समय का चक्का
 
                                समय का चक्का
समय कभी भी न रुकता है और ना ही गति में परिवर्तन करता हैं। परिवर्तन तो मानव के आते है जो और - और के दलदल में धँस कर संसार के जन्म - मरण के चक्र में कर्म अनुसार चलकर सब कुछ जानते हुए भी उसमें धँसते जा रहे है ।
मैंने देखा हैं कि कितनी बार समझदार से समझदार आदमी भी अपनी नादानी का शिकार हो जाता है और दुःख आते ही चक्का बहुत बड़े अवरोध में अटक जाता है। वहीं इसके विपरीत सुख के समय तो उसे ऐसा लगता है कि मानो यह बल्ब तो सदा-सदा के लिये जलता रहेगा ही ,इसके विपरीत समय कभी आयेगा ही नहीं परन्तु मानव यह अपनी स्मृति से भूल जाता है कि समय का चक्का तो निरंतर घूमता ही रहता है।
कभी वह, कभी यह हमारे जीवन को स्पर्श करता रहता है। सदा सुखी रहने की आशीष मात्र तो केवल औपचारिकता ही सिद्ध होती है। प्रकृति के इस नियम को कोई पलट नहीं सकता हैं , इसलिये ज्ञानी जनों द्वारा बार-बार कहा जाता है कि सबसे बड़ा गुण सहिष्णुता और समभाव है यानी न दुःख में उसका पश्चाताप और न सुख में अति आनंद का प्रभाव। समय का चक्का परिवर्तन की पोशाक पहनकर अनवरत चलता ही रहता है ।
तेरे दिन भी बदल जायेंगे यह सच्चाई निराशा के दलदल में उतरे हर आदमी - आदमी को बार-बार यह कहता है । उत्साह की अंगरखी को पहन कर चलने वाले को जब अपनी शक्ति की सही पहचान हो जाती है तब रास्ते की हर मुश्किल उस ऊर्जस्वी के लिए बड़ी आसान हो जाती है । जो कभी निराशा के चंगुल में नहीं फंसता है और उसे असफलता का सर्प कभी नहीं डसता है ।यही जीवन का सही आचार सच्चा सार हैं ।
प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 







 
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            