहस है जीवन दर्पण
नारी शक्ति और उसका साहस है जीवन दर्पण
कहानी -
नारी शक्ति और उसका साहस है जीवन दर्पण
ग्रीष्म ऋतु का मई का महीना था । रात के 3: बजे का समय था। हल्की हल्की ठंडी हवा चल रही थी। शहर कोतवाल विक्रम सिंह जब फूलबाग के पास से निकल रहे थे तो उन्होंने देखा- एक युवती सड़क की ओर पीठ किए हुए कोई उपन्यास पढ़ रही है । युवती अपने पीठ पर बैग बांधे हुए हैं। युवती किसी की प्रतीक्षा में है और घर से भागी हुई जान पड़ती है । शहर कोतवाल फोर्स के साथ पार्क के अंदर पहुंचे और ब्रांच पर बैठी हुई युवती से पूछा-- इतनी रात मे तू अकेली क्यों बैठी है? क्या तू किसी लड़के के साथ भागने की तैयारी कर रही है ?
शहर कोतवाल को देखकर लड़की सकपका गई । ब्रंच से उठ खड़ी हुई और डरी हुई आवाज में बोली- मैं सफाई कर्मचारी गोवर्धन की बेटी हूं । किसी के साथ भागने की तैयारी में नहीं हूं। मेरे घर की बिजली कटी हुई है। इसलिए पार्क मेंआकर पढ़ाई कर रही हूं ।शहर कोतवाल लड़की की बात को सुनकर कुछफिर नरम हुए और बोले - पार्क की बिजली से ही अगर पढ़ना था तो सुबह 5: बजे आती और पार्क में बैठ कर मन लगाकर पड़ती। लड़की बोली -कोतवाल साहब बात कुछ यह है कि मुझे 5: बजे के बाद ऑफिसर कॉलोनी तथा सिविल लाइन रोड की सफाई करनी है ।
क्योंकि मेरे पिता बीमार पड़े हुए हैं और उन की एवज मैं ही सफाई करती हूं। पार्क की रोश नी में आकर पढ़ लेती हूं। बाद में सफाई करने चली जाती । युवतीऔर शहर कोतवाल को पार्क में देख कर सीओ सिटी शकुंतला ने अपनी गाड़ी को सड़क पर खड़ी करके पार्क के अंदर मय फोर्स के पहुंच गई और शहर कोतवाल से बोली- क्या माजरा है? शहर कोतवाल ने पहले सीओ सिटी को सेल्यूट मारा फिर बोला - सर यह युवती बड़ी अजीब है ।कहती है मेरे घर की बिजली कटी हुई है ।मेरे पितासफाईकर्मचारी है जो बीमार है ।उनकी एवज में मैं सफाई करती हूं और इस पार्क में आकर पढ़ लेती हूं। सीओ सिटी शकुंतला ने युवती के सिर पर हाथ फेरा और कहा- बेटी घबराओ मत।
मैं तुम्हारे पूरी बात को समझ चुकी हूं। कल तुम्हारे घर कीबिजली जुड़ जाएगी ।तुम्हारे पिता की छुट्टी भी मंजूर हो जाएगी । योगी सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए तमाम योजनाएं बनाई है ।उन योजनाओं के अंतर्गत तुम्हारे पिता का इलाज भी हो जाएगा ।उनको इलाज के लिए एडवांस भी मिलेगा। तुमहमारेकार्यालय में आ जाना ।मैं तुम्हारी पूरी व्यवस्था कर दूंगी । मैं भी गरीब परिवार से आई हूं और गरीबों के दुख को जानती हूं ।मेरे पिताजी सरकारी दफ्तर में चपरासी थे ।अब वो रिटायर हो चुके हैं और मेरे पास ही रहते हैं ।
सीओ सिटी की सहानुभूति की बातों को सुनकर लड़की सीओ सिटी के पैर छूने के लिए बड़ी तो सीओ सिटी ने उसके हाथ पकड़ लिए और बोले- तुम मेरी छोटी बहन हो । तुम पढ़ाई करके आईएएस बनना चाहती हो तो बहुत अच्छी बात है ।मेरा छोटा भाई विपिन कुमार भी आईएएस की तैयारी कर रहा है। तुम मेरे घर पर कभी आ जाना। वह तुम्हारी किताबों की तथा तुम्हारी पढ़ाई में सहायता कर देगा । सीओ सिटी शकुंतला लड़की को सांत्वना देने के बाद कोतवाल से बोली- इस युवती को को घर तक छोड़ आओ और कल इसे मेरे कार्यालय में लाना। युवती ने हाथजोड़कर सीओ सिटी से कहा -जब तक नई व्यवस्था नहीं हो जाती है तब तक मैं पिता की ड्यूटी करती रहूंगी।
