महिलाओं तथा बच्चियों को आपरेशन जागृति से मिल रही है एक नई दिशा
महिलाओं तथा बच्चियों को आपरेशन जागृति से मिल रही है एक नई दिशा
आपरेशन जागृति 2.O के तहत जनपदीय पुलिस द्वारा अपने-अपने थाना क्षेत्रों में चलाया गया ऑपरेशन
जागृति अभियान, गोष्ठी आयोजित कर आमजन को किया गया जागरूक।
अपर पुलिस महानिदेशक आगरा जोन आगरा श्रीमती अनुपम कुलश्रेष्ठ के निर्देशन में महिलाओं एवं बालिकाओं के जागरूकता व स्वावलंबन एवं उनके प्रति होने वाले अपराधों में कमी लाने हेतु चलाए जा रहे "ऑपरेशन जागृति 2.0" अभियान के तहत आज दिनांक 25.06.2024 को *थाना कोतवाली नगर के कृष्ण विहार कॉलोनी व ग्राम पंचयात भगीपुर , थाना कोतवाली देहात के ग्राम रारपट्टी तथा मरथरा भगवानदास, थाना बागवाला के ग्राम कंसूरी तथा बरथरी, थाना मारहरा के ग्राम पंचायत त्रिलोकपुर व ग्राम पंचायत गोकनी।
थाना मिरहची के ग्राम नगला नथा व ग्राम यादगारपुर,थाना पिलुआ के ग्राम पंचायत पिलुआ तथा ग्राम पंचायत मुईउद्दीनपुर, थाना सकीट के ग्राम पंचायत सकीट तथा कुल्ला मालिगांव, थाना मलावन के ग्राम पंचायत मलावन तथा ग्राम पंचायत दलेलपुर, थाना रिजोर के ग्राम पंचायत वाहिद बीबीपुर व ग्राम सराय जवाहरपुर, थाना जलेसर ग्राम जमालपुर दुर्जन तथा जम्मो, थाना अवागढ़ के ग्राम पंचायत कुसवा व ग्राम पंचायत नावली, थाना निधौली कला के ग्राम मनौरा तथा ग्राम अहरमई , थाना सकरौली के ग्राम बढ़नपुर कला तथा पंचायत सकरौली।
थाना अलीगंज के ग्राम सुमौर तथा ग्राम पुराहार बुलाकी नगर , थाना जैथरा के ग्राम पंचायत खेतुपुरा तथा ग्राम दौलतपुर, थाना राजा का रामपुर के ग्राम रायपुर तथा ग्राम रामनगर, थाना नयागांव के ग्राम भदकी तथा ग्राम खिरिया पमारान, थाना जसरथपुर के ग्राम अहरई तथा ग्राम पंचायत गुलशनाबाद* में गोष्ठी आयोजित कर, महिलाओं एवं बालिकाओं, छात्र एवं छात्राओं तथा क्षेत्र के गणमान्य लोगों से संवाद स्थापित कर उनको जागरूक किया गया, साथ ही गोष्ठी में प्रतिभाग करने वाले लोगों से फीडबैक भी लिया गया।
अभियान के दौरान बताया गया है अक्सर पारिवारिक विवाद / पारस्परिक भूमि विवाद का यथोचित समाधान नहीं दिखने पर अपराधिक घटनाओं में महिला सम्बन्धी अपराधों को जोड़ने की प्रवृत्ति भी सामाजिक रूप से देखने को मिल रही है। संक्षेप में कई अन्य प्रकरणों में ऐसी घटनायें दर्ज करा दी जाती हैं, जिनको बाद महिला एवं बालिकाओं संबन्धी अपराधों की श्रेणी में परिवर्तित कर दिया जाता है।
जबकि मूलतः यह पारिवारिक और भूमि विवाद संबन्धी होती है। दूसरी ओर वास्तविक रूप से महिलाओं एवं बालिकाओं के विरूद्ध जो अपराध होते हैं, उनमें दुष्कर्म, शीलभंग जैसे संगीन मामलों में प्रताड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं की मनोस्थिति काफी हद तक प्रभावित होती है और पीड़िता के जीवन में उस घटना का ट्रॉमा और भय सदैव के लिए बस जाता है। उक्त मानसिक आघात से उभरने के लिए पीड़िता को मनोवैज्ञानिक परामर्श की भी आवश्यकता होती है। एक अन्य प्रकार का ट्रेंड जो सामने आ रहा है, उसमें नाबालिग बालिकाएं लव अफेयर, इलोपमेंट, लिव इन रिलेशनशिप जैसे सेनेरियो में फँस जाती हैं और किन्ही कारणों से उनको समझौता करना पड़ता है।
कई बार बालिकायें अपनी सहमति से भी बिना सोचे समझे चली जाती है। साथ ही साथ बदनामी के भय से ऐसा संत्रास झेलना पड़ता है, जिसके कारण वह ऐसी स्थिति से निकलने में अपने आपको अक्षम महसूस करती है। परिवार में आपसी संवादहीनता और अभिभावकों से डर के कारण बालिकाए अपनी बात कह नहीं पाती है। इसके अतिरिक्त आज तकनीक के दुरूपयोग के चलते महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति साइबर बुलिंग के मामले भी सामने आ रहे है।
इन सभी परिस्थितियों में सामाजिक जागरूकता, संवाद शिक्षा और परामर्श की बेहद आवश्यकता है ताकि महिलायें एवं बालिकायें इस प्रकार के षड़यंत्रों का शिकार न बने भावनाओं में बहकर अपना जीवन बर्बाद न करें, यदि उनके साथ किसी प्रकार का अपराध घटित होता है तो वह सच बोलने की हिम्मत रख पाये और विधिक कार्यवाही के साथ-साथ उनको परामर्श/सहयोग और पुनर्वास का मौका मिल सके।