कोतवाली के आवासीय भवन के पीछे बनी बाउन्ड्री पुलिस ने रात में तुड़वा दी
कोतवाली के आवासीय भवन के पीछे बनी बाल बाउन्ड्री रात के अंधेरे में ध्वस्त करने का व्यापारी ने लगाया पुलिस पर आरोप -
भवन स्वामी ( व्यापारी ) के अनुसार बाल बाउन्ड्री बाली जगह उसने लगभग14 वर्ष पूर्व खरीदी थी –
पीडित ने हतप्रभ करने वाली घटना की पत्र भेज कर दी उच्च अधिकारियों को सूचना
कायमगंज / फर्रुखाबाद । कोतवाली कायमगंज के पीछे पश्चिम की ओर स्थित बाल बाउन्ड्री जेसीवी से गिराने का आरोप व्यापारी ने पुलिस पर लगाया है। पीड़ित का कहना है उसका बीस लाख से अधिक का नुकसान हुआ है। उसने मुख्यमंत्री समेत पुलिस के कई उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर दोषियो के खिलाफ बिधिक कार्यवाही करने की मांग की है।
नगर के मोहल्ला सधबाड़ा निवासी राघव गर्ग पुत्र स्व0 राकेश अग्रवाल ने मुख्यमत्री समेत पुलिस के कई उच्चाधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा है कि कोतवाली आवास के पीछे 31 डिसमिल उसकी जगह है । जिसमें बाउन्ड्री बनी थी । यह जगह उन्होंने 14 वर्ष पहले खरीदी थी। पहले इस जमीन पर पुलिस से विवाद था।
प्रकरण कोर्ट में चला । वहां से उसके पक्ष फैसला हुआ था। उस वक्त तत्कालीन एसडीएम के समक्ष उनके द्वारा सभी प्रपत्र प्रस्तुत करने पर बाउन्ड्री का निर्माण कराया गया था । राघव गर्ग ने पत्र में आरोप लगाया है , कि गुरुवार की रात जेसीवी से कोतवाली पुलिस ने 12 फुट ऊँची बाउन्ड्रीवाल ध्वस्त करा दी ।, जिससे उनका करीब 20 लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है ।
राघव गर्ग का कहना है कि इस मामले में कोतवाली पुलिस ने दीवानी न्यायालय की अवहेलना भी की है। उनका कहना है जब वह गुरुवार को कोतवाली पहुचे और इस संबंध में कोतवाली में मौजूद प्रभारी निरीक्षक कानून व्यवस्था भोलेंद्र चतुर्वेदी से मामले को लेकर कहा तो उनका व्यवहार अच्छा नहीं था और उन्हे वहां से चलता कर दिया। उन्होंने पुलिस के खिलाफ बिधिक कार्यवाही की मांग की है।
इस सम्बंध में प्रभारी निरीक्षक जेपी पाल का कहना है कि बाउन्ड्री कैसे गिरी । इस बात की उन्हें जानकरी नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि लगाया गया आरोप गलत है। उन्होंने कहा कि उनका आपसी विवाद भी चल रहा है। इस लिए कुछ कहा नहीं जा सकता । उधर एक बात यह भी उभर कर सामने आ रही है की जो व्यापार मंडल तथा व्यापारी नेता दुकानदारों या व्यापारियों की छोटी-छोटी बातों पर मुखर होकर सामने आ जाते थेl बे इस मामले में अब तक आखिर चुप्पी क्यों साधे हैं?