आईएएस/आईपीएस अधिकारी बनने के लिए सबसे पहले संबंधित बच्चे के माता-पिता को जागरूक होना होगा। यह आवश्यक है।

आईएएस/आईपीएस अधिकारी बनने के लिए सबसे पहले संबंधित बच्चे के माता-पिता को जागरूक होना होगा। यह आवश्यक है।
यदि आप अपने बच्चे को आईएएस अधिकारी बनाने की आकांक्षा रखते हैं, तो आपको यह याद रखना चाहिए कि आपका बच्चा कई वर्ष पहले से ही प्रासंगिक परीक्षा की तैयारी और योजना बनाना शुरू कर देगा, जिसमें सही विषयों का चयन, सही विषय-वस्तु, योग्य मार्गदर्शन या कोचिंग तथा एक विशिष्ट समय-सीमा को ध्यान में रखा जाएगा। फिर इसमें कोई संदेह नहीं कि सफलता अवश्य ही बच्चे के कदम चूमेगी। आइए जानते हैं देश की प्रशासनिक सेवा में अधिकारी बनने के लिए यानि आईएएस अधिकारी बनने के लिए कैसे तैयारी की जा सकती है। माता-पिता की जागरूकता आवश्यक है आईएएस अधिकारी बनने के लिए सबसे पहले संबंधित बच्चे के माता-पिता का जागरूक होना जरूरी है।
केवल जागरूक माता-पिता ही अपने बच्चों की क्षमताओं और रुचियों का आकलन कर सकते हैं और उन्हें सही स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और सही विषयों का चयन करने में मदद कर सकते हैं, जिससे संबंधित उम्मीदवार के लिए उक्त परीक्षा की तैयारी के लिए एक मजबूत आधार तैयार हो सके। अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों को आईएएस, आईपीएस या आईएफएस सेवाओं में प्रवेश दिलाने का सपना देखते हैं, लेकिन उनके पास इस क्षेत्र में सफल होने के लिए सही जानकारी नहीं होती है। आइए, अपने बच्चे को उचित मार्गदर्शन प्रदान करके उक्त परीक्षा की तैयारी कैसे शुरू करें, इस बारे में सही जानकारी प्राप्त करें। विषयों का चयन जो माता-पिता अपने बच्चे को सिविल सेवा परीक्षा के लिए तैयार करना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले यह समझना होगा कि उनके बच्चे को दसवीं कक्षा के बाद कौन से विषय चुनने चाहिए। उन्हें 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कला संकाय को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो सिविल सेवा में सफलता की सीढ़ी पर पहला पायदान है, क्योंकि कला संकाय सर्वश्रेष्ठ है। कला संकाय में इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी तथा कुछ अन्य आसान लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पढ़ाए जाते हैं, जो सिविल सेवा के क्षेत्र में सफलता के लिए सहायक सिद्ध होते हैं।
सिविल सेवा परीक्षा का 70 प्रतिशत पाठ्यक्रम इन्हीं विषयों से आता है। इसके साथ ही पर्यावरण विज्ञान और प्राकृतिक विज्ञान, समसामयिक मामले आदि का ज्ञान प्राप्त होता है, साथ ही नैतिकता, ईमानदारी, बुद्धिमत्ता आदि का भी ज्ञान होता है, जिससे भाषा और लेखन कौशल में भी वृद्धि होती है। दूसरी ओर, जो छात्र विज्ञान या वाणिज्य से संबंधित विषय चुनते हैं, वे भी सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन उन्हें कला से संबंधित कुछ विषयों के लिए अलग से तैयारी भी करनी होती है। अध्ययन रणनीति सबसे पहले संबंधित छात्र को अपनी दिनचर्या सही करनी होगी। पांच या छह घंटे की स्कूली पढ़ाई के बाद एक या दो घंटे स्व-अध्ययन के लिए, 30 मिनट समसामयिक विषयों की तैयारी, समाचार-पत्र, वीडियो पॉडकास्ट के लिए तथा 15 मिनट लेखन अभ्यास के लिए निर्धारित करें, अर्थात दैनिक समाचार या अपने विचार का उपयोग आत्म-अवलोकन के लिए करें।
