खरी कमाई

Nov 4, 2023 - 12:21
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खरी कमाई

जब हम कहते हैं कि इस महीने की हमने इतनी कमाई कि तो सही से इसका तात्पर्य होता है कि हमने इतनी राशि कि कमाई करी हैं ।

पर जो कमाई ईमानदारी से, दुआओं के साथ, नैतिकता के साथ आदि होती है तो वह खरी कमाई की जाती है । इसके विपरीत जो अनैतिक आचार से, झूठ कपट के व्यवहार आदि से कमाई की गई वह ज़रूर रुपयों का अंबार हो सकती है किन्तु उसमें दुष्कर्मों का भण्डार संलिप्त हैं ।

वह एक प्रकार से उधार है जिसका चाहे इसी जन्म में हो अथवा आगे के जन्मों में किसी न किसी प्रकार करना भुगतान पड़ेगा । हर आत्मा का जन्म निश्चित है।हर आत्मा अपने पिछले जन्मों के करमों के अनुसार इस सृष्टि पर जन्म लेती है।उसी क्रम में आता है एक मनुष्य जीवन।जनम से लेकर मृत्यु तक का जीवन एक किताब की तरह होता है ।

जिसका पहला पेज सूचक होता है मनुष्य का जन्म और अंतिम पृष्ट कहलाता है इंसान की मृत्यु। पहले और अंतिम पेज के बीच के पंनों को इस जीवनकाल में हम्हें ही भरना होता है।अच्छे या बुरे कार्यों द्वारा। अगर किसी किताब को पढ़ने में इतना आनंद आता है कि उसको बीच में छोड़ने का मन ही नहीं करता।ठीक वैसे ही इंसान को अपने जीवनकाल में ऐसे कार्य करने चाहिये कि लोग स्वतः ही आपकी और खिंचा चला आये।

उसकी मौजूदगी ही भरी सभा में एक आकर्षण बन जाये।वो तभी सम्भव होता है कि इंसान का मन बच्चे की तरह सच्चा,करण जैसा दानवीर, महात्मा गांधी जैसा अहिंसावादी और राम जैसा मर्यादा पालन करने वाला आदि हो।अगर ऐसा इंसान का जीवन होगा तो उस इंसान के जीवन की किताब का पहला और अंतिम पृष्ट तो क्या पूरी किताब ही बहुत सुंदर होगी। ठीक उसके विपरीत कार्य करने वाले व्यक्ति की किताब का पहला पृष्ट तो क्या कोई पेज पढ़ने का मन नहीं करेगा।

जन्म से लेकर मृत्यु तक के किये गये कार्यों के आधार पर ही हर आत्मा का पुनः जन्म होता है। हमने कितने पुण्य कार्य किये होंगे तब मनुष्य जन्म मिला।जीवन के हर दिन हम्हें कोई ना कोई नेक कार्य करके इस जीवन से अलविदा होना है। क्योंकि जब हम जाएँगे इस जहां से तो सब कुछ यहीं पे छूट जाएगा । अच्छे-बुरे जो धर्म कर्म और किया वही साथ जाएँगे ।यही संक्षिप्त में खरी खोटी कमाई की कहानी है इसे हम जानें और कभी न करें नादानी। प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )