अखिलेश यादव का 'आजम कार्ड', जेल में मुलाकात

Mar 23, 2024 - 08:32
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अखिलेश यादव का 'आजम कार्ड', जेल में मुलाकात
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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने दल और कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए मुस्लिम वोटों को एकजुट करने में लगे हुए हैं। इस कड़ी में शुक्रवार को वह सीतापुर जेल गए और यहां उन्होंने पार्टी के सीनियर नेता आजम खान से मुलकात की।

इसके जरिए अखिलेश ने मुस्लिम नेताओं और मतदाताओं को यह संदेश देने का प्रयास किया कि वो खान के साथ हैं। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, 'भाजपा सरकार ने आजम पर झूठे मुकदमे लगाए। सरकार मोहम्मद आजम खान और उनके परिवार को परेशान कर रही है। यह अमानवीय कृत्य है। आजम खां साहब के परिवार और अरविंद केजरीवाल को भाजपा इसलिए परेशान कर रही क्योंकि उसे लगता है कि ये लोग ताकत बनकर उभरेंगे।

भाजपा इन्हें दबाने के लिए झूठे मुकदमों में फंसा रही है। उम्मीद है कि आजम खां को न्याय मिलेगा।' आगामी लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण में 13 मुस्लिम बहुल सीटों पर मतदान होना है। ऐसे में सपा की यह कोशिश है कि मुस्लिम मतदाताओं को पार्टी के साथ मजबूती से जोड़ा जाए। यूपी की रामपुर सीट से आजम खान ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी।

रामपुर के अलावा 7 अन्य सीटों पर 19 अप्रैल को पहले चरण में मतदान होगा। सपा ने अभी तक इस सीट से कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। माना जा रहा है कि अखिलेश ने इसी मामले को लेकर आज आजम खान से मुलाकात की। रामपुर, मुरादाबाद और बिजनौर में आजम खान का काफी प्रभाव माना जाता है।

ऐसे में इन सीटों पर सपा उम्मीदवारों के चयन के लिए उन्होंने आजम खान के साथ चर्चा करना जरूरी समझा। 13 मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर शुरुआती जोर आजम खान की पत्नी और पूर्व राज्यसभा सांसद व सपा की पूर्व विधायक तंजीम फातिमा जेल में हैं। सपा के सीनियर लीडर के बेटे अब्दुल्ला आजम भी जेल में हैं, जो स्वार के पूर्व विधायक हैं। ये चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

अब्दुल्ला के बर्थ सर्टिफिकेट में जालसाजी को लेकर अक्टूबर 2023 में उन्हें 7 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। मालूम हो कि यूपी की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 19% है। पहले और दूसरे चरण में जिन 13 मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर मतदान होना है, वहां 18-42% मुसलमान आबादी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इनका वोटिंग पैटर्न चुनाव के नतीजे तय कर सकता है।

वैसे पहले दो चरणों में यूपी की कुल 16 सीटों पर मतदान होगा। 19 अप्रैल को पहले चरण की 8 सीटों और 26 अप्रैल को दूसरे चरण की 8 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे। बसपा और भाजपा भी मुस्लिमों को लुभाने में जुटे लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में पहले दो चरणों में जिन मुस्लिम बहुल सीटों पर वोटिंग होगी उनके बारे में बताते हैं। सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, मोरादाबाद, रामपुर और अमरोहा से 2019 में एसपी-बीएसपी गठबंधन ने जीत दर्ज की थी।

कैराना, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर और अलीगढ़ से भाजपा के उम्मीदवारों ने विजय पताका लहराया। ध्यान रहे कि अलीगढ़ में लगभग 18% मुस्लिम मतदाता हैं और रामपुर में 42% हैं। बाकी निर्वाचन क्षेत्रों में मुसलमान मतदाताओं की हिस्सेदारी इसके बीच में कहीं है। इन 14 मुस्लिम बहुल सीटों में से सपा 11 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस को सहारनपुर, अमरोहा और बुलंदशहर मौका मिला है।

दूसरी ओर, बहुजन समाज पार्टी मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने में जुटी है। भाजपा भी पसमांदा मुस्लिमों तक पहुंचने पर जोर देती है। ऐसे मुस्लिम वोटर्स का झुकाव किस पार्टी के साथ होगा, यह देखने वाली बात होगी। ज्यादातर इन्ही दोनों पार्टियों की तरफ देखते आ रहे हैं।

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