प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के माध्यम से आ रहा व्यापक बदलाव
प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के माध्यम से आ रहा व्यापक बदलाव
25 वर्षों के विकास रोडमैप से घबराया विपक्ष
मृत्युंजय दीक्षित
विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात की एक सफल यात्रा करी। कुछ समय से प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं एक परिवर्तन देखा जा रहा है अब उनकी विदेश यात्राएं समय की दृष्टि से छोटी हो रही हैं किंतु अब वे एक साथ कई देशों की यात्रा पर जा रहे हैं। अमेरिकी यात्रा के साथ मिस्र की यात्रा की और फ्रांस के साथ संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा इसका उदहारण हैं ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फ्रांस की राजधानी पेरिस में भव्य स्वागत हुआ और उनको फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “द ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ आनर” से भी सम्मानित किया गया जबकि संयुक्त अरब अमीरात में प्रधानमंत्री मोदी को वहां के राष्ट्रपति ने हाथ में फ्रैंडशिप बैंड बांधकर सम्मान करते हुए भारत और यूएई के मध्य संबंधों के प्रगाढ़ होने का संकेत भी दिया।
प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा - प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की यह पांचवी फ़्रांस यात्रा थी। इस बार प्रधानमंत्री जी फ्रांस की नेशनल परेड के मुख्य अतिथि भी रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़्रांस के भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण बातें कहीं जिनका प्रभाव काफी दूर तक जा रहा है । प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में जी 20 की अध्यक्षता व भारत मेंआयोजित हो रही बैठकों का उल्लेख किया और चंद्रयान- 3 की भी चर्चा।
उन्होंने एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत ने करीब 42 करोड़ देशवासियों को गरीबी की रेखा से बाहर निकाला है।उन्होंने कहाकि भारत अगले 25 वर्षों में विकसित देश होने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। आज हर इंटरनेषनल एजेंसी कह रही है कि भारत आगे बढ़ रहा है। अब भारत में निवेश का अवसर है। उन्होंने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि अब फ्रांस में तमिल कवि और संत तिरुवल्लुवर की की प्रतिमा लगेगी। उनकी लिखी पुस्तक तिरुक्कुरल दुनियाभर में लोकप्रिय है और उसका कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
इस माध्यम से उन्होंने तमिलनाडु की जनता को भी संदेश दिया है इसके पूर्व प्रधानमंत्री ने अमेरिका में भी तमिल साहित्य और भाषा की लोकप्रियता और विशेषता बताकर तमिलनाडु की जनता का दिल जीतने का प्रयास किया है। भारत सरकार ने फ्रांस सरकार की सहायता से मार्सिले में एक नया वाणिज्य दूतावास खोलन का निर्णय लिया है। वहां पर अध्ययन करने वाले छात्रों को अब पांच वर्ष का अध्ययन वीजा दिये जाने की घोषणा भी की गई है। भारत और फ्रांस के मध्य अब यूपीआई के माध्यम से डिजिटल पेमेंट की भी व्यवस्था प्रारम्भ हो रही है।
भारत और फ्रांस के पारस्परिक सम्बन्ध 300 वर्षो से लगातार चले आ रहे हैं और समय के साथ प्रगाढ़ हो रहे हैं। जब- अटल जी की सरकार के समय भारत ने परमाणु परीक्षण किये थे उस समय फ्रांस ही एकमात्र ऐसा देश था जिसने भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था और भारत के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहा था। फ़्रांस संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित सभी अंतरर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के साथ सदा खड़ा दिखाई देता है। वर्तमान समय में भारत- फ्रांस के मध्य रक्षा सम्बंध भी लगातार प्रगाढ़ हो रहे हैं। फ्रांस ”मेक इन इंडिया“ और ”आत्मनिर्भर भारत“ में महत्वपूर्ण भागीदार बन रहा हैं। भारत और फ्रांस सौर ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी फ्रांस भारत के साथ खुलकर खड़ा है।
भारत और फ्रांस के मध्य 26 लड़ाकू राफेल- एम लड़ाकू विमान खरीदने सहित नौसेन के लिए 3 स्कार्पीन क्लास सबमरीन खरीद का ऐतिहासिक समझौता हुआ है जिससे भारतीय सेना की ताकत बढ़ेगी।आज भारत और फ्रांस के मध्य जो रक्षा समझौते हो रहे हैं उससे भारत के शत्रु राष्ट्रों में बेचैनी है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की यात्रा - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात की भी एक दिवसीय यात्रा की। इस छोटी के बड़े राजनैतिक निहितार्थ थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूएई में भी भव्य स्वागत हुआ। