कफन के लिए भटकते लोग: कुंभ में हुई भगदड़ का भयावह किस्सा

A tragic 2013 Kumbh Mela stampede in Prayagraj claimed 36 lives due to administrative failures and overcrowding chaos.

Jan 18, 2025 - 16:44
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कफन के लिए भटकते लोग: कुंभ में हुई भगदड़ का भयावह किस्सा
Kumbh Mela stampede 2013
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प्रयागराज में इन दिनों महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। हर दिन लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आ रहे हैं। प्रशासन ने व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने का दावा किया है, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो। लेकिन यह कहानी 2025 के कुंभ की नहीं, बल्कि उस 2013 के कुंभ की है, जिसमें भगदड़ के कारण 36 लोगों की जान चली गई थी।

10 फरवरी 2013: हादसे का दिन

10 फरवरी 2013 मौनी अमावस्या का दिन था। उस दिन लगभग तीन से चार करोड़ लोग संगम में स्नान कर चुके थे। प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर लोगों की भीड़ इतनी बढ़ गई थी कि फ्लाईओवर पर खड़े होने की भी जगह नहीं बची थी। रेलवे प्रशासन ने तीर्थयात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बाड़े बनाए थे, लेकिन ट्रेनें लेट होने और प्रशासन की लापरवाही से पूरा सिस्टम फेल हो गया।

जब अचानक यह घोषणा हुई कि ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर 6 के बजाय दूसरे प्लेटफॉर्म पर आ रही है, तो भीड़ बेकाबू हो गई। जीआरपी ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठियां चलानी शुरू कर दीं। इससे भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। कई लोग ओवरब्रिज से नीचे गिर गए। कुछ दबकर मर गए, तो कुछ को समय पर इलाज नहीं मिला। स्टेशन पर चीख-पुकार और लाशों का अंबार लग गया।

अस्पताल में नहीं थी सुविधाएं, कफन के लिए भटकते रहे लोग

रेलवे द्वारा बनाए गए कुंभ वार्ड में ताला लगा हुआ था। जब अधिकारियों ने ताला खोला, तो वहां सिर्फ रुई और पट्टी ही उपलब्ध थीं। ऑक्सीजन सिलेंडर खाली पड़े थे और दवाइयों की कमी थी। कई घायलों को समय पर इलाज नहीं मिल पाया, जिससे उनकी जान चली गई।

अस्पताल के बाहर दुकानदारों ने कफन की कीमत 1200 से 1500 रुपये तक बढ़ा दी थी। पुलिस और प्रशासन भी नाकाम रहा। हादसे के 12 घंटे बाद भी शव उनके घर नहीं भेजे जा सके।

आजम खान ने मीडिया पर डाला दोष

उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और कुंभ के प्रभारी मंत्री आजम खान थे। उन्होंने हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा तो दिया, लेकिन मीडिया और रेलवे पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब एक दिन में करोड़ों लोग आएंगे, तो ऐसे हादसे होते रहेंगे। उन्होंने मीडिया पर पैनिक फैलाने का आरोप लगाया।

क्या थी हादसे की मुख्य वजहें?

1. प्रशासनिक लापरवाही:

शाही स्नान के दिन प्रशासन ने भीड़ को गंभीरता से नहीं लिया। श्रद्धालुओं को अन्य स्थानों पर रोका जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

2. रेलवे स्टेशन पर भीड़ नियंत्रण में विफलता:

स्टेशन की क्षमता केवल 25,000 थी, लेकिन वहां करीब 2 लाख लोग पहुंच गए थे। प्रशासन ने भीड़ रोकने के लिए उचित उपाय नहीं किए।

3. अनट्रेंड रेलवे पुलिस:

रेलवे पुलिस को भीड़ नियंत्रण की ट्रेनिंग नहीं दी गई थी। उन्होंने लाठीचार्ज कर दिया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

4. आपातकालीन सेवाओं का अभाव:

ऐसे बड़े आयोजनों के लिए आपातकालीन सेवाएं और बैकअप प्लान तैयार होना चाहिए था, लेकिन वह पूरी तरह नदारद थे। एंबुलेंस और स्ट्रेचर तक समय पर उपलब्ध नहीं थे।

2013 का यह हादसा आज भी लोगों के ज़ेहन में ताजा है। प्रशासन की लापरवाही और अव्यवस्थाओं का नतीजा यह हुआ कि श्रद्धालु कफन के लिए भटकने को मजबूर हो गए।