इसके साथ ही कक्षा 6 से 12 तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों का गहन अध्ययन करें, विशेषकर भूगोल, राजनीति, अर्थशास्त्र आदि विषयों का। यह आपकी नींव को मजबूत करने का काम करेगा। यह तो सभी जानते हैं कि यदि नींव मजबूत होगी तो मकान की स्थिरता भी मजबूत होगी। एक माइंड मैप और फ्लो चार्ट बनाएं इसके साथ ही, एक माइंड मैप और फ्लो चार्ट बनाएं। अब विद्यार्थी सोच रहे होंगे कि यह माइंड मैप क्या है? माइंड मैप एक चित्र या आरेख है जो किसी विचार, विषय या सूचना को केन्द्र में रखता है तथा संबंधित विचारों या अवधारणाओं को विभिन्न कोणों से, जैसे शाखाओं से, दिखाता है। यह मन के विचारों को व्यवस्थित करने का एक तरीका है। फ्लोचार्ट भी एक ग्राफिकल प्रस्तुति है जो किसी प्रक्रिया या कार्य के निष्पादन का चरण-दर-चरण अनुक्रम दिखाता है। सिविल सेवा की तैयारी के लिए माइंड मैप बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें विषय, उपविषय और दैनिक कार्य जोड़े जाते हैं। समाचारपत्रों और पत्रिकाओं से सहायता लें। सिविल सेवा की तैयारी के लिए अनेक यूट्यूब चैनल उपलब्ध हैं तथा इसके साथ ही राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं को पढ़ें तथा उनमें उल्लिखित विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर लेखों को ध्यानपूर्वक समझें, उनकी शैली एवं शब्दावली सीखें तथा अपने लेखन कौशल को प्रभावी बनाएं। किसी दिए गए विषय पर प्रभावी निबंध लिखना सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपनी योग्यताओं और रुचियों को पहचानें। अपने अधूरे सपनों और आकांक्षाओं को अपने बच्चों पर थोपना तथा उन्हें उनकी रुचियों और क्षमताओं के विपरीत कोई कोर्स करने या प्रतियोगी परीक्षा में बैठने के लिए मजबूर करना, उनके भीतर मौजूद प्राकृतिक प्रतिभा और बुद्धिमत्ता के साथ अन्याय होगा। यदि आपका बच्चा आईएएस बनने में रुचि रखता है और उसका बौद्धिक और शैक्षणिक स्तर औसत से ऊपर है, तो उसे यहां आने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित जरूर करें, लेकिन याद रखें कि बच्चे पर किसी भी तरह का दबाव न डालें।
उसे उचित मार्गदर्शन दें, आवश्यकतानुसार उसकी कोचिंग की व्यवस्था करें, तथा उसकी सम्पूर्ण समय-सारिणी की योजना अच्छी तरह बनाएं, सभी गतिविधियों के लिए समय और स्थान आवंटित करें। दसवीं कक्षा के बाद ही बच्चे को समझाएं कि सिविल सेवा परीक्षा के तीन स्तर होते हैं, जिनमें पहला स्तर प्रारंभिक परीक्षा है, जिसमें विभिन्न विषयों से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं तथा कुछ विषयों पर निबंध भी पूछा जाता है। दूसरे स्तर की परीक्षा को मुख्य परीक्षा कहा जाता है और इसमें विस्तृत उत्तर वाले प्रश्न शामिल होते हैं और अंत में साक्षात्कार यानी मौखिक परीक्षा आयोजित की जाती है। उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखकर आप अपने बच्चे को पूरी जानकारी के साथ सिविल सेवा के क्षेत्र में भेज सकते हैं। विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार मलोट पंजाब