रक्षाबंधन पर मिठास में ज़हर: बाजारों में खुलेआम बिक रहे मिलावटी घेवर, स्वास्थ्य से खिलवाड़ जारी
रक्षाबंधन पर मिठास में ज़हर: बाजारों में खुलेआम बिक रहे मिलावटी घेवर, स्वास्थ्य से खिलवाड़ जारी

रक्षाबंधन पर मिठास में ज़हर: बाजारों में खुलेआम बिक रहे मिलावटी घेवर, स्वास्थ्य से खिलवाड़ जारी
एटा। रक्षाबंधन का त्यौहार नज़दीक आते ही बाजारों में मिठाई की दुकानों पर रौनक बढ़ जाती है। इस मौके पर घेवर की मांग सबसे ज्यादा होती है। लेकिन इस बार यह पारंपरिक मिठास लोगों की सेहत पर भारी पड़ सकती है। बाजारों में खुलेआम मिलावटी घेवर बिक रहे हैं, जिनमें घटिया क्वालिटी का डालडा, मैदा और नकली मावा इस्तेमाल किया जा रहा है। स्थिति यह है कि न तो खाद्य सुरक्षा विभाग सक्रिय है, और न ही प्रशासन का कोई ध्यान इन मिलावटखोरों पर है।
★ नकली मावा, घटिया सामग्री और खुलेआम धंधा** शहर के प्रमुख बाजारों में तैयार हो रहे घेवरों में शुद्धता नाम मात्र की भी नहीं है। असली देसी घी के नाम पर दुकानदार घटिया दर्जे का डालडा इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसकी गंध तक से फर्क महसूस किया जा सकता है। घेवर पर जो मिठास बिखेरता नज़र आता है वह असली मावा नहीं, बल्कि मैदा में बुरा (चीनी का महीन पाउडर) मिलाकर बनाया जा रहा नकली पदार्थ है, जिसे आम ग्राहक असली मावा समझकर खरीद रहा है। यही नहीं, दुकानदार घेवर को तौलने में भी गड़बड़ी कर रहे हैं। घेवर रखने वाले डिब्बे का वजन भी तौल में जोड़ा जा रहा है, जिससे ग्राहक को हर किलो में 100 से 150 ग्राम तक का सीधा नुकसान हो रहा है। जिससे ग्राहकों को नुकसान पहुँचाया जा रहा है।
★ बिना जांच, बिना रोक-टोक चल रहा मिलावट का खेल** सबसे हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले में खाद्य विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय बना हुआ है। रक्षाबंधन जैसे महत्वपूर्ण पर्व के पहले न कोई जांच अभियान चलाया गया और न ही किसी प्रकार की सैंपलिंग की गई। जिन दुकानों पर पहले भी मिलावट के आरोप लग चुके हैं, वे फिर से बेखौफ होकर अपने पुराने धंधे में लगे हुए हैं। न कोई लाइसेंस चेक हो रहा है, न ही फूड सेफ्टी सर्टिफिकेट।
★ लोगों की सेहत से खुला खिलवाड़** मिलावटी घेवर का सेवन सिर्फ धोखा नहीं, बल्कि सीधे-सीधे सेहत के साथ खिलवाड़ है। नकली मावे और खराब तेल से बने घेवर से पेट खराब, फूड पॉइजनिंग, उल्टी-दस्त जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि नकली घी और केमिकल से बना मावा लंबे समय तक खाने से लीवर और किडनी पर गंभीर असर पड़ सकता है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह और भी खतरनाक साबित हो सकता है।
★ मिलावटखोरों को मिल रहा विभागीय संरक्षण?** स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि खाद्य विभाग के कुछ अधिकारी इन मिठाई कारोबारियों से पहले ही 'सेटिंग' कर लेते हैं। कुछ मामलों में तो त्योहार से पहले ही विभागीय अधिकारी अपनी 'कट' लेकर चुप बैठ जाते हैं, जिससे मिलावटखोरों को और भी खुली छूट मिल जाती है। जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है और आम जनता को गुमराह किया जाता है।
★ आम जनता को सतर्क रहने की जरूरत** इस पूरे मामले में सबसे जरूरी है कि आम जनता खुद सतर्क रहे। सस्ते घेवर या भारी छूट के लालच में न आएं। मिठाई खरीदते समय उसकी गुणवत्ता को जांचें, जहां संभव हो वहां खुले में बनने वाली मिठाइयों से बचें और पैकिंग पर मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट और फूड सेफ्टी लाइसेंस जरूर चेक करें।
★ नकली मिठाई से कैसे करें बचाव?** 1. **घी की जांच**: असली घी की खुशबू दूर से ही आती है, जबकि डालडा से बनी मिठाई में गंध अजीब होती है। 2. **मावा पहचानें**: असली मावा हल्का पीला और थोड़े दरदरे टेक्सचर का होता है, नकली मावा चिपचिपा और ज्यादा सफेद होता है। 3. **पैकिंग पर ध्यान दें**: घेवर का वजन तौलते वक्त डिब्बे का वजन अलग से करवाएं। 4. **लोकल ब्रांड से बचें**: अनजान या बिना नाम वाले ब्रांड्स से मिठाई न खरीदें।
★ प्रशासन से मांग** स्थानीय सामाजिक संगठनों और उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से मांग की है कि रक्षाबंधन के मौके पर मिठाई की दुकानों पर सघन जांच अभियान चलाया जाए। मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और दोषी दुकानों को सील किया जाए। साथ ही आम जनता को भी जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाएं।
★ त्योहार की मिठास बनी चिंता का कारण रक्षाबंधन एक पवित्र त्यौहार है, जहां भाई-बहन के रिश्ते को मिठाईयों के साथ और मीठा किया जाता है। लेकिन जब वही मिठास नकलीपन और मिलावट की भेंट चढ़ जाए, तो पर्व की भावना ही खत्म हो जाती है। आवश्यकता इस बात की है कि प्रशासन, खाद्य विभाग और आम जनता एकजुट होकर इस मिलावटखोरी के खिलाफ खड़े हों, ताकि अगला त्यौहार सिर्फ मिठा ही नहीं, सुरक्षित भी हो।