जीने का आनन्द
जीने का आनन्द
जर्जर कस्ती के सहारे तूफानों से लङने का इरादा है।लङखङा रहे हैं कदम पर दूर तक चलने का वादा है।कैसे कोई जी सकता है निरोग, निरामय,आनन्द का जीवन ? जब जीवनशैली के प्रति जागरूकता कम,उदासीनता ज्यादा है।जीवन का यही संघर्ष है मन के पिछे भागे तो होगा अजीब विरोधाभास और आत्मा जागे तो होगा सही पुरूषार्थ।
जीवन जीने का सही फार्मुला होगा हमारे पास। जो खुशी से जीवन जीता है वह हमेशा आनंद का रस पीता है ।जो दूसरों को दुखी करता है वह खराब कर्मों का बंधन करता है ।जो सकारात्मक सोच रखता है वह हमेशा प्रसन्न रहता है । जो दूसरों को दोष देता है वह नेगेटिव सोच वाला बन जाता है ।
कोई भी इंसान धन से ना सही परन्तु सोच से तो धनी बन सकता है। इस धरती पर इंसान ईश्वर की बहुत ही सुन्दर देन है। हमारे चारों और सुन्दर वातावरण है। ईश्वर ने हमें स्वस्थ्य मष्तिष्क दिया है। अब हम अपने आप को अपनी शक्ति को कैसा देखते हैं अपने चारों और के वातावरण को कैसा महसूस करते हैं और दिमाग में किन विचारों को ग्रहण करते हैं, यह सब तो अपने आप पर ही निर्भर करेगा ।
भगवान महावीर के जीवन में सम्भाव से रहने के विचार हमको उत्साहित करते है व सीख देते है।लेकिन इन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की हर विचार हमको एक सुंदर और सार्थक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है ।क्योंकि हमारी जिंदगी एक आईने की तरह है यह हमारे साथ तभी मुस्कुराएगी जब हम मुस्कुराएँगे। जब इस बात की गहराई हमारे समझ में आ जाएगी तभी जीवन की सार्थकता हमको ह्रदयंगम हो पाएगी।
प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )