265 वां भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस पर मेरे भाव -

Apr 16, 2024 - 09:34
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265 वां भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस पर मेरे भाव -
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265 वां भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस पर मेरे भाव -

भिक्षु स्वामी की शरण भारी जगत में कुछ भी सार नहीं है । करे हम क्यो इतनी नादानी ।

शिरोधार्य करे समता धर्म को ।

आत्मा हो जाती भव पार ।।

भिक्षु स्वामी की शरण भारी ।

हम पढ़ते धर्म - ग्रंथ नित नियम से लेकिन जीवन का घट रीत गया ।

अमृत तजकर विष को है पिये तो जीवन का कैसे हो उद्धार ।।

भिक्षु स्वामी की शरण भारी ।

मंदिर में हम जाते भक्ति दिखाते आदर्शों की बात बनाते लेकिन जीवन

व्यवहार में हम खोट चलाते तो कैसे होगा आत्मा के भव का सुधार ।

भिक्षु स्वामी की शरण भारी । मैंत्री के जब फूल खिलेंगे ।

 सभी परस्पर मिल रहेंगे ।

समता के उर दीप जलेंगे तो बहेगी अमृत धार ।

भिक्षु स्वामी की शरण भारी ।

अप्रमत बन मन को समझा ले ।

अहंकार को दूर हटा ले ।

सोचा दृढ़संकल्प जगा ले और क्रोध की दीवार तोड़ दे । 

भिक्षु स्वामी की शरण भारी ।

प्रदीप छाजेड़

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