Hathras stampede : बाबा नहीं बवाल है गरीबों का काल और खुद फरार है! जिस पर किस पार्टी का हाथ है
Hathras stampede : बाबा नहीं बवाल है गरीबों का काल और खुद फरार है! जिस पर किस पार्टी का हाथ है
 
                                Hathras stampede : नारायण साकार उर्फ भोले बाबा हाथरस में सत्संग के बाद सीधा अपने मैनपुरी आश्रम पहुंचे थे, आश्रम के बाहर पुलिस का पहरा लगा और उसके बाद भी भोले बाबा गायब हो गए।
लगता है उन्हें आसमान निगल गया या जमीन में समा गए। 2 जुलाई, दिन मंगलवार, समय दोपहर 1.30 बजे हाथरस भगदड़ के फुलरई जो रतिभानपुर के पास है में भोले बाबा का समागम था, जिसमें दो लाख के करीब बाबा के अनुयायी शामिल हुए। बाबा की चरणरज माथे पर लगाकर कल्याण चाहने वाले 121 लोग काल का ग्रास बन गए, जबकि काफी लोग अस्पताल मे जिन्दगी से जंग लड़ रहे हैं।
बाबा के भक्त अपनी मंगलकामना की चाह लेकर परमात्मा भोले बाबा के समागम में शामिल हुए, लेकिन वहां भगदड़ मच गई, जिसमें 121 भक्तों के परिवार के लिए बाबा का समागम अमंगलकारी साबित हो गया। भोले बाबा को उनके भक्त परमात्मा, भगवान कहते हैं, भगवान कहें जाने वाले भोले बाबा 121 मौतों के बाद अज्ञातवास में धूनी रमाकर बैठ गए है। पुलिस उनको ढूंढ रही है, लेकिन उनका कुछ अता-पता नही है। आधुनिक परिवेश के इस बाबा के समागम में मची भगदड़ से हुई बड़ी संख्या में मौतों के बाद कोई भी राजनीतिक दल खुलकर नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के लिए बोल नही रहा है।
यदि यह मामला किसी गैर धर्म से जुड़ा हुआ होता तो सरकार उसके घर और सम्पत्ति पर अब तक बुल्डोजर चलवा चुकी होती। भोले बाबा के प्रति सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष का सॉफ्ट कॉर्नर क्यों है? कोई दल खुलकर सामने नही आ रहा है? वही जिस तरह से इस पूरे प्रकरण पर एफआईआर पंजीकृत हुई, उसमें भोले बाबा का नाम नही होना दर्शाता है कि उनको जल्दी ही क्लीन चिट मिलने वाली है। उनके सेवादारों को पुलिस ने आरोपी बनाया है, छोटी मछली पकड़कर बड़ी मछली को जाल से बाहर निकालने का मतलब साफ है कि यह वोटों की राजनीति है।
नारायण साकार उर्फ भोले बाबा पर हाथ डालकर 'दलितों पिछड़ों और अतिपिछड़ों के पॉलिटिक्स करने वाले सियासी दल चित्त हो जायेंगे। भोले बाबा के दरबार में सबसे ज्यादा आने वाले भक्त दलित, पिछड़े और अति पिछड़े हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भोले बाबा का नेटवर्क बहुत बड़ा है और रसूख भी बड़ा है। इस बाबा ने कहा अपना प्रचार-प्रसार अन्य बाबाओं की तरह नहीं फैला रखा है। सोशल मीडिया पर फैन फॉलोइंग भी नहीं है और न ही उनके बैनर पोस्टर, झंडे और होर्डिंग्स लगाए जाते हैं। ऐसा इसलिए है कि यह गुपचुप तरीक़े से भोले समागम, मंगल समागम, सद्भावना समागम के नाम पर अपना खेल कर देते हैं। भोले बाबा की प्रचार समितियां गांव-शहर में जाकर बाबा के अनुयायी बनाती है।
बाबा के साथ जुड़े लोग दलित और अति पिछड़े वर्ग के होने के कारण सियासत करने वाले सभी दल जातिगत समीकरणों का गुणा-भाग करके बाबा की ताकत का अंदाजा लगा चुके है। नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के मुख से निकली कोई भी बात उनके अनुयायियों के लिए पत्थर की लकीर होती है, भक्त उसे बाबा का आदेश मानकर पूरा करते थे। ऐसे में बाबा की अहमियत कितनी अहम है, यह बात जब एक सामान्य व्यक्ति की समझ में आसानी से आ रही है। इसी वजह है कि ज्यादातर राजनीतिक दल और राजनेता बाबा की ताकत को पहचान कर चुनाव में उनके साथ खुद को जोड़ते भी थे। हाथरस भगदड़ प्रकरण के बाद किसी भी राजनीतिक दल ने बाबा को निशाने पर नहीं लिया।