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद नाहयान की वार्ता के बाद संयुक्त बयान के अनुसार दोनों क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी रूपों में सीमा पार आतंकवाद सहित उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा करने पर सहमत हो गये हैं। दोनों देशों के रक्षा आदान प्रदान, अनुभवों को साझा करने प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण को बढ़ाने पर भी सहमति जताई गयी है।सभी प्रकार के उग्रवाद घृणास्पद भाषण भेदभाव को त्यागने की आवश्यकता पर बल दिया गया। भारत और यूएई के मध्य भी कई समझौते हुए हैं जिसमें दोनों देश भारतीय और यूएई की मुद्राओं क्रमशः रुपएऔर दिरहम में व्यापार करेंगे। इससे भुगतान में कम समय लगेगा और मुद्रा बाजार में रुपये- दिरहम में निवेश करने का विकल्प भी खुलेगा। पर्यटन भी सुविधाजनक होगा।दोनों देशों के बीच डिजिटल भुगतान मैसेजिंग सिस्टम यानी भारत के यूपीआई और यूएई के भुगतान प्लेटफार्म आईपीपी को आपस में जोड़ा जायेगा। इससे दोनों देशों की जनता को एक- दूसरे देश में कार्ड लेनदेन पर कोई अतिरिक्त चार्ज भी नहीं लगेगा। आइआइटी दिल्ली अबू धाबी (यूएई) में अपना पहला कैंपस खोलेगा।
यह मीना क्षेत्र अर्थात मध्य यूएई में भारत का पहला कैंपस होगा। यूएई में इसी वर्ष जलवायु परिवर्तन पर कॉप -28 सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसकी सफलता के लिए पूर्ण सहयोग देने का वादा किया है। यूएई भारत के लिए काफी अहम मित्र राष्ट्र है क्योंकि यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत और यूएई के मध्य 84 अरब डालर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार प्रगति पर है। यहां प्रवासी भारतीय समुदाय सबसे बड़ा जातीय समुदाय है और कुल आबादी में उसकी तकरीबन 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। 2021 में यहां प्रवासी भारतीयों की संख्या लगभग 30 लाख थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस में जहां दुनिया का सबसे बड़ा एफिल टॉवर देखने गये वहीं दूसरी ओर यूएई स्थित बुर्ज खलीफा उनके स्वागत में भारतीय तिरंगे से रोशन हुआ और इमारत पर पीएम मोदी की तस्वीर भी दिखाई गयी ।
यह प्रधानमंत्री की वैश्विक लोकप्रियता को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं में श्रेष्ठ भरतीय परम्पराओं को नहीं छोड़ते हैं अपितु अपनी पुरानी परम्पराओं को नये धागे में पिरोकर भारतीय संस्कृति का मान बढ़ाते हैं और यही कारण है कि संपूर्ण विश्व में भारतीय सनातन संस्कृति का डंका बज रहा है और सभी देशों के लोग इसको समझने के लिए लालायित हैं । प्रधानमंत्री मोदी की यूएई यात्रा ऐसे समय में हुई है जब भारत में समान नागरिक संहिता को लागू करने की प्रक्रिया का आरंभ हो चुका है और तमाम विरोधी डाल मुस्लिम संगठनों का साथ लेकत पूरी ताकत से इसका विरोध कर रहे हैं किंतु जिस प्रकार मिस्र के बाद यूएई में भी प्रधानमंत्री मोदी का सम्मान किया गया है उससे मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालों की नींद हराम हो गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस भी देश की यात्रा पर जाते हैं उस देश में उपस्थित भारतीय समुदाय को भी अवश्य संबोधित करते हैं और भारत के लिए अपनी भविष्य दृष्टि को उजागर करते हैं इससे भारत में चुनावों में उनको पराजित करने के लिए महागठबंधन बना रहे दल व नेता बैचेन हो उठते हैं।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात में भव्य स्वागत हुआ तो भारत के अंदर मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले राजनैतिक दल बैचेन हो उठे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार को जो अराजक राजनैतिक तत्व मुस्लिम विरोधी बताकर अपनी छवि को सुधारना चाहते थे उनका प्रोपेगेंडा बेनकाब हो गया। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी सफल नीतियों का ही परिणाम है कि आज संपूर्ण विश्व में भारत की आवाज को सुना जा रहा है। राजनैतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे हैं कि वर्ष -2024 का लोकसभा चुनाव व उससे पहले होने जा रहे विधानसभा चुनावों पर मोदी जी की मिस्र और यूएई आदि देशों की यात्राओं का उदारवादी व लाभार्थी मुसलमानों के बीच अच्छा संदेश जायेगा और विपक्ष भाजपा व मोदी जी की छवि पर जो आघात करने का प्रयास कर रहा है कि भारत में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है उससे निपटने में भी आसानी रहेगी। महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर संबोधन नहीं करते हैं अपितु वह आगामी 25 वर्षों के लिए देश के विकास व विश्व के देशों से संबंधों का रोडमैप बताते हैं जिसके कारण सामान्य जन स्वाभाविक रूप से उनका नेतृत्व स्वीकार करता है और परिवारवादी भ्रष्टाचारी दलों को अपने अस्तित्व पर संकट मंडराता दिखता है।