Mainpuri News : 24 दलितों के हत्याकांड से हिल गया था देश, इंदिरा गांधी खुद पहुंचीं और जमीन पर बैठकर सुनी दिहुली के लोगों की वेदना
Mainpuri News : 24 दलितों के हत्याकांड से हिल गया था देश, इंदिरा गांधी खुद पहुंचीं और जमीन पर बैठकर सुनी दिहुली के लोगों की वेदना
UP News : मैनपुरी के दिहुली गांव में 18 नवंबर 1981 को हुए 24 दलितों के सामूहिक नरसंहार से देश की राजनीति में भूचाल आ गया था। विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाया था। प्रदेश में उस समय वीपी सिंह की सरकार थी। केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी। घटना के एक सप्ताह बाद इंदिरा गांधी ने दिहुली का दौरा कर पीड़ित परिवारों को सुरक्षा और इंसाफ का भरोसा दिया था।
पुलिस अधिकारियों ने काफी समय तक गांव में कैंप किया था। मुकदमे के अनुसार सामूहिक नरसंहार को अंजाम देने वाले अधिकांश आरोपी ठाकुर जाति के थे। आरोपियों के गिरोह का एक सदस्य कुंवरपाल दिहुली का ही रहने वाला अनुसूचित जाति का था। कुंवरपाल का अपने साथियों से एक सवर्ण जाति की महिला को लेकर विवाद हुआ था। गिरोह के अन्य सदस्यों की चेतावनी के बाद भी कुंवरपाल का उस महिला के घर पर आना जाना बंद नहीं हुआ था। इसे लेकर गिरोह दो गुटों में बंट गया था। गिरोह की मुखबिरी के शक में इस वारदात को अंजाम देने की बात कही जाती है। सामूहिक नरसंहार के बाद जब विपक्षी दलों ने इसको मुद्दा बनाया तो 22 नवंबर 1981 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिल्ली और लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ दिहुली का दौरा किया था।
वारदात के बाद दलित समाज के लोगों ने दिहुली गांव से पलायन करना शुरू कर दिया था। केंद्र और राज्य सरकार के आदेश पर पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी गांव में कैंप लगाकर रहने लगे। उन्होंने पलायन से लोगों को रोका था। घटना के बाद कई दिनों तक पुलिस और पीएसी गांव में तैनात रही थी। पोस्टमार्टम हाउस पर एक साथ 24 शव पहुंचने से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए थे। चार डॉक्टरों की टीम बनाकर शवों के पोस्टमार्टम कराए गए थे। डॉक्टरों की टीम में डॉक्टर सुरेंद्र सिंह प्रभारी चिकित्साधिकारी शिकोहाबाद, डॉक्टर एस गुलेचा, डॉक्टर एके श्रीवास्तव, डॉक्टर साम्य वर्धन शामिल रहे थे। टीम ने देर रात तक शवों के पोस्टमार्टम किए थे। इस केस को हाईकोर्ट के आदेश पर इलाहाबाद के सेशन कोर्ट में 1984 में ट्रांसफर किया गया था। अभियुक्तों की ओर से केस ट्रांसफर के लिए अर्जी दी थी।
1984 से लेकर 2024 के अक्तूबर तक केस में वहां पर ट्रायल चला। इसके बाद केस को फिर से मैनपुरी डकैती कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था। फिरोजाबाद के जसराना कस्बे के गांव दिहुली में 24 दलितों की सामूहिक हत्या के मामले में 44 साल बाद मंगलवार को अदालत ने तीन आरोपियों को दोषी करार दिया। दोषी कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल को 18 मार्च को सजा सुनाई जाएगी। भगोड़ा घोषित आरोपी ज्ञानचंद्र उर्फ गिन्ना की फाइल को अलग करते हुए उसके खिलाफ स्थायी वारंट जारी कर दिया। इस हत्याकांड में कुल 17 आरोपी थे, जिनमें से 13 की मौत हो चुकी है जबकि एक भगोड़ा है। मंगलवार को फैसले से पहले एडीजे विशेष डकैती इंद्रा सिंह की अदालत में जमानत पर रिहा चल रहे कप्तान सिंह हाजिर हुआ, वहीं मैनपुरी जेल में बंद रामसेवक को पुलिस ने पेश किया, जबकि तीसरे आरोपी रामपाल की ओर से हाजिरी माफी मांगी गई। दोहपर साढ़े तीन बजे अदालत ने साक्ष्यों और गवाही के आधार पर तीनों को दोषी करार दिया। रामपाल की हाजिरी माफी को निरस्त करते हुए उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर 12 मार्च को उसे अदालत में पेश करने के आदेश दिए।
इसके बाद पुलिस अभिरक्षा में कप्तान सिंह और रामसेवक को जेल भेज दिया गया। रामसेवक और कप्तान सिंह इन धाराओं में पाया दोषी रामसेवक और कप्तान सिंह को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (जानलेवा हमला), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर उपद्रव करना), 149 (गैरकानूनी सभा या विधि विरुद्ध जमावड़ा), 449 (किसी के घर में घुसकर अपराध करना), 450 (गृह अतिचार) में दोषी करार दिया गया। वहीं, रामपाल को 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 302 (हत्या करना), 216 ए (अपराधियों को शरण देना) में दोषी करार दिया गया। फिरोजाबाद जनपद के जसराना थाना क्षेत्र के ग्राम दिहुली (घटना के समय मैनपुरी का हिस्सा) में 24 दलितों की सामूहिक हत्या कर दी गई थी। वर्ष 1981 में 18 नवंबर की शाम 6 बजे की यह घटना थी। डकैत संतोष और राधे के गिरोह ने एक मुकदमे में गवाही के विरोध में हथियारों से लैस होकर दिहुली गांव में घुसकर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं। इसमें 24 लोगों की मौत हुई थी। बदमाशों ने सामूहिक हत्याकांड के बाद लूटपाट भी की थी।
मामले में दिहुली के लायक सिंह ने 19 नवंबर 1981 को थाना जसराना में राधेश्याम उर्फ राधे, संतोष सिंह उर्फ संतोषा के अलावा 17 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मैनपुरी से लेकर इलाहाबाद तक यह मामला अदालत में चला। 19 अक्तूबर 2024 को बहस के लिए मुकदमा फिर से मैनपुरी सेशन कोर्ट में ट्रांसफर किया गया। जिला जज के आदेश पर विशेष डकैती कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई।