कोर्ट में बुर्का पहन पहुंची महिला वकील, जज ने हटाने को कहा महिला ने कहा नहीं हटाऊंगी चेहरे से नकाब
कोर्ट में बुर्का पहन पहुंची महिला वकील, जज ने हटाने को कहा महिला ने कहा नहीं हटाऊंगी चेहरे से नकाब
जम्मू। जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट की श्रीनगर खंडपीठ में महिला वकील बुर्का पहनकर एक मामले में पैरवी करने पहुंच गईं। इस पर हाईकोर्ट ने आपत्ति जताई और उसे अपनी पहचान उजागर करने के लिए कहा। उससे कहा गया कि वह अपने चेहरे से बुर्का हटाए, लेकिन महिला वकील ने ऐसा करने से मना किया और जोर देकर दलील दी कि इस तरह के परिधान में अदालत में पेश होना उसका मौलिक अधिकार है।
महिला वकील के इस रुख पर हाईकोई ने रजिस्ट्रार जनरल से वकीलों के लिए ड्रेस कोड के संबंध में कानून और नियमों की स्पष्टता मांग ली। इसमें पाया गया कि वकीलों के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के नियम इस तरह के परिधान की अनुमति नहीं देते हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने महिला वकीलों को कोर्ट रूम में शिष्टाचार और पेशेवर पहचान बनाए रखने के लिए कहा। दरअसल, हाईकोर्ट की श्रीनगर खंडपीठ में नाजिया इकबाल का अपने पति मोहम्मद यासीन खान के साथ तलाश का केस चल रहा है। मामला 27 नवंबर, 2024 का है।
जस्टिस मोक्षा खजूरिया और जस्टिस राहुल भारती की डिवीजन बेंच में इस तिथि को सुनवाई होनी थी। केस की सुनवाई शुरू हुई तो नाजिया की ओर से महिला वकील पेश हुई। उसने बुर्का पहन रखा था। इस पर डिवीजन बेंच ने महिला वकील की पहचान के लिए उससे बुर्का हटाने के लिए कहा। इस पर महिला वकील ने ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि भारतीय संविधान के तहत उसे इस तरह के पहनावे का अधिकार प्राप्त है। इस पर बेंच ने रजिस्ट्रार जूडिशियल को बीसीआई को ओर से वकीलों के ड्रेस को लेकर बनाए गए नियमों पर रिपोर्ट मांगी। रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल ने नियमों और कानून के संबंध में पांच दिसंबर, 2024 को रिपोर्ट पेश की। इसमें महिला वकीलों के ड्रेस कोड के बारे में विस्तार से बताया गया। रिपोर्ट में स्पष्ट है कि बीसीआई की ओर से निर्धारित ड्रेस कोड में कहीं पर भी महिला वकीलों के चेहरा ढककर कोर्ट में आने का जिक्र नहीं है।
इस रिपोर्ट का अध्ययन करने के पश्चात हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि महिला वकीलों का कोर्ट में चेहरा ढककर आना बीसीआई के नियमों के खिलाफ है। वकीलों के लिए बीसीआई के नियम इस तरह के परिधान की अनुमति नहीं देते हैं। लिहाजा, महिला वकील कोर्ट रूम में शिष्टाचार और पेशेवर पहचान बनाए रखें। ऊपरी वस्त्रों के लिए महिलाओं को सफेद कालर के साथ काले रंग की पूरी आस्तीन वाली जैकेट या ब्लाउज पहनना जरूरी है। साथ ही सफेद बैंड और अधिवक्ता का गाउन भी पहनना जरूरी है। वैकल्पिक रूप से सफेद ब्लाउज, कालर के साथ या बिना कालर के सफेद बैंड और काले रंग के खुले कोट के साथ भी अनुमति है।
निचले परिधानों के लिए महिलाएं सफेद, काले या किसी भी हल्के रंग की साड़ी या लंबी स्कर्ट चुन सकती हैं, बशर्ते कि वे प्रिंट या डिजाइन के बिना हों। अन्य विकल्पों में सफेद, काले धारीदार या भूरे रंग के फ्लेयर्ड ट्राउजर, चूड़ीदार-कुर्ता, सलवार-कुर्ता या पंजाबी पोशाकें शामिल हैं। इसे सफेद या काले रंग के दुपट्टे के साथ या उसके बिना पहना जा सकता है। पारंपरिक पोशाक जब काले कोट और बैंड के साथ जोड़ी जाती है तो भी स्वीकार्य है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में पेश होने के अलावा वकील का गाउन पहनना वैकल्पिक है। इसके अलावा गर्मियों के महीनों के दौरान सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में पेश होने के अलावा काला कोट पहनना अनिवार्य नहीं है।