रेवड़ी कल्चर और महिला वोटर्स बनीं X फैक्टर, मोदी ब्रांड
पाँच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बाद आज परिणाम सामने हैं।
बीजेपी ने तीन राज्यों में बंपर जीत हासिल की है। तेलंगाना में पार्टी भले ही विजय पताका नहीं फहरा पाई है, लेकिन वहां पर भी केसीआर का विजयरथ रोककर उनकी हैट्रिक लगाने की महत्वकांक्षा पर पानी फेर दिया है।
पांचवें राज्य मिजोरम के चुनाव परिणाम अभी सामने नहीं आए हैं. यहां सोमवार को मतगणना होगी, लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत ने जहां एक तरफ पार्टी और कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है तो वहीं अन्य पार्टियों समेत देशभर के लिए 2024 के लोकसभा चुनावों से ऐन पहले एक बड़ा लिटमस टेस्ट भी साबित हुआ है।
विधानसभा चुनावों में बीजेपी के जीत के क्या मायने हैं और इससे क्या बड़े चुनावी संदेश निकलते हैं, डालते हैं इन पर एक नजर.. ब्रांड मोदी की चमक भरपूर विधानसभा चुनावों को लेकर जो सबसे बड़ी बात कही जा रही थी कि अब मोदी लहर नहीं रही, और उनके नाम पर चुनाव लड़ा जाना और जीतना मुश्किल है. ऐसी सभी बातें हवा हो गईं हैं. बीजेपी ने तीनों राज्यों में बिना किसी सीएम फेस के चुनाव लड़ा. छत्तीसगढ़ मे भूपेश बघेल निवर्तमान सीएम थे, जीत होने पर उन्हें ही सीएम उम्मीदवारा माना जा रहा था, यहां विजय बघेल को उनके टक्कर में खड़ा जरूर किया, लेकिन वह चुनावी सीएम फेस नहीं थे।
पूर्व सीएम रमन सिंह को लेकर भी कहीं भी ऐसी बात नहीं की गई. मध्य प्रदेश में भी जहां, बीजेपी ने चुनाव जीत कर सरकार बरकरार रखी है, वहां भी मौजूदा सीएम रहे शिवराज, इस बार के सीएम फेस नहीं थे. कुल मिलाकर बीजेपी बिना चेहरे के आई।
वोट सिर्फ पार्टी के नाम पर पड़े, पीएम मोदी की लहर कायम रही और पार्टी ने तीनों राज्यों में बहुमत हासिल कर लिया. इन चुनावों परिणामों ने यह भी साबित किया है कि कहीं भी एंटी एंटी इनकंबेसी यानी सत्ता विरोधी लहर जैसी कोई चीज नहीं है। हिंदी पट्टी में कांग्रेस की जमीन खिसकी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के आए परिणामों से एक बात साफ है कि हिंदी पट्टी से कांग्रेस की जमीन खिसक चुकी है।
यहां के कोर वोटर से कांग्रेस का मोहभंग हो चुका है. ऐसे में जहां-जहां कांग्रेस की सरकार है भी, वहां से भी पार्टी के पांव उखड़ते नजर आ रहे हैं. अभी के दौर में सिर्फ हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस को शिकस्त मिल चुकी है।
दूसरी ओर बीते साल पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों में वहां की जनता ने कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखाया और आम आदमी पार्टी को सत्ता सौंपी. ये नतीजे स्पष्ट तौर पर ये दिखाते हैं कि हिंदी पट्टी के लोगों का कांग्रेस से मोहभंग हो चुका है. साउथ में कांग्रेस अब भी विकल्प हाल के हुए चुनावों में कांग्रेस तीनों प्रमुख राज्यों को हार चुकी है. सिर्फ तेलंगाना में ही पार्टी को जीत मिली है. यानी हिंदी पट्टी से कांग्रेस का मोह भंग हुआ है, लेकिन दक्षिण में वह विकल्प के तौर पर उभरी है. कर्नाटक के बाद अब तेलंगाना में भी कांग्रेस की सरकार है।
अब तेलंगाना की जीत कांग्रेस को आंध्र प्रदेश में भी बढ़त बनाने में सहयोग कर सकती है. यहां कांग्रेस की गारंटी योजना काम कर गई. कांग्रेस ने बेरोजगारों को चार हजार रुपये, महिलाओं को ढाई हजार रुपये, बुज़ुर्गों के लिए चार हजार रुपये पेंशन और किसानों को 15 हजार रुपये देने का वादा किया है. ऐसे में दक्षिणी राज्यों में कांग्रेस एक विकल्प के तौर पर उभरी है।
रेवड़ी कल्चर का भरपूर असर इस चुनाव परिणाम ने एक बात और साबित कर दी है कि रेवड़ी कल्चर से जनता बुरा नहीं मान रही है, बल्कि यह उन्हें लुभाने और उन्हें अपनी ओर खींचकर वोट में बदलने का सबसे सटीक जरिया है. बशर्ते अन्य फैक्टर भी ठीक से काम कर जाएं. बीजेपी के साथ एमपी-राजस्थान में ऐसा ही हुआ।
मध्य प्रदेश में लाडली योजना लाकर बीजेपी बाजी मार गई. राजस्थान में केजी से पीजी तक की पढ़ाई फ्री और 450 रुपये में गैस सिलेंडर का वादा भी लोगों के बीच काम कर गया. छत्तीसगढ़ में चरण पादुका योजना और विवाहिता को 12 हजारा सालाना देने का वादा भी प्रभावी रहा. इसी तरह तेलंगाना में कांग्रेस के वादे भी लोगों के बीच पॉपुलर हुए और इसने जनता को पोलिंग बूथ तक खींच लाने की ताकत दिखाई।
न सिर्फ जनता पोलिंग बूथ तक पहुंची, बल्कि ये भीड़ वोट में भी बदली. नतीजा सामने है। महिला वोटर बन रहीं एक्स फैक्टर बदलते दौर में महिलाएं चुनाव जिताने के लिए अहम X फैक्टर साबित हो रही हैं. आधी आबादी का वर्ग जाति-धर्म से अलग है और एक जैसा जनादेश देने वाला साबित हुआ है. समाज में महिलाओं की समस्याएं प्राथमिक तौर पर एक ही हैं और राजनीतिक दलों ने इन्हें ठीक से समझना शुरू कर दिया है।
केंद्र सरकार ने इसी मौके को भुनाने के लिए हाल ही में नारी वंदन अधिनियम लाकर विधानसभा-लोकसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दी है. मध्य प्रदेश में लाडली लक्ष्मी योजना, राजस्थान में 450 रुपये में सिलेंडर देने का वादा, छत्तीसगढ़ में विवाहिता को 1200 रुपये सालाना देने का वादा और तेलंगाना में कांग्रेस द्वारा महिलाओं को ढाई हजार रुपये दिए जाने का वादा महिला वोटर्स के प्रति पार्टियों के विशेष रुझान बढ़ने का उदाहरण है. आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव में ये फैक्टर और बड़े पैमाने पर अहम साबित होता दिख रहा है।