मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी सीमा तक जाएंगे राजनैतिक दल

May 1, 2024 - 11:36
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मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी सीमा तक जाएंगे राजनैतिक दल
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मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किसी भी सीमा तक जाएंगे राजनैतिक दल

मृत्युंजय दीक्षित

लोकसभा चुनावों के मतदान के दो चरण समाप्त हो जाने के बाद सभी राजनैतिक दलों को जनता के मध्य अपनी स्थिति की वास्तविकता का कुछ सीमा तक पता चल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की सम्भावना वाली भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए विपक्ष ने एक बार फिर मुस्लिम तुष्टीकरण का विकृत खेल खेलना प्रारम्भ कर दिया है।

तथाकथित इंडी गठबंधन में शामिल दलों के नेता लगातार भड़काऊ और नफरत भरी बयानबाजी कर रहे हैं जिसमें अब वोट जिहाद और तालिबान भी आ गया है। दिल्ली के मंडी हाउस इलाके में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ आतंकी फंडिंग मामले में सजा काट रहे यासिन मलिक का फोटो लगाया गया है। पोस्टर में यासिन मलिक की रिहाई के साथ कांग्रेस को वोट देने की अपील की गई है।

हालांकि जानकारी मिलते ही दिल्ली पुलिस ने यह पोस्टर हटा दिया है। आतंकी यासीन मलिक कुख्यात अलगवावादी है जिससे 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुलाकात की थी। अब मलिक आजीवन कारावास की सजा काट रहा है और अभी उस पर कई और मुकदमे चल रहे हैं। कांग्रेस केरल में प्रतिबंधित पीएफआई जैसे संगठनों का सहयोग ले रही रही है और सनातन विरोधी बयानों पर चुप्पी साधे हुए है। मुस्लिम तुष्टीकरण का यह खुला खेल कांग्रेस ही नहीं अपितु भारत की सभी वामपंथी और अधिकांश क्षेत्रीय पार्टियाँ जमकर खेल रही हैं फिर चाहे वो उत्तर प्रदेश हो बिहार हो या पश्चिम बंगाल।

विगत 10 वर्षों और अटल जी के कार्यकाल को छोड़ दें तो केंद्र तथा राज्यों में कांग्रेस व उसके गर्भ से निकले दलों व नेताओं ने ही सत्ता पर एकछत्र राज किया। ये सभी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भाजपा को हराने की बात करने वालों तथा कट्टरपंथियों का समर्थन कर मतदान को मजहब के आधार पर प्रभावित किया करते थे। भाजपा द्वारा धर्मनिरपेक्षता की सच्ची रेखा खींचने के बाद इन दलों के नेताओं के सामने अपना राजनैतिक अस्तित्व बचाने का संकट खड़ा हो गया है और ये वोट जिहाद की अपील कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अभी तक सपा, बसपा, कांग्रेस सहित विभिन्न दल अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी जैसे माफियाओ को अपने राजनैतिक लाभ के लिए पाला पोसा करते थे अब उनके लिए फातिहा पढ़ रहे हैं और धूर्तता के साथ उन्हें गरीबों का मसीहा बताकर मुसलमानों का वोट मांग रहे हैं ।

पहले ये माफिया बूथ लूटकर व मतदान के समय बम, गोलियां दागकर वोट जिहाद किया करते थे अब उनके नेता व गुर्गे इनको शहीद बताकर मुस्लिम समाज को भड़का रहे हैं। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में कायमगंज के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र में इंडी गठबंधन के प्रत्याशी के समर्थन में पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की भतीजी सपा नेता मारिया आलम खां ने वोट जिहाद का नारा देकर समाजवादियों की मुश्किल बढ़ा दी है। मारिया आलम खां ने कहा कि हर महिला और हर पुरुष वोट जिहाद करके संविधान बचाने की इस जंग को लड़ेगा। प्रदेश में वोट जिहाद शब्द को लेकर राजनैतिक बयानबाजी अब काफी तल्ख़ हो गयी है।