सीओ सिटी युवती की बात को सुनकर बहुत प्रसन्न हुई और बोली - बेटी तुम्हारा क्या नाम है तुम किस क्लास में पढ़ती हो ?लड़की बोली - मै एम ए फाइनल में हूं और आईएस की तैयारी भी कर रही हूं ।मेरे बैग में आईएस की तैयारी की किताबें हैं। शहर कोतवाल ने मुझे गलत समझ लिया था।अपनी ड्यूटी का सही एग्जाम देने के लिए मुझसे पूछताछ कर रहे थे। मैंने शहर कोतवाल साहब की बात का बुरा नहीं माना है। सीओ सिटी युवती की बातों को सुनकर मुस्काई और कहा - तुम मेरे दफ्तर में जरूर आ जाना । युवती ने झाड़ू और अपनी कूड़े की गाड़ी ली और सफाई करने के लिए चल दी। चलते चलते सीओ सिटी कोतवाल से बोली- तुम इस युवती का घर देखना और इसको मेरे कार्यालय में लाना ।
युवती का साहस और हिम्मत देखकर मैं बहुत खुश हूं । लड़की रूप रंग में बहुत सुंदर है और आकर्षक जवान है । इसलिए इस की सुरक्षा के लिए जब तक यह सफाई करेगी दो सफाई इसके आगे पीछे रहेंगे ।इतना कहकर सीओ सिटी शकुंतला चली गई। सीओ सिटी के जाने के बाद शहर कोतवाल ने युवती का नाम और उसके घर का पता पूछा। युवती ने बताया उसका नाम मोहनी है और वह रघुवीर पुरी रहती है। युवती का नाम पता पूछने के बाद शहर कोतवाल उसकी सुरक्षा के लिए 2 सिपाही छोड़कर चले गए ।मोहनी गलियों की सफाई करने में जुट गई ।जब वह गलियों की सफाई करने के बाद घर जाने लगी तो एक सिपाही ने उससे पूछा- तुम इतनी सुंदर हो तुम्हें फिर भी किसी मनचले लड़के का डर नहीं लगता है ।तुम इतनी गई रात में इस सुनसान पार्क में आकर बैठ जाती हो।
क्या तुम्हें कभी किसी लड़के ने नहीं छोड़ा ,? युवती सिपाहियों की ओर देख कर हंसी मुस्कुराते हुए बोली- तुम ठीक पूछ रहे हो । भगवान जब नारी को रंग रूप सुंदरता देता है तो उसके आगे पीछे रूप रंग के लोभी भौरे मडराने लगते हैं। नारीको शक्ति की रणचंडीभी कहा गया है । एक बार रात के समय जब पार्क में बैठकर जब पढ़ाई कर रहीथी तो 2 मनचले आकर मुझे छेड़ने लगे। पहले तो मैं कुछ नहीं बोली। उन्हें देखकर मुस्काती रही ।वह लड़के मुझे सीधी-सादी समझने लगे । मैंने उन्हें ब्रांच पर अपने पास बैठा कर जब उनके कहने पर उन्हें अपना मोबाइल नंबर पता देने अपने बैग में हाथ डाला तो वह कुछ समझ नहीं पाए। मैंने जब चाकू निकालकर उन पर वार किया तो घायल हो गए और अपनी जान बचाकर भाग गए ।
मैं हर समय अपने साथ चाकू रखती हूं और हर लड़की से यही कहती हो कि वह अपने पास चाकू अवश्य रखें। जिससे वह अपनी रक्षा कर सकें ।एक बार मैं रात के समय बेंच पर बैठी हुई पढ़ रही थी। तभी एक मजनू टाइप के कट्टा लिए हुए मेरे सामने आकर खड़े हो गए और मुझसे बोले -उठो मेरे साथ झाड़ियों में चलो।नहीं मैं तुम्हारे गोलीमार दूंगा ।मैंने उनका हाथ पकड़ा और अपने पास बिठाया और कहा इतनी जल्दी क्या है ?पहली नजर में ही देख कर तुम पर मोहित हो गई हूं। झाड़ियों में चलना ठीक नहीं है। लोग आ जा रहे हैं। तुम मेरे घर का पता और मोबाइल नंबर ले लो। घर पर आ जाना। लड़का खुश हो गया और वह मुझसे चिपट कर बैठ गया। मैंने उस का सिर अपनी जांघ पर रख लिया। लड़का बड़े मजे से ब्रांच पर लेट गया। मैंने उसके हाथ से तमंचा लिया फायर किया और तमंचे को फेंक दिया ।
इसके बाद बैग से कागज निकालने के बहाने जब मैंने 9 इंच चाकू निकाला और उसकी छाती पर रखकर कहा-- बता क्या तुझे मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए ? मैंने उसके कंधे पर बार किया। कंधे पर चाकू लगने के कारण उसके कंधे से खून निकलने लगा ।वो खून देखकर एकदमघबराकर उठा और भाग निकला । युवती ने कहा -लड़की मे अगर साहस हिम्मत है तो वह हर विपत्ति कासामना कर सकती है ।मेरे साथ अनेक बार ऐसी घटनाएं हुई लेकिन मैंने हमेशा साहस बुद्धि से काम लिया । कोई भी अपराधी कैसा हो अपराधी का दिल हमेशा बहुत कमजोर रहता है।