सियासी गलियारों में बाबा को निशाने पर लेने का मतलब है उनके भक्तों को नाराज करना है। वहीं इस पूरे घटनाक्रम में जो पीड़ित अनुयाई भी कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे वह सभी नारायण साकार उर्फ भोले बाबा को दोषी नहीं मान रहें हैं। जिससे यह बात तो स्पष्ट हो जाती है कि भोले बाबा के भक्तों में नारायण साकार को लेकर नाराजगी नहीं है। इसलिए कोई भी राजनीतिक दल की तरफ से बाबा का खुलकर विरोध, उनकी गिरफ्तारी के लिए आंदोलन या बयानबाजी सोच समझकर की जा रही है। दलों को खुलकर विरोध करना मंहगा पड़ सकता है, क्योंकि ऐसा करके एक बड़े वोट बैंक से हाथ धोना पड़ेगा। मिली जानकारी के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी के कार्यकाल में इस बाबा को प्रोटोकॉल दिया गया था, जो इस बात की तरफ इशारा करता है कि सियासी नजरिए से वह कितना मुफीद रहे होंगे।
नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ पत्रकार ने बात करते हुए मीडिया को बताया कि जाटव समुदाय से आने वाले इस बाबा का अपना एक बड़ा नेटवर्क है। बाबा की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बसपा सरकार में इस भोले बाबा को लाल बत्ती से लेकर एस्कॉर्ट और पायलट वाहनों समेत पूरा प्रोटोकॉल मिला करता था। अब आप ही सोचिए जब इस तरह के सियासी गठजोड़ बाबाओं के साथ होता है, तो उसका फायदा भी राजनीतिक दलों को मिलता ही है। सूत्रों के अनुसार बाबाओं का जहां सियासी कनेक्शन रहता है, उसी तरह बाबाओं की आड़ में गलत ढंग से आर्थिक लाभ भी कमाया जाता है। भोले बाबा और उनके अनुयायी दावा करते हैं कि वह चढ़ावा नहीं लेते, एक रूपया भी नहीं मांगते।
यह बात भोले-भाले अनुयायियों के लिए तो सही हो सकती है, लेकिन समझदार इसके पीछे के राज भलिभांति जानते हैं, चलिए हम बताते भोले बाबा की अर्जित संपत्ति का राज। भोले बाबा का एक कनेक्शन राजस्थान राज्य से भी जुड़ रहा है। यहां के रहने वाले हर्षवर्धन मीणा जो पटवारी था और पेपरलीक कांड का आरोपी है, दौसा से एसओजी टीम ने पकड़कर मामले का खुलासा किया था, वह बाबा का अनुयायी है, बाबा के दरबार में वह सेवादार है, उसका आई कार्ड भी बरामद हुआ है।
राजस्थान दौसा के जिस मकान में बाबा का दरबार बना हुआ है, वर्तमान में उसको सरकार ने सीज कर रखा है, वह मकान आरोपी हर्षवर्धन का ही है, मकान के बाहर बाबा के नाम से बोर्ड भी लगा हुआ है, जहां पहले दरबार लगा करता था। इस दरबार में सामान्य लोग नहीं आते थे, बल्कि बड़े और रसूखदार लोग बाबा से मिलते थे। बाबा के लिए इसमें विशेष झूला लगा हुआ था, जिस पर बैठकर वह समस्या सुनते और निराकरण बताते थे। हर्षवर्धन के ऊपर अब तक 500 के करीब प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक करने का आरोप है।
फिलहाल वह जेल में है। भोले बाबा के हर्षवर्धन जैसे कितने सेवादार होंगे, जो बाबाओं की आड़ लेकर अपना उल्लू सीधा करते हैं और बाबाओं को महिमामंडित भी। गलत काम से कमाए गए धन-सम्पत्ति बाबा को उपहार में मिलती है। जब मोटा मुनाफा मिले तो छोटे चढ़ावे की तरफ नजर क्यों घुमाई जाएं। भोले बाबा की ऐसी न जाने कितनी बानगी होगी जो समय दर समय सामने आयेंगी।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 







 
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            