गौरव कुमार हत्याकांड में न्याय की गुहार: वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह ने उठाए गंभीर सवाल, पुलिस पर लापरवाही के आरोप

गौरव कुमार हत्याकांड में न्याय की गुहार: वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह ने उठाए गंभीर सवाल, पुलिस पर लापरवाही के आरोप

Sep 15, 2025 - 18:56
Sep 15, 2025 - 19:23
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गौरव कुमार हत्याकांड में न्याय की गुहार: वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह ने उठाए गंभीर सवाल, पुलिस पर लापरवाही के आरोप

गौरव कुमार हत्याकांड में न्याय की गुहार: वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह ने उठाए गंभीर सवाल, पुलिस पर लापरवाही के आरोप

राम प्रसाद माथुर एटा।

उत्तर प्रदेश (बस स्टैंड, कैफ़े सागर कॉम्प्लेक्स) – सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और देश-विदेश के कई चर्चित मुकदमों में अपने प्रभावशाली अधिवक्तित्व के लिए प्रसिद्ध डॉ. ए.पी. सिंह ने आज एक प्रेस वार्ता में अलीगढ़ जिले के एक जघन्य हत्याकांड को लेकर पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। डॉ. सिंह, जो कि शिकायतकर्ता कौशल कुमार की ओर से पैरवी कर रहे हैं, ने पत्रकारों के समक्ष 22 अप्रैल 2024 को घटित हुए गौरव कुमार हत्याकांड का उल्लेख करते हुए बताया कि यह न केवल एक निर्मम हत्या है, बल्कि न्यायिक व्यवस्था की निष्क्रियता का भी प्रतीक बन चुकी है।

हत्या की घटना का विवरण -

गौरव कुमार, जिनकी उम्र मात्र 26 वर्ष थी, अपनी ही शादी का निमंत्रण देने के लिए अपने पैतृक गांव नयावास इमलानी गया था। सुबह लगभग 8:30 बजे वह गांव के विजय सिंह के खेत में सिंचाई के लिए ट्रॉली देख रहा था, जब गांव के ही सेठीराम, राजवीर, सतपाल, धर्मेंद्र और सत्य प्रकाश ने उसे घेरकर पीठ में गोली मार दी। मौके पर ही गौरव की मौत हो गई। इस घटना के संबंध में थाना हरदुआगंज में मुकदमा अपराध संख्या 223/24, धारा 302, 120बी, 504, 506 के तहत दर्ज किया गया, लेकिन आज तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। 

जांच में घोर लापरवाही के आरोप-

 डॉ. ए.पी. सिंह ने बताया कि हत्या जैसे गंभीर मामले में न तो पुलिस ने पीड़ित पक्ष से कोई उचित पूछताछ की और न ही शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत सबूतों – जैसे कि वीडियो फुटेज, कॉल रिकॉर्डिंग, फोटो और चश्मदीदों के हलफनामों – को विवेचना में शामिल किया गया है। शिकायतकर्ता कौशल कुमार ने आरोप लगाया कि घटना स्थल पर मिला तमंचा, जिसे गांव के ही हेम सिंह ने पहचान कर उठाया और फिर घटनास्थल पर रख दिया, उससे फिंगरप्रिंट तक नहीं लिए गए। गौरव कुमार के कपड़ों को भी आज तक फॉरेंसिक जांच के लिए नहीं भेजा गया है।

गवाहों को धमकी और पुलिस की चुप्पी-

कौशल कुमार ने यह भी बताया कि घटना के चश्मदीद गवाहों को आरोपी खुलेआम धमका रहे हैं। आरोपियों द्वारा गवाहों के घर जाकर धमकाया जा रहा है और बयान बदलवाने का दबाव डाला जा रहा है। इस संबंध में थाना हरदुआगंज और एसपी एटा को बार-बार सूचित किए जाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गई है। डॉ. ए.पी. सिंह ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि आरोपियों का लंबा आपराधिक इतिहास होने के बावजूद वे खुलेआम घूम रहे हैं, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि स्थानीय पुलिस अभियुक्तों को संरक्षण दे रही है या मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।

मोबाइल लोकेशन और सीडीआर की जांच भी लंबित -

 वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह भी बताया कि आरोपियों के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और लोकेशन निकलवाने की दिशा में भी अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ना ही अब तक इस मामले में कोई जांच रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई है।

न्यायिक व्यवस्था पर सवाल-

डॉ. सिंह ने इसे न्याय व्यवस्था का घोर अपमान बताते हुए कहा कि अगर इस तरह की घटनाओं में जांच नहीं होती और दोषियों को खुला छोड़ दिया जाता है, तो यह कानून का नहीं, जंगलराज का संकेत है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही उचित कार्रवाई नहीं की गई तो वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे और न्याय की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाएंगे। ★ निष्कर्ष -

गौरव कुमार हत्याकांड न सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या की कहानी है, बल्कि यह हमारे तंत्र की संवेदनहीनता और ढीली पड़ती कानून व्यवस्था की भी परछाई है। यदि इस प्रकार के मामलों में भी न्याय नहीं मिल पाता, तो आम जनता का कानून में विश्वास डगमगा सकता है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब जागता है और क्या वाकई मृतक गौरव कुमार और उनके परिवार को न्याय मिल पाएगा या यह मामला भी फाइलों की धूल में दब कर रह जाएगा।