सपा कांग्रेस गठबंधन हो जाने के कारण इस बार सलमान खुर्शीद का परिवार चुनावी मैदान से भले ही दूर हो गया हो किंतु अपने सहयेगी दलों के उम्मीदवारो के लिए चुनाव प्रचार कर रहा है। सलमान खुर्शीद का परिवार कई बार विवादो के घेरे में रहा है। खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद पर दिव्यांगों की सहायता करने के नाम पर घोटाला करने का मुकदमा चल रहा है।सलमान खुर्शीद बाटला हाउस एनकाउंटर व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी विवादित बयानाबाजी कर चुके हैं।

जब लुईस खुर्शीद को इस बात का आभास हो गया था कि इस बार उनके परिवार को टिकट नहीं मिलने जा रहा तब उन्होंने मीडिया के सामने अपने कार्यकर्ता से कहा था कि अगर कांग्रेस का कोई पदाधिकारी उनसे मिलने आए तो उसे चप्प्पल से मारें। अब उसी परिवार की भतीजी मारिया एक बार फिर वोट जिहाद की अपील कर रही हैं। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के संभल से पूर्व सांसद डॉ शफीकुर्रहमान वर्क के पोते एवं सपा प्रत्याशी जियाउर्रहमान वर्क अपनी नुक्कड़ सभा के वायरल वीडियो में मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और शहाबुद्दीन की मौत को कुर्बानी बता रहा है।वीडियो वायरल हो जाने के बाद वर्क पर मुकदमा दर्ज हो गया है।उसके बाद भी वह नहीं रुका और उसने चुनाव आयोग के अधिकारियों को धमकी देते हुए बयान दिया कि जब वक्त बदलेगा तब बदला लिया जायेगा।

बहुजन समाजवादी पार्टी अपनी नैया पार लगाने व जनता के मध्य अपनी उपस्थिति को दर्ज कराने के लिए चुनावी मैदान में अपने युवा कोआर्डिनेटर, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के भतीजे आकाश आनंद के नेतृत्व में रण मे उतरी है और कुछ- कुछ बदली बदली सी नजर आ रही है। पार्टी ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपनी जमीन को फिर से प्राप्त करने के लिए, सवर्णो को खुश करने के लिए रामनाम का विरोध नहीं किया था किंतु वह अब काफी पीछे छूट चुका है। बसपा ने इस बार नया नारा दिया है,“ बहुजन हिताय बहुजन सुखाय का“ किंतु पार्टी का एक मुश्त मुस्लिम मतों का लालच छूटा नहीं है इसलिए बसपा ने सबसे अधिक मुसलमानों को अपना उम्मीदवार बनाया है।

बसपा के युवा नेता आकाश आनंद मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए आक्रामक बयानबाजी कर रहे हैं जिसके कारण उनके खिलाफ सीतापुर जिले में केस भी दर्ज हो गया है। सीतापुर की एक जनसभा में आकाश ने अपनी सभी सीमाओं को लांघते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की तुलना तालिबान से कर डाली। अतीक, मुख्तार अंसारी व शहाबुद्दीन जैसे माफियाओं का राजनैतिक लाभ के लिए उपयोग बसपा ने भी समय -समय पर किया है।

यह साबित हो जाने के बाद भी कि कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है इन सभी दलों के नेताओं ने न केवल फातिहा पढ़ना जारी रखा है बल्कि उसकी मौत के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण के भी सभी हथकंडे अपना रहे हैं। सपा, बसपा, कांग्रेस सहित इंडी गठबंधन में शामिल दलों के लोग जिस प्रकार भाषणबाजी कर रहे हैं उससे इनकी घबराहट साफ़ है। मुस्लिम तुष्टीकरण के दम पर सरकार बनाने और चलाने वालों को एक ही आस है कि मोदी सरकार से बिजली, पानी, गैस, शौचालय, घर, दवाई, राशन सब कुछ लेने के बाद भी मुसलमान वोट मजहब के नाम पर ही करेगा ।