तुलसीदास ने कहा है कोई भी आदमी जब गलत रास्ते पर चलता है तो उसका दिल कमजोर होता है । बल नहीं रहता है। रावण जैसा महाबली भी जब सीता की कुटिया में पहुंचा था तो बल हीन हो गया था । सिपाहियों ने युवती के मुंह से साहस के किस्से सुन कर कहा- तुम जितनी मोहनी हो उतनी ही रणचंडी हो,। तुम निश्चित,पुलिस विभाग की एक बहुत बड़ीअधिकारी होगी। युवती मुस्कुराई और बोली- कोशिश तो यही कर रही हूं कि गरीब की बेटी आईएस हो जाए और गरीब की मदद कर सके। घर पर जाकर 20 वर्षीय युवती मोहनी ने माता-पिता को रात की सब बात बताई तो उसके पिता बोले -बेटी कल से सफाई करने नहीं जाओगी। मैं तो बीमारी हालत में नहीं जान पाया कि तुम अपनी पढ़ाई करने तथा सफाई का काम करने के लिए रात में चली जाती हो ।मोहनी अपने पिता सेजब बात कर रही थी। दिन के 12बज रहे थे । तभी किसी ने बाहर से कुंडी खटखटा की।
मोहनी की माता उठकर बाहर गई उन्होंने देखा बिजली विभाग के कर्मचारी तथा नगरपालिका के बड़े बाबू खड़े हुए हैं। बिजली विभाग के कर्मचारियों ने घर के अंदर जाकर कटी हुई बिजली को जोड़दिया। घर मेंबिजली चमकउठी ।पूरे घर में प्रकाश छा गया ।नगरपालिका के बड़े बाबू ने मोहनी के पिता को 50, हजार एडवांस का चेक दिया और कहा तुम्हारी छुट्टी सैंक्शन हो गई है। जब अच्छे हो जाओ तब ड्यूटी पर आना ।अपना इलाज कराओ। सीओ सिटी शकुंतला देवी की मेहरबानी सेमोहनी के परिवार में खुशहाली आ गई । शाम के समय मोहनी तीन मिठाई के डब्बा लेकर सीओ साहब के क्वार्टर पर पहुंची। सीओ साहब तो नहीं मिली। इस लिए सीओ साहब की बूढ़ी मां के हाथों में मिठाई के पैकेट देते हुए मोहनी बोली -मां तुम्हारी बेटी सीओ बहुत दयावान है ।
सीईओ की बूढ़ी मां बोली -बेटी ने रात में ही आकर मुझे सब बातें बताई थी। मैं अपनी बेटी से यही चाहती हूं कि वह जीवन भर गरीबों की मदद करें। सीओ साहब की मां मोहनी से बात कर रही थी ।तभी सीओ का 22 वर्षीय भाई विपिनकुमार मां के सामने आकर खड़ा हो गया और मां से बात कर रही युवती मोहनी को घूर घूर कर देखने लगा ।मोहनी भी सीओ की मां से बात करना छोड़ कर कट्टे कट्टे नौजवान युवक की ओर देखने लगी। पहली ही नजर में मोहनी और सीओ के छोटे भाई विपिन कुमार में एक दूसरे के प्रति आपसी आकर्षण पैदा हो गया । विपिन कुमार मोहनी से कुछ कह नहीं जा रहा था ।
तभी सीओ सिटी शकुंतला आ गई और मोहनी की ओर देखते हुए अपने भाई विपिनकुमार से बोली-- यह मोहनी भी आईएस की तैयारी कर रही है। यह अपने घर पर आती जाती रहेगी ।तुम्हें इसकी मदद करना है ।विपिन बोला- मेरे पास जो भी आईएएस कोर्स की किताबें हैं इसे देता रहूंगा ।विपिन कुमार की बात को सुनकर मोहनी खुश हो गई। वह यही चाहती थी कि उसे विपिन से मिलने-जुलनेका मौका मिलता रहे । मोहनी विपिन कुमार के हटते कट्टे शरीर को देखकर उसके प्रति आकर्षित हो गई थी। मोहनी विपन के घर आने जाने लगी। बहुत बहुत देर तक मोहनी और विपन आपस में बातचीत करने लगे और दोनों में मौन प्यार धीरे-धीरे बड़े बैग से पनपने लगा ।
