प्रशिक्षु दरोगाओं को दूरदराज के थानों में भेजने के नाम पर सिपाहियों ने ऐंठे 5-5 हजार रुपये

प्रशिक्षु दरोगाओं को दूरदराज के थानों में भेजने के नाम पर सिपाहियों ने ऐंठे 5-5 हजार रुपये

May 25, 2024 - 12:35
 0  443
प्रशिक्षु दरोगाओं को दूरदराज के थानों में भेजने के नाम पर सिपाहियों ने ऐंठे 5-5 हजार रुपये
Follow:

UP : आगरा में प्रशिक्षु दरोगाओं को दूरदराज के थानों में भेजने के नाम पर पांच-पांच हजार रुपये की वसूली सिपाहियों ने की थी। शिकायत के बाद डीसीपी पश्चिम की पेशी में तैनात दो सिपाहियों के खिलाफ गोपनीय जांच के बाद मुकदमा भी दर्ज कराया गया।

लेकिन एक माह बीतने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। पत्र के वायरल होने पर यह मामला सामने आया। इंस्पेक्टर शाहगंज अमित मान ने 16 अप्रैल को आरक्षी सहगल तेवतिया और अभिषेक काकरान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद दोनों सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया गया था।

इससे पूर्व एएसपी मयंक पाठक ने जांच के दौरान सिपाहियों को दोषी पाया था। मुकदमे में लिखाया गया कि कमिश्नरेट में 733 प्रशिक्षु दरोगा आए। दरोगाओं को थानों में तैनाती दी गई। न्यू आगरा थाने में तैनात प्रशिक्षु दरोगा सूरज चहल और अरविंद पिलानिया ने रुपये देकर तैनाती ली है, इसकी शिकायत हुई थी। आरोप लगाया गया कि प्रशिक्षु दरोगाओं को धमकाया गया था, दरोगाओं को रुपये न देने पर दूरस्थ थानों में तैनाती की धमकी दी गई थी। एएसपी ने जांच में पाया कि फोन पे के माध्यम से दोनों दरोगाओं ने पांच-पांच हजार रुपये आरक्षियों को दिए थे।

यह रकम आरक्षी सहगल तेवरिया को भेजी गई थी। रुपये ट्रांसफर करने के स्क्रीन शॉट मिले थे। जांच में स्पष्ट हो गया था कि दोनों सिपाहियों ने प्रशिक्षु दरोगाओं को धमकाया था। मुकदमा रंगदारी, जान से मारने, धमकी देने और आईटी एक्ट में लिखा गया था। पुलिस अफसरों ने इस मामले को दबा दिया। लेकिन आजाद अधिकार सेना के नेशनल प्रेसीडेंट पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी को पत्र लिखा। उनका पत्र और बयान सोशल मीडिया पर वायरल होने पर पुलिस महकमे में खलबली मच गई।

अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि दोनों आरक्षियों की राजनैतिक पकड़ होने के कारण ही आज तक उनकी गिरफ्तार नहीं की गई। पुलिस आयुक्त ने आरक्षियों को डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि छानबीन में पुलिस को पता चला कि प्रशिक्षु दरोगा और आरोपी सिपाहियों की पहले से जान पहचान है। जिले में तैनाती से पहले भी दोनों के बीच रुपयों का आदान-प्रदान हुआ है।

आचार संहिता लगी है। निलंबन के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी। यदि किसी को बचना होता तो मुकदमा ही नहीं लिखाया जाता। साक्ष्य आधारित विवेचना प्रणाली लागू है। पहले पुख्ता साक्ष्य जुटाए जाएंगे उसके बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow