प्रशिक्षु IAS अधिकारियों ने किया एटा की ऐतिहासिक, औद्योगिक और पर्यावरणीय धरोहरों का अध्ययन
प्रशिक्षु IAS अधिकारियों ने किया एटा की ऐतिहासिक, औद्योगिक और पर्यावरणीय धरोहरों का अध्ययन
जनरल फोर्स / संवाददाता
अवागढ़ किला, जलेसर का पीतल उद्योग और पटना पक्षी विहार बने आकर्षण का केंद्र
एटा। लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी के 100वें फाउंडेशन कोर्स के प्रशिक्षु भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियों का *क्षेत्र अध्ययन एवं अनुसंधान कार्यक्रम (Field Study and Research Programme – FSRP)* जनपद एटा में जारी है। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षु अधिकारियों ने बुधवार को अपने भ्रमण के चौथे दिन विकासखंड अवागढ़ एवं जलेसर का दौरा किया। भ्रमण के दौरान अधिकारियों ने सर्वप्रथम प्राचीन *अवागढ़ किला* का अवलोकन किया। उन्होंने किले के निर्माण काल, स्थापत्य शैली, संस्थापक शासक एवं उससे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं की जानकारी प्राप्त की। स्थानीय अधिकारियों एवं इतिहास प्रेमियों ने किले के संरक्षण और पर्यटन की संभावनाओं पर विस्तार से जानकारी दी।
इसके उपरांत प्रशिक्षु अधिकारियों ने *जलेसर के प्रसिद्ध पीतल उद्योग* का भ्रमण किया। उन्होंने उद्योगपति विकास मित्तल के प्रतिष्ठान में घंटा, घुंघरू, मूर्तियाँ एवं अन्य कलात्मक उत्पादों की निर्माण प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से देखा। अधिकारियों ने जाना कि किस प्रकार जलेसर के पीतल उत्पाद स्थानीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक अपनी पहचान बनाए हुए हैं और इस उद्योग से हजारों कारीगरों की आजीविका जुड़ी है। भ्रमण के क्रम में अधिकारियों ने *पटना पक्षी विहार* का भी दौरा किया, जहाँ उन्होंने विभिन्न प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों, उनके आगमन के मौसम, संरक्षण उपायों एवं पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका के संबंध में जानकारी प्राप्त की। क्षेत्रीय वन अधिकारी मनीषा कुकरेती ने पक्षी विहार की विशेषताओं एवं वन्यजीव संरक्षण पर विस्तृत प्रस्तुति दी। अधिकारियों ने कटफोरा, बसंथा, लोहा सारंग, लकलक, करछिया, बगुला, किलकिला, कौडियाला, मुर्खाब, जल पीपी, छोटा लाल सिर पोचर्ड, बैसुर, सीखपर, सारस, बड़ा सवन आदि पक्षियों की प्रजातियों का भी अध्ययन किया। प्रशिक्षु अधिकारियों ने कहा कि एटा जनपद ऐतिहासिक, औद्योगिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है।
ऐसे क्षेत्रीय अध्ययन से उन्हें स्थानीय प्रशासन, जनजीवन, पारंपरिक उद्योगों और प्राकृतिक धरोहरों की गहन समझ प्राप्त हो रही है, जो भविष्य में प्रभावी प्रशासनिक दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक सिद्ध होगी। इस अवसर पर *उप जिलाधिकारी पीयूष रावत, श्वेता सिंह, तहसीलदार संदीप सिंह, नायब तहसीलदार शाश्वत अग्रवाल, क्षेत्रीय वन अधिकारी मनीषा कुकरेती, खंड विकास अधिकारी अवागढ़ पी.एस. आनंद* सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।