मोहनी तो अपनी यौवन मादकता पर नियंत्रण कर रही थी और अपने आईएएस की तैयारी भी कर रही थी ।लेकिन विपिन कुमार मोहनी कि रूप सौंदर्य के ख्यालों मेंहमेशा खोया रहता था और उसका मन आईएस की तैयारी में नहीं लग रहता था। विपिन कुमार के मन की कामुकता उसे हरदमसताती रहती थी। एक दिन ऐसा हुआ सीओ अपनी मां को लेकर किसी के यहां शादी समारोह में गई हुई थी। घर पर अकेला विपिन कुमार ही रह गया था।आईएएस की कुछ किताबें लेने के लिए मोहनी विपिन के घर आ गई ।मोहनी को देखकर विपिन बहुत खुश हो गया। उसने दरवाजे की कुंडी बंद करके मोहनी को अंदर केकमरे में ले गया। उसे पलंग पर बिठाकर उसके पास विपिन खुद बैठ गया। विपिन धीरे धीरे मोहनी को अपने बाहुपास में लेकर उससे चिपकना चाहता था ।
विपिन के शरीर में कामुकता जागृत हो रही थी। मोहनी विपिन के हाव भाव से यह सब जान रही थी इसलिए वह उससे अलग हटकर खड़ी हो गई और विपिन से बोली- अपनी कामुकता पर नियंत्रण करो । अपनी शारीरिक भूख मिटाने के लिए यह क्या करने जा रहेहो? विपिन पलंग से खड़ा हो गया है और कामिनी का हाथ पकड़कर उसको पलंग पर बैठाने के लिए मजबूर करने लगा । कामिनी ने विपिन को धक्का दिया और अलग खड़ी होकर उसने अपने बैग से से चाकू निकाल लिया और बोली -मैं विपिन तुम को जितनी प्यार करती हूं आज अपने सतीत्व को बचाने के लिए तुम्हारी हत्या भी कर सकतीहू । विपिन तुझे मैं समझा रही हूं इस शारीरिक भूख मिटाने से तेरा भविष्य अंधकार में पड़ जाएगा और तेरी बहन शकुंतला के सपने टूट जाएंगे ।मैं न ऐसा करूंगी औरमैं तुझेभी ऐसा न करने दूंगी।इतना कह कर मोहनी ने बाहर का दरवाजा खोला और चली गई।
मोहनी के जाने के बाद विपिन उठा और पलंग पर बैठकर अपनी की हुई गलती पर सोचने लगा और कामिनी की नसीहत मानकर आईएएस की तैयारी में लग गया ।कामिनी और विपिन दोनों ने आईएएस की परीक्षा दी औरदोनों सफल हुए। विपिन कुमार आईएएस की परीक्षा में सफल होने पर मिठाई का डब्बा लेकर कामिनी के घर पहुंचा और कामिनी को मिठाई का डब्बा देते हुए कहा- तुम्हारी नसीहत से ही मैं आईएएस की परीक्षा में पास हो गया हूं। तुम भी आईएएस की परीक्षा में उत्तीर्ण हो गई हो। मैं तुम्हें बधाई देता हूं ।कामनी विपिन कुमार को देखकर मुस्कुराई और बोली- अब हम दोनों ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है ।
अब तुम जो मुझसे मांगोगे मैं खुशी -खुशी से तुम्हें दे दूंगी। विपिन कुमार मुस्कुराता हुआ बोला -मुझे तुम्हारा केवल साथ चाहिए कुछ नहीं चाहिए ।मोहनी बड़ी जोर से हंसी और बोली-- सात फेरो के बाद वो भी मिल जाएगा ।लेकिन हम दोनों को अपने माता पिता से आज्ञा भी लेने पड़े गी । तभी हम दोनों साथ-साथ जीने का मौका पा सकेंगे। मोहनी और विपिन कुमार ने अपने अपने माता-पिता की रजामंदी से धूमधाम से शादी की। सीओ सिटी शकुंतला ने दोनों को आशीर्वाद दिया। नारी की शक्ति और उसका साहस है जीवन दर्पण जोमानव जीवन को दिखाता है उत्थान का रास्ता।
बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी
What's Your Reaction?
![like](https://suragbureau.com/assets/img/reactions/like.png)
![dislike](https://suragbureau.com/assets/img/reactions/dislike.png)
![love](https://suragbureau.com/assets/img/reactions/love.png)
![funny](https://suragbureau.com/assets/img/reactions/funny.png)
![angry](https://suragbureau.com/assets/img/reactions/angry.png)
![sad](https://suragbureau.com/assets/img/reactions/sad.png)
![wow](https://suragbureau.com/assets/img/reactions/wow.png)