नवरात्रि पर्व ( अश्विन )-
नवरात्रि पर्व ( अश्विन )-
भुवाल माता की जय हों ।
कुलदेवी माता की जय हों ।
इन्द्रिय मन को वश में माता कराती ।
आत्म विजेता की राह माता दिखलाती ।
माता ज्ञानी अनुसंधानी । माता जगत जीवनदानी ।
माता की गाथा अविरल ।
माता हैं निश्चल । माता को चाह नहीं ।
सूखों की परवाह नहीं ।
अन्तर - मन में वास माता करती ।
सबके तम को माता हरती ।
आउखे की घड़ी नहीं जानते ।
गहरे तम में ज्योत जला ले ।
सत्य - काम नचिकेता बन ।
साधन विशुद्धि का दिग्दर्शन ।
अभिनव अनुपम माता का दर्शन ।
निज पर जीवन - उन्नेता माता बनाती ।
तकलीफो में माता मजबूत कराती ।
दूत बन सदा माता साथ रहती ।
भुवाल माता की आस्था अविरल ।
प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )





